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डाउनलोड करेंशादी के बाद संबंध बनाते समय कॉन्ट्रासेप्शन का प्रेशर हमेशा महिला पर ही होता है। ज्यादातर पुरुष गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने से अक्सर बचते हैं। असुरक्षित संबंध बनाने पर महिलाओं पर इमरजेंसी पिल्स लेने का प्रेशर बढ़ जाता है। बार-बार इमरजेंसी पिल्स लेने से महिलाओं की सेहत पर इसका बुरा असर पड़ता है। कॉन्ट्रासेप्शन को लेकर दोनों पार्टनर की जिम्मेदारी के बारे में बता रहे हैं सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. राजन भोसले।
हमारी शादी को सात महीने हुए हैं। मेरे पति को कॉन्ट्रासेप्शन की जिम्मेदारी लेना बोझ लगता है। जब कभी अनसेफ संबंध बनते हैं तो उन्हें कोई चिंता नहीं होती, मुझे ही इमरजेंसी पिल्स लेनी पड़ती है। क्या बार-बार इमरजेंसी पिल्स लेना सही है?
संबंध बनाते समय दोनों पार्टनर को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। अंतरंग पल तभी सुखद हो सकते हैं जब दोनों को उसका सुख मिले और दोनों एक दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। ज्यादातर पुरुष कॉन्ट्रासेप्शन की जिम्मेदारी लेने से बचते हैं। उन्हें ये लगता है कि ये काम महिलाओं का है। ऐसे में न चाहते हुए भी महिलाओं पर कॉन्ट्रासेप्शन का प्रेशर आ जाता है। अनसेफ संबंध बनने पर कई महिलाएं बार-बार इमरजेंसी पिल्स लेती हैं, जिससे उनके पीरियड्स डिस्टर्ब हो जाते हैं।
अगर महिला इसे लगातार खाती हैं तो इससे सेहत को नुकसान पहुंचता है। आजकलमहिलाएं किसी भी वक्त इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को खा लेती हैं। कहीं किसी परिस्थिति में अचानक रिलेशनशिप बनाई जहां कॉन्डोम अवेलेबल नहीं है या कॉन्डोम फट गया तो उस परिस्थिति में 72 घंटे में इमरजेंसी पिल्स ली जा सकती है। इन गोलियों को एक से दो बार लेने में कोई खराबी नहीं है, लेकिन इन्हें आदत न बनाएं।
डॉ. राजन भोसले, एमडी
प्रोफेसर एंड एचओडी, सेक्सुअल मेडिसिन डिपार्टमेंट, केईएम हॉस्पिटल एंड जी. एस. मेडिकल कॉलेज
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