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डाउनलोड करेंअंजली, वंदना और शिवानी कॉलेज जाने वाली लड़कियां हैं। वे बड़े ही गुस्से में ‘लड़ेंगे-मरेंगे, ठेके नहीं खुलने देंगे’ जैसे नारे लगा रही हैं। अंजली कहती हैं कि अभी तो कोविड की वजह से हमारा कॉलेज जाना बंद है, लेकिन जब खुलेंगे तो इसी रास्ते से हमें जाना होगा और यहां मेन सड़क पर ही शराब का ठेका खुलना, हमारी सुरक्षा के लिए खतरनाक होगा। हम लड़कियां पहले ही रात में बाहर निकलने में घबराती थीं, ऊपर से यहां शराब का ठेका खुल गया, तो अब तो हमारा घर से बाहर निकलना ही दूभर हो जाएगा।
दिल्ली के पटपड़गंज के डी-ब्लॉक में 15 से 20 महिलाएं पिछले सात दिन से शराब का ठेका खोले जाने का विरोध कर रही हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पटपड़गंज विधानसभा विधायक हैं। 32 साल की मिथलेश कहती हैं कि जिस सड़क पर हम प्रदर्शन कर रहे हैं यहां सामने ही विधायक जी का दफ्तर भी है, लेकिन उनकी तरफ से कोई भी नेता हमसे बात करने नहीं आया। एक तरफ ‘आप’ सरकार आम आदमी की बात करती है, दूसरी तरफ हमारी सुनती भी नहीं।
गुस्से से भरे स्वर में मिथिलेश कहती हैं कि मेरा पति सब्जी बेचने का काम करता है। वो पहले ही शराब पीकर आता था, अब उसे घर के नजदीक ही शराब मिलेगी तो उसका दिन रात पीना चालू होगा। पहले सिर्फ रात में पिटती थी अब दिन में पिएगा तो दिन में भी मारेगा और जो भी कमाएगा उसकी शराब ही पीएगा।
जवान बेटियों की सुरक्षा की चिंता
कड़ाके की ठंड में शाल में लिपटी 58 साल की कमलेश कहती हैं कि मैं पिछले 40 साल से इस कॉलोनी में रहती हूं और आज तक नहीं देखा कि कहीं आसपास ठेका नहीं खोला गया हो लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार आते ही घर के बगल में ठेका खोल दिया है। हमारी उम्र गुजर गई है, जवान बेटियां हैं उनकी सुरक्षा की चिंता है। हमारे स्कूल जाने वाले लड़के हैं वे जब रास्ते में ही शराब बिकते देखेंगे, इसे पीने में भी देरी नहीं करेंगे। विनोद नगर में पहले ही शाम होते ही लड़कों का जमघट किसी भी कोने में लग जाता है उनकी वजह से बेटियां क्या हम बुजुर्ग तक घर से नहीं निकल पाते। हम तो चाहते हैं कि शराब के ठेके खुलने की जगह रोज रात को इस सड़क पर पेट्रोलिंग हो तभी हम इस सरकार को कल्याणकारी सरकार कहेंगे।
अपने भाइयों को शिक्षा मंत्री बनाना चाहते हैं शराब मंत्री नहीं
18 साल की शिवानी कहती हैं कि लड़के यहां शराब पीएंगे तो चोरी की वारदातों में भी इजाफा होगा। यहां बगल में अपार्टमेंट है जहां ज्यादातर महिलाएं घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने आती हैं। अगर उनकी सुरक्षा पर बात आएगी तो वे सोसाइटी में काम करने से भी कतराएंगी। हमारे घर के पिता और भाई शराब पीकर घर में आएंगे तो हमारे घरों का भी माहौल होगा। हम अपने भाइयों को शिक्षा मंत्री बनाना चाहते हैं शराब मंत्री नहीं। शराब पीने के बाद इंसान ऐसी हालत में पहुंच जाता है कि वो किसी का बलात्कार भी कर दे तो उसे होश नहीं रहता। दिल्ली सरकार को बिहार सरकार से सीख लेनी चाहिए कि उन्होंने शराबबंदी जैसी पहल की।
कानूनों का उल्लंघन कर खोले जा रहे ठेके : कांग्रेस
कांग्रेस की महिला जिला अध्यक्ष सिंधिया कुमार कहती हैं कि कानूनी तौर पर रिहायशी इलाके में जहां पार्किंग, प्ले स्कूल और मंदिर आसपास हों तो वहां ठेका नहीं खोला जा सकता, लेकिन दिल्ली सरकार रिहायशी इलाकों में ही ठेका खोल रही है और डी-ब्लॉक में जिस जगह यह ठेका खोला जा रहा है वहां ये सारी चीजें हैं। इंसान की मेंटलिटी होती है कि जब दूर कहीं ठेका होता है तो वहां पीकर घर चला आता है लेकिन जब घर के पास ही ठेका होगा तो उनका पीना भी बंद नहीं होगा। पहले वो छुट्टी के दिन में पीते थे अब रोज पीएंगे। अपनी जेब भरने के लिए सरकारें देश के युवा को बर्बाद कर रही हैं।
कांग्रेस के ही सदस्य विनय दुबे कहते हैं कि दिल्ली सरकार इस क्षेत्र में दो और ठेके खोलने की तैयारी कर रही है। हमने प्रण लिया है जब तक ये ठेके बंद नहीं होंगे हम तब धरना बंद नहीं करेंगे। दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के खिलाफ हमने सिग्नेचर कैंपेन भी शुरू किया है।
— Manish Sisodia (@msisodia) March 22, 2021 " target="_blank">http://
क्या है दिल्ली सरकार की दलील
आपको बता दें कि दिल्ली में नई आबकारी नीति को लागू करने के साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों में केजरीवाल सरकार के खिलाफ लोग धरनारत हैं। नई आबकारी नीति के मुताबिक, अब हर वार्ड में चार शराब की दुकानें खुलेंगी। शराब पीने की उम्र भी 25 से 21 साल कर दी गई है। शराब की दुकान कम से कम 500 वर्ग फीट में ही खुलेगी। दुकान का कोई काउंटर सड़क की तरफ नहीं होगा। होम डिलीवरी करके भी शराब मंगाई जा सकेगी। किसी होस्टल, कार्यालय या संस्थान में शराब की डिलीवरी नहीं होगी। अब शराब की दुकानों को निजी हाथों में देने की तैयारी है।
नई नीति के पीछे की वजह बताते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मार्च, 2021 में ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने शराब माफिया पर शिकंजा कसने और राजस्व बढ़ाने की बात कही थी।
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