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डाउनलोड करेंवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज देश का आम बजट 2023-24 पेश कर रही हैं। बतौर फाइनेंस मिनिस्टर ये उनका पांचवां बजट है। चकाचौंध से दूर रहने वालीं वित्त मंत्री अक्सर अपने बयान को लेकर सुर्खियां में या विपक्ष के निशाने पर आ जाती हैं।
वित्त मंत्री के उन बयानों को जानते हैं जिन्हें लेकर विवाद हुए।
डॉलर मजबूत हो रहा है, रुपया गिरा नहीं
निर्मला के वित्त मंत्री रहने के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत कई बार कम हुई। रुपया अब तक के इतिहास में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। एक डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 80 रुपए तक पहुंच गई।
2022 में निर्मला सीतारमण अमेरिका के दौरे पर थीं, जहां उनसे एक पत्रकार ने भारतीय रुपए की डॉलर के मुकाबले कीमत को लेकर सवाल किया। वित्त मंत्री का जवाब था, ‘मैं इसे इस तरह देखती हूं कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है।’ अपने इस बयान पर उन्हें विपक्षी राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया।
कोविड पैंडेमिक को बताया ‘एक्ट ऑफ गॉड’
कोविड के दौरान पूरी दुनिया को तकलीफों से गुजरना पड़ा। भारत में भी कोरोना और सरकारी बदइंतजामी के चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 2020 में GST काउंसिल की बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग के दौरान रोजगार, अर्थव्यस्था जैसे मुद्दों पर बात करते हुए वित्त मंत्री ने ठीकरा कोविड पर फोड़ा और कहा- ये ‘एक्ट ऑफ गॉड’ है।
वित्त मंत्री के इस बयान पर न सिर्फ विपक्ष ने बल्कि ट्विटर पर लोगों ने उनकी खूब खिंचाई की। कई यूजर्स ने कहा कि अगर ये ‘एक्ट ऑफ गॉड’ है तो सरकार की जरूरत क्या है? वहीं विपक्षी राजनीतिक दलों ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के पिछले कार्यकाल में हुए इकोनॉमी मिसमैनेजमेंट को कैसे डिस्क्राइब करेंगी?
महंगाई पर कहा-मैं वेजिटेरियन हूं प्याज नहीं खाती
2019 में संसद के शीतकालीन सत्र में प्याज के बढ़े दाम और किसानों को लेकर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने सरकार को निशाने पर लिया। उस दौरान निर्मला सीतारमण जवाब देने के लिए खड़ी हुईं। उन्होंने जवाब देने के पहले कुछ सांसदों को प्याज से जुड़े सवाल पर रिप्लाई करते हुए कहा, ‘मैं इतना लहसुन-प्याज नहीं खाती हूं। मैं एक ऐसे घर से आती हूं, जहां प्याज से मतलब नहीं रखते हैं।’ उनके इस बयान को लेकर मीम बनाए गए।
हिंदी-संस्कृत की वजह से नहीं मिलती थी स्कॉलरशिप
निर्मला सीतारमण तमिलानाडु से आती हैं। उनकी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई वहीं से हुई है। MA-MPhil की पढ़ाई के लिए उन्होंने JNU का रुख किया। साउथ इंडिया से होने की वजह से उनकी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है।
पिछले साल अपनी हिंदी पर बात करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि वो बहुत झिझक के साथ हिंदी बोलती हैं। साथ ही कॉलेज की पढ़ाई हिंदी विरोधी आंदोलन के बीच हुई हैं। यहां तक कि स्कूल में अगर किसी छात्र ने हिंदी-संस्कृत को दूसरी भाषा के तौर पर चुना तो उसे स्कॉलरशिप नहीं मिलती थी। उनके इस बयान पर एक वर्ग में काफी नाराजगी दिखी।
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