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डाउनलोड करेंएक बार समोसे, भटूरे, पूड़ियां छानने के बाद बचे तेल को दोबारा इस्तेमाल करना आम बात है। घर ही नहीं, मिठाई की दुकानों, ढाबों से लेकर बड़े-बड़े रेस्तरां तक में दिनभर भट्ठी पर तेल से भरी कड़ाही चढ़ी रहती है। पकवान बनते रहते हैं।
जैसे-जैसे कड़ाही में तेल कम होता जाता है, उसी में और तेल डालते जाते हैं। एक बार कड़ाही चढ़ गई, तो उसमें मौजूद तेल की आखिरी बूंद तक इस्तेमाल कर ली जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लगातार खौलता यह तेल जहरीला हो चुका होता है। इसमें घातक केमिकल भी बनने लगते हैं, जिनसे कैंसर हो सकता है और दिल की धमनियां जाम हो सकती हैं।
इस ग्राफिक के जरिए जानिए, कैसे जहरीला हो जाता है तेल...
तेल को बार-बार गर्म कर इस्तेमाल करने से DNA में आने लगता है बदलाव
तेज आंच पर कई बार गर्म हो चुके तेल के गुण बदल जाते हैं। वह फायदे की जगह नुकसान पहुंचाने लगता है। जिससे शरीर में ‘जेनोटॉक्सिक‘ (DNA को नुकसान पहुंचाने वाली), ‘म्यूटेजेनिक‘ (DNA में बदलाव लाने वाली) और ‘कार्सिनोजेनिक‘ (कैंसर पैदा करने वाली) एक्टिविटीज बढ़ जाती हैं। रिसर्च में पाया गया है कि ऐसे तेल की वजह से सेल्स में गड़बड़ियां होने लगती हैं, उनके टूटने की रफ्तार बढ़ जाती है, क्रोमोसोम को नुकसान पहुंचने लगता है। ज्यादा मात्रा में ऐसा तेल खाने से फेफड़े, आंत, ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इस पर दुनिया भर में कई रिसर्च हो चुकी हैं। ‘रिसर्चगेट‘ पर मौजूद एक ऐसी ही रिपोर्ट में तेल को दोबारा यूज करने से होने वाले खतरे बताए गए हैं।
सिगरेट से भी ज्यादा घातक है गर्म तेल का धुआं
ज्यादा समय तक या कई बार तेज आंच पर गर्म हो चुके तेल को खाना तो छोड़िए, उसे सूंघने भर से जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। कुकिंग ऑयल के धुएं में 200 से ज्यादा तरह की गैसें होती हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। तेज आंच पर किसी चीज को तेल में फ्राई करने यानी तलने से धुआं उठता है। फैटी एसिड वाला यह धुआं न्यूमोनिया, राइनाइटिस के साथ ही लंग कैंसर, टीबी, अस्थमा जैसी फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियां दे सकता है। नॉर्वे में हुईं 2 रिसर्च में पाया गया कि किचन में काम करने वाले कर्मचारियों में इसकी वजह से फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियां होने लगीं। तेज आंच पर तेल को गर्म करने पर उसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट जहरीले तत्वों में तब्दील हो जाते हैं।
अब जान लेते हैं कि तेल का इस्तेमाल कितनी बार और कैसे करना सेफ है...
रेस्तरां-ढाबों में आखिरी बूंद तक करते हैं तेल का इस्तेमाल
घर, होटल और ढाबों में फ्राई करने के लिए एक बार यूज किए जा चुके तेल के 60 फीसदी हिस्से को दोबारा से इस्तेमाल कर लिया जाता है। दिल्ली की एक संस्था ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ ने हाल ही में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता के 507 फूड बिजनेस ऑपरेटर्स यानी खाने-पीने से जुड़े कारोबारियों के बीच सर्वे किया। इसमें पाया गया कि छोटे रेस्तरां, ढाबे सस्ता तेल खरीदते हैं। जिसमें पहले ही खाना पकाने में इस्तेमाल हो चुका तेल मिला हो सकता है।
सर्वे में 101 बड़े रेस्तरां शामिल थे। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के बड़े रेस्तरां में से 53 फीसदी ने बताया कि वे एक बार इस्तेमाल हो चुके तेल को नालियों में बहा देते हैं। जबकि, चेन्नई में अधिकतर रेस्तरां खाना पकाने के बाद कड़ाही में बचा तेल बेच देते हैं। वहीं, दिल्ली, कोलकाता के छोटे रेस्तरां, ढाबों ने बताया कि वे तेल की आखिरी बूंद तक का इस्तेमाल कर लेते हैं।
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मां बनने की क्षमता खत्म करता है सस्ते तेल में बना जंक फूड
फ्रेंच फ्राइज, ब्राउनी, मफिन्स और जंक फूड महिलाओं के मां न बन पाने की वजह बन सकते हैं। ये चीजें ट्रांस फैट से भरपूर होती हैं और लगातार इन्हें खाते रहने से महिलाओं को बांझपन की समस्या से जूझना पड़ सकता है। ट्रांस फैट प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट के अनुसार जो महिलाएं रोज अपनी डाइट में 2 फीसदी से ज्यादा कैलोरी ट्रांस फैट के तौर पर लेती हैं, उनमें बांझपन का खतरा 79 फीसदी तक होता है। यह ट्रांस फैट सूरजमुखी के तेल, सोयाबीन तेल, मूंगफली तेल और कनोला के तेल में काफी मात्रा में पाया जाता है।
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पाम ऑयल का ज्यादा इस्तेमाल पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है असर
बटर, चीज के साथ ही पाम ऑयल, नारियल तेल में भी सैचुरेटेड फैट काफी ज्यादा होता है। हाई सैचुरेटेड फैट वाला खाना दिल का मरीज बना रहा है और दिल के रोगों से जूझ रहे पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या आम है। अमेरिका के यूरोलॉजिस्ट डॉ. जेम्स अल्चेकर के मुताबिक हाई फैट वाला खाना खाने से दिल तक खून की सप्लाई करने वाली धमनियों में ब्लॉकेज हो जाता है। इससे उन धमनियों का साइज भी कम होने लगता है, जो पुरुष के प्रजनन अंग तक ब्लड पहुंचाती हैं।
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खराब तेल में बन रही भुजिया, खाने से हो सकते हैं लिवर के रोग
भारत में खूब खाई जाने वाली भुजिया और चिप्स जैसे स्नैक्स सस्ते पाम ऑयल से बनाए जाते हैं। हालांकि, यही स्नैक्स बनाने वाली कंपनियां जब अमेरिका जैसे देशों में जाती हैं, तो वहां अच्छा तेल इस्तेमाल करती हैं। पाम ऑयल में मौजूद सैचुरेटड फैट लिवर में जमा हो जाता है। जिससे फाइब्रोसिस और सिरोसिस जैसी बीमारियां होने लगती हैं।
दूसरे तेलों में मिलाया जा रहा पाम ऑयल, मंत्री तक उठा चुके हैं आवाज
यही नहीं, सस्ता होने की वजह से दूसरे तेलों में भी पाम ऑयल मिलाकर बेचा और इस्तेमाल किया जाता है। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अक्टूबर 2021 में कहा था कि लोगों को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। कंपनियां सोयाबीन जैसे तेलों में 40 फीसदी तक पाम ऑयल मिला देती हैं और बहुत महीन अक्षरों में इसकी जानकारी पैकेट पर देती हैं। गडकरी ने मोटे और बड़े अक्षरों में यह जानकारी लिखने की मांग करने की बात कही थी।
जून 2021 में 5,87,467 टन पाम ऑयल भारत में आयात किया गया था। इसका एक बड़ा हिस्सा दूसरे तेलों में मिलाकर बेचा जाता है। 2019 में तमिलनाडु में फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने भी लोगों को ऐसा तेल यूज न करने की चेतावनी दी गई थी। उसमें अधिकारियों ने बताया था कि तिल और मूंगफली के तेल में 70 फीसदी तक पाम ऑयल मिलाकर बेचा जा रहा है।
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सीमित मात्रा में ही फायदेमंद है देसी घी
देसी घी के स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर कई रिसर्च हुई हैं। कुछ में बताया गया है कि रोजाना 1-2 चम्मच घी का इस्तेमाल हार्ट अटैक की वजह बन सकता है, किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है और लंग कैंसर भी हो सकता है। वहीं, कुछ रिसर्च में पाया गया है कि हल्की मात्रा में घी का इस्तेमाल करने से याददाश्त तेज होती है और वजन नियंत्रित रहता है। डायटिशियन कामिनी सिन्हा ने बताया कि देसी घी की थोड़ी मात्रा सेहत के लिए अच्छी है। इसे दाल या चपाती के साथ ले सकते हैं। देसी घी से काफी न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं, मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। स्किन की चमक बनी रहती है।
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जब देसी घी की जगह यूज होने लगा वनस्पति घी
हजारों बरसों से इस्तेमाल हो रहे वेजिटेबल ऑयल में बड़ा बदलाव आया साल 1900 की शुरुआत के साथ। उस वक्त वेजिटेबल ऑयल को लंबे समय तक सुरक्षित रखना मुश्किल होता था। जर्मनी में विल्हेम नॉर्मन ने इसका उपाय निकाला हाइड्रोजेनेशन के जरिए। यानी हाइड्रोजन की मौजूदगी में वेजिटेबल ऑयल को एक खास तरीके से प्रोसेस किया जाता है, जिससे वह घी की तरह गाढ़ा बन जाता है। एक दशक के अंदर ही यह कई देशों में पॉपुलर हो गया। 1930 के दशक में भारत में वनस्पति घी बाहर से आता था। काफी सस्ता होने की वजह से लोग देसी घी की जगह इसे इस्तेमाल करने लगे।
दिल के लिए अच्छा नहीं है वनस्पति घी
वनस्पति घी अधिकतर पाम ऑयल से बनता है। इसमें ट्रांस फैट की मात्रा काफी ज्यादा होती है। डायटिशियन कामिनी सिन्हा ने बताया कि यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है और गुड कोलेस्ट्रॉल कम करता है। वनस्पति घी दिल के लिए अच्छा नहीं होता। इससे हार्ट में ब्लॉकेज हो सकता है।
नारियल तेल से दिल की धमनियों में होता है ब्लॉकेज
आमतौर पर सेहतमंद समझे जाने वाले नारियल तेल में सैचुरेटेड फैट्स और पामिटिक एसिड की मात्रा काफी ज्यादा होती है। यह ब्लड में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ा देता है, जो दिल की धमनियों में ब्लॉकेज की बड़ी वजह है।
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सरसों के तेल से मोटापे का खतरा कम
भारत में सबसे ज्यादा सरसों का तेल इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे तेलों की तुलना में सरसों के तेल का इस्तेमाल करने वालों को मोटापे का खतरा कम रहता है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस पर नवंबर 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 6,38,445 महिलाओं और 92,312 पुरुषों पर रिसर्च की गई। इसमें पता चला कि सरसों का तेल खाने वाले लोगों को मोटापे की शिकायत कम हुई। जबकि, इससे पहले पशुओं पर हुई रिसर्च के आधार पर दुनिया भर में सरकारें सरसों के तेल से दूरी बनाने लगी थीं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भारत में हुई नई रिसर्च में पता चला है कि सेहत पर इस तेल का अच्छा असर होता है।
कैंसर सेल्स को मार देता है ऑलिव ऑयल
ऑलिव ऑयल में मौजूद पोषक तत्वों से कैंसर का खतरा 31 फीसदी तक कम हो सकता है। अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग की ब्रांच नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन पर जनवरी 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक यह तेल कैंसर से रक्षा करता है। न्यूयॉर्क के हंटर कॉलेज में किए गए एक शोध में यह भी पता चला कि एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल बिना कोई नुकसान पहुंचाए कैंसर सेल्स को मार देता है। तेल में मौजूद एक केमिकल कंपाउंड ओलियोकैंथल की वजह से ऐसा हो पाता है। दिल की सेहत के लिए भी ऑलिव ऑयल काफी फायदेमंद है। यह गुड कोलेस्ट्रॉल को मेंटेन करता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है।
सेक्शुअल परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए वियाग्रा से भी बेहतर
ऑलिव ऑयल खाने से सेक्शुअल परफॉर्मेंस भी बेहतर होती है। यह तेल धमनियों को स्वस्थ रखता है, जिससे पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एथेंस के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पाया कि जिन लोगों ने हफ्ते में कम से कम 9 चम्मच ऑलिव ऑयल खाया, उनमें नपुंसकता का खतरा काफी कम दिखा। उनके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर भी बढ़िया मिला। वैज्ञानिकों के मुताबिक सेक्शुअल परफॉर्मेंस पर ऑलिव ऑयल का वियाग्रा से भी बेहतर असर पड़ता है।
खाने के लिए इतनी तरह के तेलों का इस्तेमाल होता है, लेकिन सबके गुण अलग हैं। इसलिए उनको यूज करने का तरीका भी जानिए...
रिफाइंड ऑयल तैयार करते वक्त खत्म हो जाते हैं उसके गुण
नेचुरल तरीके से तैयार वेजिटेबल ऑयल में आमतौर पर हल्की गंध होती है। इस गंध और उसके फ्लेवर को दूर करने के लिए कंपनियां तेल की प्रोसेसिंग करती हैं। इस दौरान तेल को कई बार बहुत ज्यादा तापमान पर गर्म किया जाता है। उसमें केमिकल मिलाए जाते हैं। इस दौरान तेल में मौजूद विटामिन्स, एंटी ऑक्सिडेंट्स और दूसरे अच्छे गुण खत्म हो जाते हैं।
4,000 रुपए में 1 लीटर अवोकाडो ऑयल, हो रही मिलावट
अवोकाडो ऑयल इन दिनों सोशल साइट्स पर ट्रेंड में है। विटामिंस से भरा यह हरा तेल दिल के लिए बहुत अच्छा माना जा रहा है। मार्केट में इस तेल की कीमत उसकी क्वॉलिटी के मुताबिक 2,500 से 4,000 रुपए प्रति लीटर तक है। अवोकाडो का उत्पादन मैक्सिको, कोलंबिया, चिली और साउथ अफ्रीका में होता है, लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में भी इसके तेल में मिलावट की रिपोर्ट आई हैं।
कुकिंग के लिए अवोकाडो से बेहतर नारियल तेल, घी
हेल्ड एंड वेलनेस स्टार्टअप 'आईथ्राइव' की फाउंडर व न्यूट्रिशनिस्ट मुग्धा प्रधान के मुताबिक अवोकाडो तेल दूसरे वेजिटेबल ऑयल्स से बेहतर है। यह मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड से भरपूर है, लेकिन हर समय सिर्फ इसका ही इस्तेमाल अच्छा नहीं है। इंसानों को सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड दोनों तरह के फैट की जरूरत होती है। यह दोनों फैट नारियल तेल और घी में मिलते हैं। इसलिए कुकिंग में सदियों से इनका इस्तेमाल होता रहा है।
जरूरत से दोगुना खा रहे तेल, शरीर दे रहा जवाब
'नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन' की गाइडलाइंस के मुताबिक शरीर को 15-30 फीसदी एनर्जी की आपूर्ति फैट्स से होनी चाहिए। इस हिसाब से एक व्यक्ति को रोज औसतन 29 ग्राम फैट की जरूरत है। साल भर में यह जरूरत 10.585 किलो प्रति व्यक्ति हुई, लेकिन 2010-11 में भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष तेल की खपत 14.2 किलो थी। 2019-20 में यह खपत बढ़कर 19.80 किलो प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष पहंच गई।
1950-2011 के बीच भारत में खाने के तेल की खपत 5 गुना बढ़ गई थी। 'सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (CSE)' की एक रिपोर्ट के अनुसार तेल की इस बढ़ी खपत के साथ ही लोगों की सेहत पर खतरा बढ़ गया। वह मोटापे और दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
तो क्या तेल-घी का इस्तेमाल एकदम बंद कर देना चाहिए?
फैट से बॉडी को एनर्जी और जरूरी फैटी एसिड मिलते हैं। यह फैटी एसिड विटामिन-A, D, E और K को एब्जॉर्ब करने व मेटाबॉलिक बैलेंस बनाए रखने में शरीर की मदद करता है। एक चम्मच तेल से हमें 40 कैलोरी ऊर्जा मिलती है, जबकि एक चम्मच चीनी से सिर्फ 15 कैलोरी। शरीर के भीतर मौजूद फैट एक तरह से एनर्जी के भंडार का काम करता है। भूखे होने या बीमार होने पर इसी फैट से शरीर को एनर्जी मिलती है।
इसलिए तेल-घी से एकदम दूरी बना लेना आपको बीमार कर देगा। दी यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना में हुई एक रिसर्च में पाया गया कि कोलेस्ट्रॉल बहुत ज्यादा घटा देने से उम्र तो नहीं बढ़ी, लेकिन जान जाने का खतरा जरूर पैदा हो गया। अपने डॉक्टर और डाइटीशियन से बात करें, उनके सुझाव के मुताबिक तेल और उसकी मात्रा तय करें।
अब यह बात तो समझ आ रही है कि खाने के लिए तेल चुनना कम कठिन नहीं है। इस कठिन काम को आसान बनाने का तरीका बताया एक्सपर्ट ने...
हर तेल के अलग गुण, जरूरत के हिसाब से चुनें
राइस ब्रैन ऑयल शरीर में शुगर लेवल मेंटेन करता है। बैड कोलेस्ट्रॉल को खत्म करता है। इसमें विटामिन-ई होता है। त्वचा की चमक बरकरार रखता है। यह ओरल हेल्थ और एलर्जी के लिए भी अच्छा है। इसे डीप फ्राई नहीं करना चाहिए। इसी तरह, फ्लैक्ससीड यानी अलसी के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम होता है। यह कैंसर, डायबिटीज और दिल के रोगों का खतरा घटाता है। सनफ्लावर ऑयल डीप फ्राई करने के लिए सबसे बढ़िया है। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट दोनों होते हैं। यह विटामिन-ई का अच्छा सोर्स है। इन तेलों का इस्तेमाल अपनी जरूरत के अनुसार कर सकते हैं।
एक ही तेल बार-बार न करें यूज, हेल्दी डाइट अपनाएं, कम होगा बीमारी का खतरा
अमेरिका में कैंसर पर शोध कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक महेंद्र के. सिंह ने बताया कि एक बार तेज आंच पर तेल को गर्म करने के बाद बचे तेल को दोबारा इस्तेमाल न करें। यह सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। ऑलिव ऑयल और मेडिटेरेनियन डाइट को सबसे हेल्दी माना जाता है। मेडिटेरेनियन डाइट में ताजे फल, सब्जियों, अनाज के साथ ऑलिव ऑयल का ही इस्तेमाल होता है। इसे अपना सकते हैं। खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं। रिफाइंड शुगर से बचें। अगर अच्छी क्वॉलिटी का मक्खन मिल जाए तो घर पर ही घी बना सकते हैं।
आपने जाने यूज्ड ऑयल के क्या नुकसान हैं, अब जाते-जाते इस पोल पर अपनी राय भी दे देते चलें...
ग्राफिक्स: सत्यम परिडा
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