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डाउनलोड करेंहेल्दी और स्मार्ट बच्चे की चाहत हर पेरेंट की होती है। जो इंटेलिजेंट होने के साथ साथ इमोशनली मजबूत भी हो। इसके लिए पेरेंट्स क्या-क्या जतन नहीं करते। बच्चे को अच्छा खिलाने-पिलाने से लेकर अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए जी-जान लगा देते हैं। लेकिन, क्या इतना काफी होता है?
अगर आप भी ‘स्मार्ट बेबी’ चाहते हैं, तो इसके लिए प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले तैयारी शुरू करनी पड़ेगी। आप पूछेंगे, प्रेग्नेंसी से पहले स्मार्ट बेबी पाने की कैसी तैयारी? यह समझने के लिए आपको उस कमाल की चीज के बारे में जानना होगा, जो बच्चे को इंटेलिजेंट बनाती है और बेहतर इम्युनिटी भी देती है। 'नेशनल न्यूट्रिशन वीक' के मौके पर आइए जानते हैं इसके बारे में।
इस कमाल की चीज का नाम है ‘फोलिक एसिड।’ फोलिक एसिड IQ (इंटेलिजेंस कोशंट यानी बौद्धिक स्तर) और EQ (इमोशनल कोशंट या इमोशनल इंटेलिजेंस) को बूस्ट करता है। और बच्चे को कई जानलेवा बीमारियों से भी बचाता है।
अब आप सोचेंगे कि भला फोलिक एसिड न मिलने से बच्चे के ब्रेन पर क्या असर पड़ सकता है? दरअसल, दुनिया में लाखों बच्चे ऐसे जन्म लेते हैं जिनका दिमाग कमजोर होता है। या फिर बच्चा अविकसित मस्तिष्क के साथ जन्म लेता है। कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जिनका जन्म के समय ब्रेन होता ही नहीं है। देखने में ऐसे बच्चों का सिर टेढ़ा या चपटा होता है। जन्म लेने के कुछ समय बाद ही उनकी मृत्यु हो जाती है या फिर वे जिंदगी भर रीढ़ से जुड़ी और दूसरी कई बीमारियों से जूझते रहते हैं। यह समस्या तब खड़ी होती है जब प्रेग्नेंट महिला को फोलिक एसिड नहीं दिया जाता।
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न्यूरल ट्यूब से बनता है ब्रेन और बैकबोन, इसलिए चाहिए फोलिक एसिड
प्रेग्नेंसी का पहला महीना। इस दौरान मां को अक्सर पता ही नहीं चल पाता कि वह प्रेग्नेंट है, लेकिन गर्भ में भ्रूण के विकास की शुरुआत हो चुकी होती है। इसी महीने में भ्रूण में एक ट्यूब बनती है, जिसे ‘न्यूरल ट्यूब’ कहते हैं। कोशिकाओं से बनने वाली इसी ट्यूब से एक नई जिंदगी की ‘समझदार’ शुरुआत होती है, और यही ट्यूब बच्चे के हेल्दी नर्वस सिस्टम को बनाती है। इसी ट्यूब का ऊपरी हिस्सा आगे विकसित होकर ब्रेन बनता है और बाकी के निचले हिस्से से रीढ़ की हड्डी (बैकबोन) बनती है।
इस ब्रेन और रीढ़ की हड्डी के बूते पर हम इंसान धरती के सबसे अनूठे, ताकतवर और बुद्धिमान जीव बन पाए। लेकिन, हमें इतना ताकतवर बनाने वाली इस ट्यूब में प्रेग्नेंसी के दौरान केवल एक केमिकल की कमी से कई बड़ी गड़बड़ियां हो सकती हैं।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स से कई गड़बड़ियां होती हैं, जो जिंदगी भर तकलीफ देती हैं। इस बात को आप नीचे दिए ग्रैफिक के जरिए और आसानी से समझ सकते हैं...
क्या आप जानते हैं, अमृत से कम नहीं है फोलिक एसिड?
आपने ध्यान दिया होगा कि प्रेग्नेंसी का पता चलते ही डॉक्टर प्रेग्नेंट महिला को सबसे पहले आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां देते हैं। यह फोलिक एसिड उन्हें इसीलिए दिया जाता है, ताकि बच्चे की ‘न्यूरल ट्यूब’ में किसी तरह की डिफेक्ट डेवलप न हो और बच्चा बीमारियों से बचा रहे। बच्चा कम वजन का न हो और समय से पहले जन्म भी न ले। इस तरह यह फोलिक एसिड की गोलियां न सिर्फ मां के लिए खतरा कम करती है, बल्कि बच्चे को तंदरुस्त और बुद्धिमान भी बनाती हैं। प्रेग्नेंसी प्लान करने वाली महिलाओं को इसीलिए डॉक्टर कम से कम 4 हफ्ते पहले से ही फोलिक एसिड देना शुरू कर देते हैं और गर्भ के 12वें हफ्ते तक इसे देना जारी रखते हैं।
जिन मांओं को प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड नहीं मिल पाता, उनके बच्चों में ब्रेन डेवलपमेंट में कमी देखी जाती है। यह मामला कितना गंभीर होता जा रहा है, इसे इस ग्रैफिक से समझ सकते हैं...
पूरे 9 महीने फोलिक एसिड खाने से बढ़ती है बच्चों में इमोशनल इंटेलिजेंस
अब आप ये जानिए कि जो महिलाएं पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान फोलिक एसिड लेती हैं, उनके बच्चों में इमोशनल इंटेलिजेंस और रोगों से उबरने की क्षमता ज्यादा होती है। आयरलैंड की अल्स्टर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने पूरे प्रेग्नेंसी पीरियड में फोलिक एसिड खाने वाली और न खाने वाली महिलाओं और उनके बच्चों पर एक रिसर्च की।
जिसमें सामने आया कि जिन महिलाओं ने प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड नहीं लिया, उन्होंने इमोशनली कमजोर बच्चे को जन्म दिया। ये रिपोर्ट 2019 में मेडिकल जर्नल वेबसाइट ‘बीएमसी मेडिसिन’ पर भी प्रकाशित हुई। ‘ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसायटी’ में पेश की गई इस रिपोर्ट में बताया गया कि पूरी गर्भावस्था में फोलिक एसिड खाने वाली मांओं के बच्चों का साइकोलॉजिकल डेवलपमेंट भी बेहतर होता है।
बच्चे का ब्रेन ठीक तरह से विकसित हो, इसके लिए किन पेरेंट्स का फोलिक एसिड लेना जरूरी होता है, इस बात को ग्रैफिक के जरिए समझ सकते हैं...
अपनी लर्निंग, थिंकिंग और अंडरस्टैंडिंग में बच्चा बनता है स्मार्ट
आयरलैंड की अल्सटर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ही एक और रिसर्च की। जिसमें उन्होंने पाया कि अगर गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में भी गर्भवती को फोलिक एसिड दिया जाए, तो इससे बच्चे के ‘न्यूरोकॉग्निटिव डेवलपमेंट’ में भी फायदा होता है। यानी बच्चे का दिमाग अच्छी तरह से विकसित होता है। उसके सोचने, समझने और सीखने की क्षमताएं बेहतर होती हैं। भाषाएं सीखने और बोलने, याददाश्त और आसपास के लोगों से व्यवहार करने की क्षमता पर भी इसका अच्छा असर पड़ता है।
दवाओं के अलावा फोलिक एसिड नेचुरल चीजों से भी लिया जा सकता है। नीचे बताए गए स्रोतों से आप इन्हें ले सकती हैं...
जिन मांओं ने प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड लिया उनके बच्चों के दिल-दिमाग ही नहीं हाथ-पैर भी मजबूत होते हैं, कैंसर भी दूर रहता है।
कुछ बच्चों के दिल में जन्म के समय से ही कई तरह की खराबी होती है, जिससे उनका हार्ट ठीक से काम नहीं करता। इन्हें ‘कार्डियोवैस्कुलर डिफेक्ट्स’ या ‘कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स’ कहते हैं। फोलिक एसिड बच्चों में दिल की बीमारियों का खतरा कम करता है।
कभी-कभी गर्भ में बच्चों के हाथ-पैर भी ठीक से विकसित नहीं हो पाते। फोलिक एसिड से ऐसे लिम्ब डिफेक्ट्स के खतरे कम होते हैं।
फोलिक एसिड कई तरह के कैंसर जैसे कि ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर और न्यूरोब्लास्टोमा से भी बच्चों को बचाने में मदद करता है। ‘अमेरिका नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन’ पर मौजूद रिसर्च पेपर्स के मुताबिक फोलिक एसिड बच्चों को ऐसी कई बीमारियों से भी बचाने में कारगर है।
इसके अलावा फोलिक एसिड बच्चों में ऑटिज्म के खतरे को रोकने का भी काम करता है...
फोलेट लेवल में कमी से छोटा हो सकता है बच्चे का दिमाग
फोलिक एसिड की तरह ही फोलेट भी विटामिन B9 का एक प्रकार है। यह भी हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान मां में फोलेट लेवल की कमी बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकती है। जिन महिलाओं में फोलेट लेवल कम होता है, उनके बच्चों के दिमाग का आकार छोटा हो सकता है। बीमारियों से लड़ने की उनकी क्षमता में भी कमी आ सकती है। ऐसे बच्चों का आईक्यू लेवल उन बच्चों से कम होता है, जिनकी मांओं में फोलेट लेवल अच्छा था। अमेरिकी फेडरल एजेंसी ‘नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन’ पर मौजूद रिपोर्ट्स से यह बात सामने आई है।
रोज 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड की जरूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एक प्रेग्नेंट महिला को रोज 400 माइक्रोग्राम (mg) फोलिक एसिड की जरूरत होती है। अगर आप संतुलित आहार ले रहे हैं और हरी सब्जियां खा रहे हैं, तो अलग से इसका सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत आमतौर पर नहीं पड़ती।
लेकिन, गर्भावस्था के दौरान कोई कमी पाई जाती है तो डॉक्टर जरूरत के अनुसार इसकी मात्रा निर्धारित करते हैं। मां बन सकने की उम्र तक हर महिला को रोज फोलिक एसिड से भरपूर खाना खाना चाहिए, फिर भले ही वह प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हो या नहीं।
अलर्ट…डॉक्टर की सलाह के बिना फोलिक एसिड की ज्यादा मात्रा भी नुकसानदेह
स्मार्ट बच्चे की चाहत में ज्यादा मात्रा में फोलिक एसिड लेने के भी नुकसान हैं। रोज 1000 माइक्रोग्राम से ज्यादा फोलिक एसिड खाने वाली प्रेग्नेंट महिलाओं के बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। 4 से 5 साल की उम्र में इन बच्चों का कॉग्निटिव डेवलपमेंट मतलब उसके सोचने, तर्क करने की क्षमता में कमी पाई गई। इसलिए, फोलिक एसिड की गोली बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
2017 में ‘दि अमेरिकन जरनल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन’ में फोलिक एसिड के हाई डोज पर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई। इसमें भी यही सलाह दी गई कि जहां तक संभव हो, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को रोजाना 1000 माइक्रोग्राम से ज्यादा फोलिक एसिड देने से बचा जाए।
ज्यादा फोलिक एसिड लेने के नुकसान हैं तो कई बार इससे एलर्जी भी हो सकती है। जानिए आपको कब डॉक्टर की सलाह लेनी है...
नर्वस सिस्टम को बिगाड़ सकती है ज्यादा डोज
जरूरत से ज्यादा हर चीज नुकसानदेह होती है। फोलिक एसिड हो या फिर कोई दूसरा सप्लीमेंट, बिना डॉक्टर की सलाह के खुद से नहीं लेना चाहिए। फोलिक एसिड की 1 मिलीग्राम से ज्यादा डोज खतरनाक हो सकती है। यह शरीर में विटामिन B12 की कमी को छुपा लेती है। अगर समय पर इसका पता न चले और इलाज में देरी हो, तो यह आपके नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा देती है।
खासकर बुजुर्गों के लिए इसका इस्तेमाल करते समय बहुत ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि, उम्र बढ़ने के साथ बुजुर्गों की विटामिन B12 को पचाने की क्षमता घटती जाती है। स्वस्थ पुरुषों और वे महिलाएं, जो प्रेग्नेंसी प्लान नहीं कर रही हैं वे संतुलित आहार लेकर फोलिक एसिड की जरूरत पूरी कर सकते हैं। उन्हें अलग से इसके लिए सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत नहीं है।
फोलिक एसिड के अलावा, प्रेग्नेंसी में ये न्यूट्रिएंट्स लेने भी जरूरी हैं...
डीएनए में म्यूटेशन को रोकने में मददगार है आयरन-फोलिक एसिड
शरीर में हीमोग्लोबिन और रेड ब्लड सेल्स (RBC) की कमी से होने वाले एनीमिया की समस्या के इलाज के लिए जो गोलियां दी जाती हैं, उनमें आयरन और फोलिक एसिड शामिल होता है। ये गोलियां बॉडी में रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन के प्रोडक्शन को बूस्ट करती हैं। प्रेग्नेंसी के वक्त शरीर में आयरन और फोलिक एसिड की डिमांड भी बढ़ जाती है।
ऐसे में आयरन-फोलिक एसिड की गोलियां इस जरूरत को पूरा करती हैं। ये गोलियां शरीर में नए सेल्स बनाने के साथ ही उनकी देखभाल में मदद भी करती हैं। यह कैंसर की वजह बनने वाले डीएनए में म्यूटेशन को रोकने में भी मदद करती हैं।
ग्राफिक्स: प्रेरणा झा
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