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डाउनलोड करें‘जुग जुग जिया तू ललनवा …’ जैसे सोहर गाते हुए सास, ननद, जेठानी, देवरानी सब मिलकर सोंठौरा लड्डू बनाती हैं। लड्डू में मिलाई जाने वाली सारी सामग्री प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं के शरीर में आई कमजोरी मिटाती है। डॉक्टर भी ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं के लिए इस लड्डू के खाने की पैरवी करती हैं।
सासू मां का बहू को सेहत का तोहफा
अपने परिवार में शिशु के जन्म के बाद नई दिल्ली की रिटायर्ड टीचर ऊषा गुप्ता ने बहू के लिए सोंठौरा बनाएं। उन्हें एक बार को हिचक हुई कि आज के जमाने की बहू को यह देसी पुराने अंदाज का लड्डू पसंद आएगा भी या नहीं लेकिन उनकी बहू ने कई महीनों तक इस लड्डू को खाया। बहू अदिति का कहना है कि मुझे पता है कि इसके खाने के ढेरों फायदे होते हैं, मैंने इसका जिक्र अपने मायके मध्य प्रदेश की बुजुर्ग महिलाओं के बीच सुना था। उत्तर प्रदेश की गोल्डी पांडे की सासु मां ने बहू को छह महीने तक ऐसे लड्डू बनाकर खाने को दिया।
सुनिए डॉक्टर दीदी की बात
आमतौर पर सोंठौरा के लड्डू में देसी घी, गेंहू का आटा, अलसी, गोंद, सौंठ, मेंथी दाना, मखाना, बादाम, काजू, किशमिश, छुहारा, चिरौंजी, कसा हुआ नारियल, अजवायन और हल्दी पाउडर मिलाया जाता है। इसमें शामिल कुछ सामग्री प्रेगनेंसी के बाद शरीर में होने वाली खून की कमी को दूर करती है, तो कुछ हडि्डयों को मजबूत बनाती है।
गुरूग्राम स्थित पारस हाॅस्पिटल की गाइनोकोलॉजी विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डाॅ. सीमा शर्मा के अनुसार प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं का शरीर कमजोर हो जाता है। दूसरा ब्रेस्टफीड कराने के कारण भी उनकाे अधिक पोषण की जरूरत होती है। इस लड्डू में शूगर और घी की मात्रा को कंट्रोल करके बनाया जाए, तो यह काफी पोषक होता है। अगर साेंठौरा में चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल किया जाए, तो आयरन की कमी दूर करता है। सोंठौरा खिलाने से पहले इस बात का खास ख्याल रखें कि महिला के शरीर मे कॉलेस्टेरॉल और शूगर का स्तर सही हो।
मुट्ठी में छिपी है सेहत
डिलीवरी के बाद महिलाओं में अगर थायरॉयड, काेलेस्टेरॉल, शूगर सबका स्तर कंट्रोल में है तभी इसे खाएं। यह लड्डू चूंकि स्वादिष्ट होता है इसलिए जरूरत से ज्यादा खाने से बचें। एक मुट्ठी के साइज का एक लड्डू दूध के साथ राेज लें। इंडियन स्पाइनल इंजूरीज्स सेंटर की सीनियर डायटीशियन हिमांशी शर्मा बताती हैं कि साेंठोरा में मिलाए जाने वाली गोंद में कैल्शियम , मैग्नीशियम और प्रोटीन होता है।
सौंठ की वजह से ब्लड शूगर लेवल कंट्रोल में रहता है। यह शरीर में आई सूजन को भी दूर करता है। मेंथी दाने से ब्रेस्टफीडिंग में मदद मिलती है, मां को अच्छा दूध उतरता है और बच्चा भूखा नहीं रहता। अजवायन से पेट में गैस नहीं बनती। ड्राईफ्रूट्स में मौजूद मिनरल्स प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में आई कमजोरी को जल्दी ठीक करता है।
बेबी बर्थ के तुरंत इसे जरूर खाएं
डायटीशियन हिमांशी के अनुसार, बेबी बर्थ के बाद महिलाओं को अकसर खुराक बढ़ा दी जाती है लेकिन इस बात का ध्यान नहीं रखा जाता कि क्या उनकी डायट में वे सभी तत्व शामिल है जो शरीर में आई कमी को पूरा करेंगे। पुरानी रूढ़ियों के कारण कुछ फलों और सब्जियों को ठंडा या गरम तासीर का बताकर खाने नहीं दिया जाता है।
कुछ घरों में प्रसूता की केयर की जाती है लेकिन सही जानकारी के अभाव में डायट का सही बैलेंस नहीं रख पाते मीठे का परहेज नहीं रखते और घी की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ा देते हैं।
दाल और खिचड़ी से हो सकता है कब्ज
न्यू मदर्स को हल्का खाना दिए जाने के नाम पर दाल और खिचड़ी परोसी जाती है, जिससे कब्ज हो जाता है। नॉर्मल डिलीवरी में भी कई बार स्टिचेज लगते हैं और सीजेरियन ऑपरेशन में भी टांके लगते हैं। कब्ज होने पर टांके में दर्द बढ़ जाता है इसलिए फाइबर से भरपूर फल और सब्जियां देने से आराम रहता है। पपीता, चीकू सेव जरूर दें। इसके अलावा ड्राईफ्रूट्स जैसे बादाम, मगज, किशमिश भी खाने में शामिल करें।
सही डायट न लेने पर 3-4 महीने में बाल झड़ने लगेंगे
महिला चिकित्सकों के अनुसार बेबी बर्थ के बाद महिलाएं अपने खाने पर ध्यान नहीं देती है, तो तीन-चार महीने के अंदर ही उनके हेल्थ पर इसका बुरा असर दिखने लगता है। बाल झड़ने लगते हैं, नमी की कमी के कारण स्किन ड्राई हो जाती है।
लंबे समय के बाद या दो बच्चों की डिलीवरी के बाद इस तरह की लापरवाही से शरीर में कैल्शियम की एकदम से बढ़ जाती है, इसका सीधा असर महिलाओं की हडि्डयों पर पड़ने लगता है और वह घुटने और जोड़ों के दर्द की शिकायत करने लगती हैं।ऐसी स्थिति में महिलाएं एनीमिया की भी शिकार हो जाती हैं। इसलिए सोंठौरा का लड्डू पोस्ट-प्रेगनेंसी कंप्लीट डायट सप्लीमेंट की तरह है जिसे अपनी सेहत के हिसाब से रोज खा सकती हैं।
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