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जूता दुश्मनी की जड़:शहर, दुकान और नाई तक बंटे, दो भाइयों की कलह में बनीं एडीडास-प्यूमा... जानिए इब्नबतूता की कहानी

नई दिल्ली9 महीने पहलेलेखक: अनिमेष मुखर्जी
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अगर पूछा जाए कि आप में, मुझ में, स्कूल जाते छोटे बच्चों में, कटरीना कैफ, विराट कोहली और पॉप स्टार रिहाना के पहनावे में कौन सी एक चीज कॉमन है। तो जवाब होगा स्पोर्ट्स शूज। स्पोर्ट्स शू कहें या स्नीकर, पंप शू, टेनिस शू, ट्रेनर, रनिंग शू, पीटी शू जैसा कोई और नाम दें। इन हल्के आरामदायक जूतों ने दुनिया को धीमी रफ्तार से जीत ही लिया। अब हाल यह है कि रैंप पर हाई हील की जगह स्नीकर पहनी हुईं मॉडल दिखती हैं और ‘स्नीकर हेड’ बनकर जूते कलेक्ट करना कूल बनने का एक नायाब तरीका बन गया है।

स्नीकर से जुड़े स्टाइल जानने से पहले जूतों से जुड़ा इतिहास का एक किस्सा पढ़ लीजिए।

स्नीकर्स यानी आरामदायक जूते अब क्लासिक स्टाइल में शामिल हो चुके हैं, तो इन अलग-अलग तरह के स्पोर्ट्स शू या स्नीकर में अंतर समझना, किन ड्रेस के साथ कौन से स्नीकर शू पहनने हैं, किस मौके पर क्या नहीं पहनना है, जैसी बातें समझना भी ज़रूरी हो गया है। हम स्नीकर से जुड़े स्टाइल की पूरी जानकारी देंगे, लेकिन उससे पहले इन जूतों से जुड़ा इतिहास का एक किस्सा सुनिए, ताकि इन हल्के स्नीकर्स को हल्के में लेना बंद कर दें।

हिटलर के समय में बर्लिन में ओलिंपिक का आयोजन हुआ। सन् 1936 के इन ओलिंपिक में हिटलर ‘श्वेत आर्य नस्ल’ की श्रेष्ठता साबित करना चाहता था, लेकिन अश्वेत अमेरिकी एथलीट जेसी ओवेंस ने चार गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। जेसी ओवेंस न सिर्फ इतिहास में एक अहम नायक के तौर पर दर्ज हो गए। उन्हें एक सेलेब्रिटी का दर्जा भी मिल गया।

दो भाइयों की लड़ाई में खड़ी हो गईं एडिडास और प्यूमा

जेसी ओवेंस ने इन खेलों में दो जर्मन भाइयों के बनाए बनाए जूते पहने थे। रुडॉल्फ और एडॉल्फ डास्लर नाम के इन भाइयों के डास्लर शूज की किस्मत इस ओलिंपिक से चमक गई। वे रोज हजारों जूते बनाने और बेचने लगे। पैसे आए तो साथ-साथ पारिवारिक कलह भी आई और दूसरे विश्व युद्ध की परिस्थितियों ने इनके गृह कलेश को गृहयुद्ध में बदल दिया। 1948 में दोनों भाई अलग हो गए।

अडॉल्फ डास्लर ने अपने नाम को काटकर कंपनी बनाई ‘एडिडास’, रुडॉल्फ ने भी इसी तरह से ‘रूडा’ नाम रखा, लेकिन वो चला नहीं और उन्होंने नाम बदलकर ‘प्यूमा’ कर दिया। एडिडास कंपनी जहां हर खेल के लिए अलग स्नीकर्स बनाना चाहती थी, वहीं प्यूमा का जोर आरामदायक और अच्छी क्वालिटी के स्नीकर्स बनाने पर था। दोनों कंपनियों को ऐतिहासिक सफ़लता मिली, लेकिन दोनों भाइयों की दुश्मनी बढ़ती गई।

जूतों के चलते ऐसी दुश्मनी कि शहर, दुकानदार; नाई तक बंट गए

बात यहां तक पहुंची कि इनका शहर भी दो हिस्सों में बंट गया। छोटे से कस्बे में हर कोई किसी न किसी तरह से इन दो बड़ी कंपनियों से जुड़ा था, तो एडिडास में काम करने वाले प्यूमा के वर्कर्स से बात नहीं करते, आपस में शादियां नहीं होंती। यहां तक कि एडिडास और प्यूमा पहनने वालों की दुकानें बंट गईं। बेकरी और नाई की दुकानों तक पर तय हो गया कि कहां सिर्फ एडिडास वालों को ब्रेड मिलती है और कहां प्यूमा वालों की हजामत बनाई जाती है।

इतिहास में इस शहर को झुकी हुई गर्दनों वाला शहर भी कहते हैं, क्योंकि हर कोई एक-दूसरे के जूते देखता था। अडॉल्फ और रुडॉल्फ की मृत्यु के बाद दोनों को कब्रिस्तान के बिल्कुल विपरीत कोनों पर दफनाया गया। वैसे अब इन दोनों कंपनियों में रुडॉल्फ परिवारों का कोई हिस्सा नहीं है। इनकी हिस्सेदारी काफी पहले ही बेची जा चुकी है।

अब जानते हैं कौन सी ड्रेस के साथ कौन से शूज पहने जाएं

दूसरे विश्वयुद्ध के किस्सों से आगे बढ़ते हैं। कौन सी ड्रेस के साथ कौन से जूते पहने जा सकते हैं, समझते हैं। इसके लिए पहले स्नीकर को समझिए। कुछ साल पहले तक स्पोर्ट्स शूज नाम प्रचलित था अब स्नीकर शब्द सुनाई देता है। इन दोनों में कुछ खास फर्क नहीं। स्पोर्ट्स शूज का मतलब है, खेलों के दौरान पहने जाने वाले जूते। इनमें से कई जूते खास होते हैं। उदाहरण के लिए क्रिकेट के जूतों में स्पाइक्स होते हैं, तो फुटबॉल के जूतों का सोल अलग तरह का होता है। वहीं अमेरिकी परिभाषा के अनुसार स्नीकर हर उस जूते को कह सकते हैं, जो स्पोर्ट्स शू जैसा दिखता है, लेकिन किसी खास खेल से जुड़ा नहीं होता। वैसे ये स्नीकर 40 से तरह के होते हैं पर आसानी के लिए उन्हें छह तरह के शूज में बांटा जा सकता है।

सबसे पहला प्रकार एथलीजर शूज हैं, दूसरा ड्रेस स्नीकर हैं, तीसरा चंकी स्नीकर हैं, चौथा हाई स्नीकर हैं, पांचवां कैनवास स्नीकर हैं, और छठा स्लिपऑन स्नीकर हैं। इन छह प्रकार में सभी तरह के स्नीकर कहीं न कहीं फिट हो जाएंगे। अब एक-एक करके इन्हें पहनने के सलीके के बारे में जानते हैं।

1- एथलीजर शूज: जब पुलिस मानने लगी पहनने वालों को माओवादी

एथलीजर एथलेटिक्स और लीजियर यानी आराम शब्द से मिलकर बना है। ये स्नीकर स्पोर्ट्स शूज जैसे दिखते हैं, लेकिन दौड़ने के अलावा किसी स्पोर्ट्स में इस्तेमाल नहीं होते। बड़े ब्रांड इन्हें ट्रेनिंग शूज कहकर भी बेचते हैं। एथलीजर जूतों का भारत में सबसे अच्छा उदाहरण गोल्ड स्टार है। 90 के दशक में ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय हुआ यह नेपाली ब्रांड सस्ते, मजबूत और टिकाऊ जूतों के लिए जाना जाता है। हालांकि, इसकी इन्हीं खूबियों के चलते इन्हें माओवादियों की पहचान से जोड़ा गया और 2005 के बाद नेपाल में गोल्ड स्टार पहनने वाले लोगों से पुलिस या नेपाली सेना अक्सर पूछताछ करती थी।

अब यह स्थिति बदल चुकी है। आजकल एथलीजर में हर कीमत के स्नीकर उपलब्ध हैं, जिनमें डेकथलॉन नाम का ब्रांड भारतीय शहरों में खासा लोकप्रिय हुआ है। भारत के तमाम इलाकों में सलवार सूट के साथ एथलीजर शूज़ में वॉक करती आंटियों को देखकर भारत के समाज में आए बदलाव को समझा जा सकता है।

लाल सिंह चड्ढा में आमिर खान वाली गलती आप न दोहराएं

एथलीजर वाले स्नीकर को पहनने में दो बातें याद रखिए। ये आरामदायक जूते हैं तो इन्हें ऐसे कपड़ों और माहौल में पहनें जहां कम्फर्टेबल इमेज को केयरफ्री इमेज से न जोड़ दिया जाए। कहने का मतलब, ऑफिस वगैरह में इन जूतों को न पहनें तो अच्छा है। ऐसी जगहों पर दूसरे तमाम तरीके के कैजुअल जूते पहने जा सकते हैं, लेकिन दौड़ने या जिम में पहनने वाले जूतों को कहीं और पहनने से पहले थोड़ा सोच लें। इसके अलावा, इन्हें फॉर्मल और स्किनटाइट कपड़ों के साथ पहनने से बचना चाहिए।

मूवी ‘फॉरेस्ट गंप’ पर बनी ‘लाल सिंह चड्ढा’ फिल्म में आमिर खान फॉर्मल कपड़ों के साथ ट्रेनिंग शूज पहने दिखते हैं, और हम ये पक्के तौर पर कह सकते हैं कि आमिर का फैशन सेंस बहुत अच्छा नहीं है।

2- ड्रेस स्नीकर: रणवीर, विकी, रितिक, आयुषमान और फ़रहान के फेवरेट

एथलीजर के बाद बात करते हैं ड्रेस स्नीकर की। अगर स्नीकर की कोई एक वैरायटी सबके लिए है, तो वह ड्रेस स्नीकर है। जैसा कि नाम से ही साफ होता है, इसमें ड्रेसिंग और स्नीकर दोनों का कॉम्बिनेशन है। ड्रेस स्नीकर की सबसे आसान पहचान है कि अक्सर इनका ज्यादातर सोल वाइट होता है और ऊपर का हिस्सा ब्लैक या किसी और कलर का होता है। ड्रेस स्नीकर ऐसे शूज हैं जिसे जींस, ट्राउजर, शार्ट्स, ब्लेजर किसी के भी साथ पहना जा सकता है।

अगर आप फैशनेबल दिखने का शौक रखते हैं तो आपके कलेक्शन में कम से कम एक जोड़ी ड्रेस स्नीकर होना तो जरूरी है। ड्रेस स्नीकर के नाम पर ध्यान में आने वाली पहली बात वाइट स्नीकर हैं। कम्पलीट वाइट स्नीकर आजकल हर तरह की ड्रेसेस के साथ ट्रेड में हैं। आयुषमान खुराना, रणवीर सिंह, फ़रहान अख्तर, रितिक रौशन और विकी कौशल जैसे तमाम सितारे अक्सर वाइट स्नीकर पहने देखे जा सकते हैं।

फ्लॉप एयरफोर्स-1 बंद हुआ तो खरीदारों की टूटी भीड़, 1 करोड़ से ज्यादा बिके

वाइट स्नीकर की लोकप्रियता नाइकी के एयरफोर्स-1 नाम के जूतों से शुरू हुई। सन् 1982 में लॉन्च हुए ये स्नीकर शुरुआत में सफल नहीं रहे, तो कंपनी ने दो साल बाद इन्हें बनाना बंद कर दिया। ऐसे में लोगों ने इन्हें खरीदकर अपने कलेक्शन में रखना शुरू कर दिया। वहां से इसकी लोकप्रियता वापस इतनी बढ़ी कि ये दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले स्नीकर बन गए। आज की तारीख में नाइकी हर साल एक करोड़ से ज्यादा एयरफोर्स-1 स्नीकर्स बेच देता है, जो 1700 कलर वैरिएशन में मौजूद हैं और इनमें ऐसे शूज भी आए हैं, जो धूप में अपना रंग बदल लेते हैं। कुछ समय पहले पाकिस्तान के एक ट्रक आर्टिस्ट के पेंट किए हुए इन शूज की तस्वीर भी वायरल हुई थी।

महिलाओं की बात करें, तो उन्हें यह भ्रम नहीं रखना चाहिए कि स्नीकर सिर्फ जींस के साथ मैच किए जा सकते हैं। किसी भी तरह की स्कर्ट या समर ड्रेस के साथ वाइट स्नीकर मैच किए जा सकते हैं, बस ध्यान रखें कि वह बिजनेस या एथनिक वियर न हो।

ध्यान रहे, एक स्नीकर में तीन से ज्यादा रंग न हों

अगर नाइकी के 8-10,000 का स्नीकर आपके बजट में फिट नहीं होता तो निराश न हों। लगभग हर भारतीय कंपनी आज की तारीख में वाइट स्नीकर बनाती है और आपको 800 रुपए में भी एक अच्छा स्मार्ट वाइट स्नीकर मिल जाएगा। बस सफेद स्नीकर पहनने में एक बात का ध्यान रखें, डार्क कलर की जींस या पैंट के साथ सफेद जूते लोगों का ध्यान सीधे पैरों की ओर खींचते हैं। अगर आपकी लंबाई कम है, तो इन जूतों को पहनने से हाइट और कम लगेगी। लड़कियां अगर ड्रेस या स्कर्ट के साथ स्नीकर पहन रहीं हैं, तो उन्हें ड्रेस की लंबाई के अनुपात का ध्यान रखना चाहिए। वाइट स्नीकर के अलावा पूरी तरह से काले स्नीकर, ब्लैक स्नीकर में वाइट सोल, भूरे, हल्के भूरे, गहरे हरे जैसे रंगों वाले ड्रेस स्नीकर भी अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं। बस ध्यान रखें कि किसी भी ड्रेस स्नीकर में तीन से ज्यादा रंग न हों। अगर सोल सफेद और ऊपर का हिस्सा किसी और रंग का है, तो ज़्यादा से ज़्यादा सिर्फ ब्रांड के लोगो का रंग नजर आए।

ऐसे में आप इन जूतों को जींस टीशर्ट से लेकर कोट, जैकेट या ब्लेजर के साथ पहन पाएंगे। फ्रेंड्स के साथ कैफे वगैरह जाने में ऐसे जूते काफी अच्छे लगते हैं। अगर सिर्फ जींस टीशर्ट के साथ पहनेंगे, तो हल्का-फुल्का कैजुअल लुक हो जाएगा। वहीं ब्लू जींस और सफ़ेद शर्ट या ऊपर से जैकेट पहनने पर पार्टी वियर लुक भी मिलेगा। हालांकि, बिल्कुल फॉर्मल कपड़ों पर यह स्नीकर थोड़े मिसफिट लगेंगे।

3- चंकी स्नीकरः रैपर बादशाह, शाहिद और दिलजीत का स्टाइल स्टेटमेंट

आज की तारीख में स्नीकर जमा करना एक जुनून बन चुका है और इसकी बड़ी वजह चंकी स्नीकर हैं। चंकी स्नीकर का ट्रेंड अमेरिका से शुरू हुआ। नाम के मुताबिक ये एड़ी के पास काफी बड़े होते हैं। इसके अलावा इनके डिजाइन और रंग बेहद भड़कीले होते हैं। इन स्नीकर की सबसे बड़ी खासियत इनकी कीमत है। किसी ठीक-ठाक ब्रांड के चंकी स्नीकर 15,000 के आसपास से शुरू होते हैं और डिजाइनर लेबल या किसी खास कलेक्शन वाले चंकी स्नीकर्स की कीमत लाखों में जा सकती है।

बड़े-बड़े सेलेब्रिटी इन्हें पहने दिखते हैं। अंदरूनी बनावट और मोटी कीमत वाले चंकी स्नीकर का सबसे ज़्यादा चलन आपको दिलजीत दोसांझ, मनीष पॉल, शाहिद कपूर और रैपर बादशाह जैसे पंजाब से ताल्लुक रखने वाले सितारों में दिखेगा, क्योंकि दूर से नजर आने वाले इन जूतों को देखकर, कहीं न कहीं इनकी कीमत का पता चल जाता है। साथ ही, स्नीकर 1989 में बना था और फलां अमेरिकी एथलीट ने पहना था जैसी बातें अमीर तबके में कूल किस्सों के तौर पर होती हैं।

कॉमन मैन को चंकी स्नीकर में यही सलाह दी जा सकती है कि वे इनमें सोच-समझकर पैसा लगाएं, क्योंकि ये हर मौके पर नहीं पहने जा सकते। साथ ही आपका बॉडी टाइप चंकी स्नीकर्स मैच करना चाहिए। दूबले-पतलों पर ये अच्छे नहीं लगते। इनके साथ हुडी, लूज फिट टी शर्ट या रगेड जींस मैच करने पर ही अच्छा लुक मिलता है। लड़कियों के लिए हाईवेस्ट, बैगी या बॉयफ़्रेंड जींस के साथ चंकी स्नीकर एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

4- हाई स्नीकर: बास्केटबॉल प्लेयर्स ने हिट किया इन जूतों को

हाई स्नीकर को बहुत आसानी से समझा जा सकता है। क्योंकि ये स्नीकर टखने तक ऊंचे होते हैं। किसी भी तरह के स्नीकर हाई स्नीकर हो सकते हैं, लेकिन इनमें सबसे लोकप्रिय नाम एयर जॉर्डन का है। महान बास्केटबॉल खिलाड़ी माइकल जॉर्डन के नाम से यह जूते शुरू हुए और आज हालत यह है कि छोटे-छोटे कस्बों के दुकानदार आपको एयरजॉर्डन की कॉपी बेचते और उनके मॉडल बताते मिल जाएंगे।

हाई स्नीकर पहनते समय एक बात का ध्यान रखें कि ये जूते बास्केटबॉल खिलाड़ियों के लिए बनते हैं और बास्केटबॉल खिलाड़ी बेहद लंबे होते हैं, तो औसत से कम लंबाई वाले लड़कों को ऐसे जूतों का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। लड़कियों के लिए शॉर्ट ड्रेस या हाई ऐंकल जींस के साथ हाई स्नीकर अच्छा ऑप्शन है।

5- कैनवास स्नीकरः पीटी शू जिनमें पानी के जहाज से आई ‘प्लिमसोल लाइन’

कैनवास स्नीकर इस पूरी लिस्ट में सबसे मजेदार शूज हैं। अगर आपकी मम्मी इन्हें देख लें तो हो सकता है कि कहें- अरे ये तो बचपन वाले पीटी शू हैं जिन्हें बचपन में खड़िया लगाकर सफेद चमकाया जाता था। कैनवास के बने जूते जिनका निचला हिस्सा रबर का होता है और उस पर एक गहरे रंग की लाइन खिंची होती है। इस लाइन को ‘प्लिमसोल लाइन’ कहते हैं और इस लाइन का एक पूरा इतिहास है। पुराने पानी के जहाजों में इस तरह की एक लाइन होती थी जिससे पता चलता था कि जहाज़ पानी में कहां तक रहेगा। जूतों की ये लाइन भी उस लाइन की याद दिलाती है और बताती है कि इस लाइन से नीचे पानी हो तो पहनने वाले के पैर नहीं भीगेंगे।

दुनिया भर में फॉलो हुआ अंग्रेजों अफसरों के टेनिस शूज का स्टाइल

अंग्रेज़ सैन्य अधिकारी टेनिस खेलने में इन जूतों का इस्तेमाल करते थे। इसीलिए, भारत जैसे कॉमनवेल्थ देशों में ये कपड़े वाले जूते स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन का हिस्सा बने। एक समय तक सेना में जवानों को मिलने वाली अहम सजा कैनवस के जूतों को साफ करना भी होती थी। सन् 1908 में कन्वर्स नाम की कंपनी ने कपड़े से बने इन रंगीन जूतों का प्रचार बास्केटबॉल खिलाड़ियों से करवाना शुरू किया और ये स्नीकर ऑल टाइम फेवरेट स्टाइल बन गए।

इन रंगीन जूतों को किसी भी तरह के कैजुअल या सेमी फॉर्मल कपड़ों के साथ पहना जा सकता है। ये जींस टीशर्ट, चेक शर्ट, डेनिम जैकेट के साथ अच्छे से मैच करते हैं। वैसे इनके रंग को कपड़ों के किसी रंग से मैच करना और भी स्टाइलिश बना सकता है।

6- स्लिपऑनः नेटफ्लिक्स सीरीज ‘स्क्विड गेम्स’ से बढ़ी दुनिया में मांग

स्लिपऑन यानी बिना फीते वाले स्नीकर को काफी समय तक बुजुर्गों का जूता माना जाता था, लेकिन नेटफ्लिक्स की सीरीज ‘स्क्विड गेम्स’ ने इसका खेल एकदम से बदल दिया। इस कोरियन टीवी सीरीज में हर खिलाड़ी सफेद स्लिपऑन स्नीकर पहनता है। ये सीरीज जहां-जहां रिलीज हुई वहां स्नीकर की मांग बेतहाशा बढ़ गई। सीरीज के रिलीज होने के बाद वैन्स (Vans) कंपनी के इन जूतों की मांग दुनिया में 7800 प्रतिशत बढ़ गई। अब इन जूतों को कोई बुजुर्गों का जूता नहीं मानता।

इन पर वही सारे नियम लागू होते हैं, जो बाकी स्नीकर पर होते हैं। बस फीते न होने की वजह से ये गर्म मौसम में कम्फर्टेबल लगते हैं। अक्सर सैंडल पहनने की आदत के चलते लड़कियां कई बार फीते वाले जूते पहनने से बचती हैं। ऐसे में स्लिपऑन स्नीकर अच्छा ऑप्शन है। गहरे रंग की कैप्री के साथ हल्के रंग के स्लिपऑन स्नीकर आपको स्टाइलिश लुक देंगे। जिसे कॉलेज से लेकर ऑफिस तक कई तरीकों से पहना जा सकता है।

हर्षवर्धन कपूर ने भारत में किया ‘स्नीकर्स हेड कल्चर’ हिट

आखिरी बात, स्पोर्ट्स शूज या स्नीकर कुछ समय रहने वाला फैशन नहीं है, लेकिन इसमें अमेरिकन स्नीकर संस्कृति का बोलबाला है। अमेरिकन प्रभाव वाले स्नीकर बेहद महंगे होते हैं और इनके महंगे होने की कोई खास वजह नहीं होती। हर्षवर्धन कपूर जैसे अभिनेताओं ने करोड़ों रुपए के स्पोर्ट्स शूज जमा करके भारत में ‘स्नीकर हेड कल्चर’ को लोकप्रिय बनाया है, लेकिन आम आदमी के लिए यह आखिर में है ये ले-देके एक जूता ही है। इसलिए ब्रांड के मोह से परे निकलकर देखेंगे, तो कई भारतीय ब्रांड्स में आपको बेहद कम कीमत पर शानदार स्पोर्ट्स शूज या स्नीकर मिल जाएंगे। हां, और अपने बजट के हिसाब से एक जोड़ी ड्रेस स्नीकर या कैनवास स्नीकर ले सकते हैं। कई तरह के मौकों पर ड्रेसेस के साथ मिक्स-मैच करके ये जूते आपके लिए पैसा वसूल साबित होंगे।

चलते-चलते पूछ लें, आपके स्नीकर्स चुर्रर्रर्र की आवाज तो नहीं करते?

घुमक्कड़ी के लिए दुनिया भर में मशहूर इब्नबतूता और जूते के कनेक्शन को लेकर भारत में कई किस्से मशहूर हैं। कहा जाता है इब्नबतूता सुबह-सुबह टहलने निकलते तो अपने बगल में एक जोड़ी जूते लेकर चलते, क्योंकि वह अक्सर लंबी यात्राओं पर निकल जाते थे। उन्होंने ऐसे ही कुल 1 लाख 20 हजार किलोमीटर लंबी यात्राएं कीं। इब्नबतूता भारत भी आए थे और दिल्ली के काजी यानी जज भी रहे थे। गुलजार का ‘इश्किया’ फिल्म के लिए लिखा गया गाना, ‘इब्नबतूता, पहन के जूता, पहने तो करता है चुर्रर्रर्र…’ काफी फेमस हुआ। लेकिन उनसे पहले सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने भी इब्नबतूता पर एक कविता लिखी थी, जिसमें भी इब्नबतूता और उसन जूता दोनों आए हैं…

इब्न-बतूता पहन के जूता

निकल पड़े तूफान में

थोड़ी हवा नाक में घुस गई

घुस गई थोड़ी कान में

कभी नाक को, कभी कान को

मलते इब्न-बतूता

इसी बीच में निकल पड़ा

उनके पैरों का जूता

उड़ते-उड़ते जूता उनका

जा पहुँचा जापान में

इब्न-बतूता खड़े रह गए

मोची की दुकान में

(अनिमेष मुखर्जी फूड और फैशन ब्लॉगर हैं)

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