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डाउनलोड करेंआमतौर पर हम दांतों की सफाई को लेकर सीरियस नहीं होते। कोई भी टूथ ब्रश या पेस्ट हो, चल जाता है। 2 या 4 मिनट दांतों पर ब्रश चल गए, बस हो गया।
लेकिन दांंतों की ठीक से सफाई हुई या नहीं, जो खाना आपने खाया था उसके टुकड़े फंसे तो नहीं, क्या आपने कभी चेक किया है। नहीं किया है तो कर लीजिए। क्योंकि ओरल हाइजीन नहीं होने से हार्ट अटैक भी आ सकता है।
डेंटल सर्जन डॉ. जेके भगत कहते हैं लोग दांतों की सफाई को लेकर लापरवाह रहते हैं। दरअसल, 40 से ऊपर उम्र हो गई है दांतों को लेकर अलर्ट हो जाइए। यदि ओरल हाइजीन ठीक नहीं रहा तो दांतों पर प्लाक जमता जाता है। यह फिर टार्टर में कन्वर्ट हो जाता है।
दरअसल, प्लाक या टार्टर होने की स्थिति में दांतों पर बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं। ये बैक्टीरिया हमारे ब्लड स्ट्रीम में चले जाते हैं। ये धीरे-धीरे हार्ट वॉल्व को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। हार्ट वॉल्व में होल हो जाता है। इस स्थिति को सब एक्युट बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस कहते हैं। जिन्हें पहले से ही हृदय से जुड़ी बीमारियां हों उन्हें हार्ट अटैक तक आ सकता है।
पार्क हॉस्पिटल नई दिल्ली की डेंटल सर्जन डॉ. कोमल गुलिया कहती हैं प्लाक लंग्स तक फैल सकता है। इससे न्यूमोनिया भी हो सकता है। प्लॉक में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से ब्लड क्लॉट हो सकता है। इससे ब्रेन स्ट्रोक होने की भी आशंका रहती है। कई शोध में यह भी पाया गया है कि वैसी महिलाएं जो दांत की बीमारियों से पीड़ित रहीं हैं उन्हें ब्रेस्ट कैंसर भी हो सकता है।
दांत पीले हैं तो सावधान हो जाएं
कई लोग दांत क्लीन नहीं करवाना चाहते। डॉ. भगत कहते हैं दरअसल यह मिथ है कि दांत साफ करवाने से एनामेल निकल जाएंगे या मसूड़े कमजोर हो जाएंगे। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि दांत हिल जाएंगे। लेकिन यह सही नहीं है।
दांत पीले हो गए हैं तो इसका मतलब साफ है कि इस पर प्लाक जमा हो गया है। यानी नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया हैं। ये दांतों को कमजोर करते हैं। जब हम खाते हैं या पीते हैं तो इन प्लाक के अंदर मौजूद बैक्टीरिया एसिड छोड़ते हैं। यह पूरे डाइजेस्टिव सिस्टम को भी गड़बड़ करता है।
स्ट्रेस से भी दुखते हैं दांत
स्ट्रेस में हैं तो भी दांतों में दर्द होता है। कोविड पीरियड के दौरान डेंटिस्ट ने सर्वे में पाया है कि लंबे समय से यदि कोई तनाव में रहे तो मसूड़ों में सूजन होता है। जबड़ों में दर्द होता है। कोविड को लेकर लोगों में स्ट्रेस अधिक रहा तो दांतों में तकलीफ के मामले भी अधिक सामने आए।
आनुवंशिक भी हो सकती है दांतों की बीमारी
कभी सोचा है कि आपके दादा या पिता को दांतों में तकलीफ रही है तो यह आपको भी हो सकती है। यह हेरेडेटरी हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि बचपन से ही दिखना शुरू हो जाता है। हालांकि तब यह एग्रेसिव मोड में नहीं रहता। लेकिन 40 वर्ष से ऊपर उम्र होने पर दांतों की परेशानी बढ़ जाती है।
डायबेटिक कंट्रोल भी रखना होगा
डायबेटिक मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। अगर डायबेटिक कंट्रोल में न हो तो दांतों के आसपास जो भी स्ट्रक्चर हैं उन्हें नुकसान पहुंचता है। मसूड़े लूज होने लगते हैं।
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