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प्रेग्नेंसी में संबंध बनाना गुड है या बैड:ब्रिटनी स्पीयर्स इसे मानती हैं जरूरी, पर बेबी कितना सेफ

नई दिल्लीएक वर्ष पहलेलेखक: निशा सिन्हा
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सिंगर ब्रिटनी स्पीयर्स ने स्वीकारा कि उन्होंने प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स किया। तो क्या? यह नाॅर्मल और हेल्दी है या फिर इससे बेबी को नुकसान पहुंच सकता है।

अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह में ब्रिटनी ने इंस्टाग्राम पोस्ट से एक खुशी की खबर शेयर की। उन्होंने बताया कि वह अपने हसबैंड सैम असगरी के बच्चे की मां बननेवाली हैं। इस पॉप सिंगर के अपने एक्स-हसबैंड केविन फेडेरलीन से दो बच्चे हैं सीन और जेडेन।
अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह में ब्रिटनी ने इंस्टाग्राम पोस्ट से एक खुशी की खबर शेयर की। उन्होंने बताया कि वह अपने हसबैंड सैम असगरी के बच्चे की मां बननेवाली हैं। इस पॉप सिंगर के अपने एक्स-हसबैंड केविन फेडेरलीन से दो बच्चे हैं सीन और जेडेन।

विवादों से भरी ब्रिटनी की बातें
ब्रिटनी ने स्वीकारा कि प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स सबसे सुखद होता है। ब्रिटनी के अनुसार वे अपनी पहले की प्रेग्नेंसी में डिप्रेशन से गुजर रही थी। इस बार वह अपनी प्रेग्नेंसी के दिनों को विचारों, किताबों, मेकअप, क्लासिक मूवीज, गहरी बाताें और पहले से बेहतर सेक्स के साथ गुजारना चाहेंगी।

सोर्स : नेशनल चाइल्ड बर्थ, चैरिटी संस्था यूके
सोर्स : नेशनल चाइल्ड बर्थ, चैरिटी संस्था यूके

क्या वाकई खतरा है
कपल के मन में यह धारणा होती है कि गर्भावस्था के दिनों में शारीरिक संबंध बनाने से बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है लेकिन स्टडी ऐसा नहीं मानती। यूएसए के नॉर्थ कैरोलिना के 3 प्री-नटल क्लिनिक जानेवाली करीब 600 महिलाओं पर इसी विषय को लेकर अध्ययन किया गया। इसके अनुसार प्रेग्नेंसी के 29 से 36वें सप्ताह में सेक्शुअल एक्टिविटी की वजह से प्रीटर्म डिलीवरी की आशंका नहीं रहती और ना ही इसकी आशंका अधिक हो जाती है।

आस्ट्रिया, कनाडा, चीन, जर्मनी, यूएस, पाकिस्तान, पुर्तगाल और ताईवान के पर गर्भावस्था में कपल की इच्छाओं का अध्ययन किया गया। करीब 20 सालों के कई अध्ययनों के लेखाजोखा की मानें, तो प्रेग्नेंसी के दिनों में वजाइनल इंटरकोर्स की फ्रेंक्वेंसी कम होती चली जाती है। गर्भधारण करने से लेकर पहली तिमाही में यह कमी देखी जाती है।
आस्ट्रिया, कनाडा, चीन, जर्मनी, यूएस, पाकिस्तान, पुर्तगाल और ताईवान के पर गर्भावस्था में कपल की इच्छाओं का अध्ययन किया गया। करीब 20 सालों के कई अध्ययनों के लेखाजोखा की मानें, तो प्रेग्नेंसी के दिनों में वजाइनल इंटरकोर्स की फ्रेंक्वेंसी कम होती चली जाती है। गर्भधारण करने से लेकर पहली तिमाही में यह कमी देखी जाती है।

अलग-अलग ट्राईमेस्टर और चाहतें
यूके की सबसे बड़ी पेरेंट चैरिटी संस्था नेशनल चाइल्ड बर्थ के अनुसार, “गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में महिला को उबकाई सी महसूस होती है, थकान की शिकायत रहती है, गर्भपात होने का डर सताता है और महिलाओं को अपने बदले शरीर में हो रहे बदलावों की वजह से झिझक महसूस होती है।
जहां तक दूसरे ट्राइमेस्टर की बात है, तो इस समय तक महिलाएं अपने बदलते शरीर को स्वीकार कर लेती हैं। इस वजह से सेक्स लालसाओं को नहीं दबाती है। दूसरी तिमाही तक कपल के मन में संबंधों को लेकर आत्मविश्वास बढ़ जाता है। तीसरी तिमाही आते-आते शारीरिक रिश्तों में कुछ खास तरीके से बचते हैं।”

कुछ खास शारीरिक संबंध पर पड़ता है असर
जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च में प्रकाशित एक रिपोर्ट को समझें। इसमें प्रेग्नेंसी के दौरान और बेबी के जन्म के बाद सेक्स लाइफ पर की समीक्षा का अध्ययन किया गया। इस रिव्यू में 56 स्टडीज को शामिल किया गया। इसमें यह जानने की कोशिश की गई कि इस दौरान प्रेग्नेंसी के दौरान कपल क्या चाहते हैं?
मनस्थली वेलनेस क्लीनिक की साइकेट्रिस्ट डॉ. ज्योति कपूर के अनुसार, “प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्शुअल इंटीमेसी कपल के बॉन्ड को मजबूत बनाता है लेकिन इससे भी जरूरी है कि कपल अपनी भावनाओं को एक-दूसरे से शेयर करें। अगर किसी के मन में रिलेशनशिप को लेकर डर हो, तो उसका समाधान निकालें। शारीरिक सुख पाने के दूसरे तरीकों पर बातें करें। अगर महिला की मेडिकल कंडीशन्स में किसी तरह की प्रॉब्लम है, ताे पार्टनर को इसे समझना जरूरी है।”

गर्भावस्था के पहले चरण में महिला में कई तरह के बदलाव आते हैं। इस वजह से और कई दूसरे कारणों से शारीरिक संबंधों को लेकर इनमें उदासीनता देखी जा सकती है।प्रेग्नेंसी के सेकेंड और थर्ड ट्राइमेस्टर में इसमें और कमी आ जाती है। सेक्शुअल इंटीमेसी आए ये सारे बदलाव वजाइनल इंटरकोर्स के मामले में देखा गया । सेक्शुअल इंटीमेसी के दूसरे तरीके में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया।
गर्भावस्था के पहले चरण में महिला में कई तरह के बदलाव आते हैं। इस वजह से और कई दूसरे कारणों से शारीरिक संबंधों को लेकर इनमें उदासीनता देखी जा सकती है।प्रेग्नेंसी के सेकेंड और थर्ड ट्राइमेस्टर में इसमें और कमी आ जाती है। सेक्शुअल इंटीमेसी आए ये सारे बदलाव वजाइनल इंटरकोर्स के मामले में देखा गया । सेक्शुअल इंटीमेसी के दूसरे तरीके में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया।

तो क्या, ऐसे में मिसकैरिज की आशंका होती है
अक्सर कई लोगों के मन में यह डर होता है कि गर्भावस्था के दौरान शारीरिक संबंध बनाने से मिसकैरिज हो सकता है लेकिन डॉक्टर का कहना है कि ऐसा कुछ खास मेडिकल स्थितियों में होता है। गुरूग्राम स्थित क्लाउडनाइन हाॅस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रितू सेठी के अनुसार, “मां और बच्चे दोनों के लिए प्रेग्नेंसी बेहद नाजुक स्थिति होती है।
कुछ खास स्थितियों में शारीरिक संबंध बनाना महिला के लिए नुकसानदेह हो सकता है लेकिन यह भी सच है कि इस संबंध से गर्भस्थ शिशु को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है। मां के गर्भ में शिशु अमीनिओटिक फ्लूड से घिरा रहता है। यह बच्चे के लिए कुशन का काम करता है।” महिला का प्लेसेंटा नीचे होने से इंटरकोर्स के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है और इससे बच्चे को नुकसान हो सकता है।

ब्रिटनी स्पीयर्स अपने हसबैंड सैम असगरी के साथ ।
ब्रिटनी स्पीयर्स अपने हसबैंड सैम असगरी के साथ ।

डॉक्टर की बात को ध्यान से समझें
डॉ. रितू सेठी बताती हैं कि प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में महिलाओं के शरीर में ढेरों हॉरमोनल चेंज होते हैं, वॉमिटिंग होती है। ऐसे में शारीरिक संबंध बनाने में दिक्कत होती है। इसके अलावा उनका सेक्स ड्राइव भी कम रहता है। दूसरी तिमाही में शरीर में हॉरमोनल संतुलन होना शुरू हो जाता है। ऐसे में महिलाएं संबंध बनाने में थोड़ा सहज हो जाती है।

पहली तिमाही में इंटरकोर्स के लिए मना किया जाता है क्योंकि इस समय बेबी का विकास हो रहा होता है। ऐसे में संबंध बनाने की वजह से ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो जाती है या फिर गर्भनाल अलग हो जाए, तो मां को दिक्कत आ सकती है। सेकंड ट्राइमेस्टर को सेफ कहा जा सकता है लेकिन आखिरी 3 हफ्तों में कोई भी पेशेंट प्रीटर्म लेबर में जा सकता है। ऐसे केस में भी संबंध बनाने से मना किया जाता है।