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बांझपन पाप नहीं:'भगवान ने कोख तो दी, बस उसमें संतान का बीज नहीं बोया, मेरा जीना ही बेकार है, मैं मर जाना चाहती हूं’

एक वर्ष पहलेलेखक: मीना
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‘मेरी शादी को 12 साल हो गए हैं पर बच्चा नहीं हुआ है। ऐसा नहीं है कि हमने कोशिश नहीं की। शुरू के 4 साल बहुत कोशिश की, लेकिन कोई नतीजा हासिल नहीं हुआ। डॉक्टर के पास गई तो वहां भी कोई मेडिकल कंडीशन की जानकारी नहीं मिली। शादी के इतने समय बाद भी मां नहीं बन पाने से मुझे आत्म ग्लानि हो रही थी। मन में ख्याल आता कि खुद को खत्म कर लूं। जब मां नहीं बन सकती तो मेरा जीना ही बेकार है। भगवान ने कोख दी लेकिन उसे खाली छोड़ दिया, न जाने मैंने कौन सी गलती की कि भगवान मुझे अधूरा रखना चाहता है। रात भर सोती नहीं, सिर्फ मरने के ख्याल आते।’ दिल्ली में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक कहती हैं आज से छह महीने पहले मेरे पास यह केस आया था।

यह हमारे समाज का दुर्भाग्य है कि अगर कोई महिला मां नहीं बन पाती तो वह किस हद तक खुद को नुकसान पहुंचाने का सोच लेती है। यह स्थिति दुखद होने के साथ-साथ अमानवीय भी है।
अपनों से मिलता है दोष
भोपाल के बंसल अस्पताल में साइकेट्रिस्ट डॉ.सत्यकांत त्रिवेदी का कहना है कि किसी महिला को बांझ जैसे शब्द इसलिए मानसिक रूप से ज्यादा परेशान करते हैं क्योंकि ये कहने वाले सास-ननद, ससुर या कोई अपना होता है। अपनों की तरफ से मिली नफरत की वजह से बेटियां खुद की नजर में कमजोर पड़ने लगती हैं। उनका आत्मविश्वास झकझोर दिया जाता है।

तनाव बांझपन का बड़ा कारण
दिल्ली के बतरा अस्पताल में गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. शैली बतरा का कहना है कि किसी महिला का मां न बनने का मतलब यह नहीं है कि उसमें कोई कमी है बल्कि बांझपन हस्बैंड और वाइफ दोनों की परेशानी है।
बांझ होना तब समझा जाता है जब हस्बैंड, वाइफ के साथ रहते हुए भी शादी के एक साल बाद भी बच्चा न ठहरे। डॉ. बतरा का कहना है कि नए शादीशुदा जोड़ों की यह समस्या होती है कि वे शादी के दो महीने के भीतर ही रिजल्ट चाहते हैं। जब यह नहीं होता तब महिला पर दबाव डाला जाता है। वह एंग्जायटी में चली जाती है। स्ट्रेस इनफर्टिलिटी को और बढ़ा देता है।

फर्टिलिटी के लिए क्या जरूरी? फर्टिलिटी के लिए तीन चीजें चाहिए। पहला, हर महीने अंडे बनने चाहिए। अगर अंडा नहीं बन रहा है तो प्रेग्रेंसी नहीं ठहरेगी। आजकल पीसीओडी की वजह से भी अंडा नहीं बनता, लेकिन यह दवाओं से ठीक हो सकता है। दूसरा, ट्यूब का ब्लॉक होना और अंडे का यूटरस में न पहुंचना। अगर ट्यूब ब्लॉक है तो प्रेग्नेंसी नहीं होगी। ट्यूब ब्लॉक का बड़ा कारण हमारे देश में टीबी है। ट्यूब बंद होने से प्रेग्नेंसी नहीं ठहरती। तीसरा, हस्बैंड का स्पर्म काउंट लो होना खासकर वो पुरुष जो बहुत ड्रिंक करते हैं, उनमें स्पर्म काउंट कम होता है, लेकिन दवाओं से यह भी ठीक हो सकता है। तनाव में एग रिलीज नहीं होता। इससे बचने के लिए मन की शांति जरूरी है।

खुद को कैसे समझाएं
डॉ. सत्यकांत का कहना है कि बांझपन के प्रति हमें समाज में जागरुकता लाने की जरूरत है। बच्चा नहीं होना महिला के आत्मविश्वास से ऊपर नहीं है। स्त्री की स्त्रीत्व बच्चा होने या न होने से परे होनी चाहिए। बच्चा नहीं होना कमी नहीं है, दोष नहीं है, इसका उपचार संभव है।
डॉ. शैली के मुताबिक, हमें बच्चे से ज्यादा महिला के बारे में सोचना चाहिए। वह किसी परिवार का हिस्सा है इसलिए उसे घर का सदस्य समझकर अपनापन और आत्मविश्वास से भर देना चाहिए। अगर साल भर के भीतर बच्चा नहीं भी होता है तो उसे दोष न दें, बल्कि उसका साथ दें। डॉ. प्रज्ञा ने जिस केस स्टडी के बारे में बताया था, उस महिला को मन से ठीक करने में दो साल लगे। अब उस कपल ने एक बच्चा गोद लिया है, जिससे उनके परिवार में खुशियां हैं। ऐसे में सोसायटी को समझना होगा कि किसी को दोष देने से बेहतर है समस्या के हल के बारे में सोचा जाए। जो विकल्प हमारे सामने हैं उनका इस्तेमाल करना चाहिए।