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डाउनलोड करेंहोली नजदीक है। कोविड के लगभग दो साल बाद ऐसा मौका आया है, जब लोग खुलकर होली खेलने के मूड में हैं। इसी बीच, चीन में कोविड केस बढ़ने के मामले फिर से सुर्खियों में हैं। अगर, आपने भी इस बार जमकर होली खेलने की प्लानिंग कर रखी है, तो इसके साथ ही कुछ जरूरी बातों पर गौर करें, ताकि होली के दिन या उसके बाद आपको और आपके परिवार को सेहत के लिए परेशान न होना पड़े। उत्सव कैसे मनाएं कि बीमारी न घेरे, इस पर बात कर रही हैं, आयुर्वेदिक डॉ. श्रीललिथा अविनाश।
खेलने से पहले जान लें रंगों से होने वाले नुकसान
बाजार में केमिकल युक्त रंग और गुलाल मिलते हैं, जिनका रंग आसानी से नहीं उतरता। कुछ एक गुलाल में धूल/बालू के कण भी होते हैं, जिनकी वजह से त्वचा का छिलना, एलर्जी, खुजली और लालपन की समस्या हो सकती है। ऐसे में सबसे पहले रंगों को चुनने के दौरान उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दें। अगर ऐसा नहीं किया, तो रंगों से आंख, फेफड़े, कान, बाल और त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। रंग ऐसे हों, जो सिर्फ पानी से धोने पर ही निकल जाएं। गहरे रंग त्वचा के रोमछिद्रों से शरीर के अंदर तक जाते हैं और सेहत पर बुरा असर डालते हैं। इसलिए रंग खरीदने के दौरान सावधानी बरतें।
होली खेलने के लिए कैसे रंग चुनें?
होली खेलने के दौरान लोग जोश में होते हैं। उनका लक्ष्य होता है कि ऐसे रंग चुने जाएं, जो धोने पर जल्दी से साफ न हों। बात जब अपनी और परिवार की सुरक्षा का हो, तो रंगों के चयन में सावधानी बरतना जरूरी है। नीले, हरे, गुलाबी और सिल्वर कलर के गीले रंग के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे रंगों के बजाय पीला, हल्का गुलाबी गुलाल का इस्तेमाल करें। ये आसानी से साफ हो जाते हैं और त्वचा के लिए कम नुकसानदायक होते हैं। अगर कोई व्यक्ति आपके लिए गहरे रंग लेकर आया है, तो उन रंगों की जगह आप उसे गुलाल दें, ताकि वो आपको आपकी पसंद का गुलाल लगाएं।
क्या करें कि होली खेलकर बीमार न होना पड़े
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