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डाउनलोड करेंकोरोना की तीसरी लहर के बीच स्कूल और कई सेक्टर के ऑफिस बंद हैं। बिना किसी से मिले और कहीं गए सारे दिन घर पर रहना लोगों के लिए बड़ी चुनौती है, वो भी तब जब उन्हें इसकी आदत नहीं रही हो। ऐसे में समय बिताने के लिए रोज के काम के अलावा लोग फ़िल्में देख रहे हैं, गेम्स खेल रहे हैं और इसके साथ-साथ बिना सोचे-समझे खा रहे हैं। देर रात को भूख लगी, तब भी खा रहे हैं और ऑफिस का काम निपटाते हुए चटपटे चिप्स के चटकारे ले रहे हैं। दिनभर खाना एक तरह की बीमारी मानी जाती है, जिसका जुड़ाव इंसान के दिमाग से होता है। सारे दिन खाने की इसी आदत पर बात कर रही हैं मेट्रो हॉस्पिटल की सीनियर सायकेट्रिस्ट डॉ. अवनि तिवारी।
क्या है बिंज ईटिंग डिसऑर्डर?
बिंज का मतलब ही है लगातार। जब आप कोई काम बिना समय देखे, रूटीन से अलग हटकर करते हैं, तब वह बिंज कहलाता है। जब इसमें हम खाने की आदत जोड़ दें, तो वह बिंज ईटिंग डिसऑर्डर कहलाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि ये हमारे स्वाद और खाने की इच्छा से नहीं, बल्कि मानसिक परेशानी से जुड़ा है। जब इंसान दिमागी तौर पर अशांत रहता है, तब वह खाने में ऐसी आदतें शामिल कर लेता है। डॉ. तिवारी बताती हैं कि इस तरह से खाने वाले लोग अक्सर डिप्रेशन या एंग्जायटी से जूझ रहे होते हैं।
इस डिसऑर्डर में कैसा होता है लोगों का ईटिंग पैटर्न?
क्या हो सकती है इसकी वजह?
डॉ. अवनि के मुताबिक, जब भी व्यक्ति परेशान होता है, जरूरत से ज्यादा खाना उसके लिए आम बात होती है। उन्हें अपने अजीबो-गरीब तरह से खाने का पता तो होता है, लेकिन वो खुद को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। इस डिसऑर्डर के होने की कई वजह हो सकती हैं।
जेनेटिक - अगर परिवार के किसी सदस्य को बिंज ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या रही हो, तो मुमकिन है कि किसी अन्य सदस्य के साथ भी यही परेशानी हो जाए।
इमोशनल ट्रॉमा - कोई बात जिससे इंसान दुखी हो या भूल पाने में नाकामयाब हो, इसकी वजह से भी लोगों में बिंज ईटिंग डिसऑर्डर देखा जाता है।
डाइटिंग - कई बार अत्यधिक डाइटिंग की वजह से भी लोगों में यह डिसऑर्डर देखा जाता है। जो अपनी बॉडी या वजन की वजह से स्ट्रिक्ट डाइटिंग करते हैं, जब उन्हें खाने का मौका मिलता है, तब वे जो मिले वो खाने लगते हैं।
सायकोलॉजिकल डिसऑर्डर - एक रिपोर्ट के मुताबिक बिंज ईटिंग डिसऑर्डर के 80% मामलों में किसी न किसी तरह का सायकोलॉजिकल डिसऑर्डर देखा गया है। इस स्थिति से गुजरने वाले लोग पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन, एंग्जायटी या किसी फोबिया के शिकार होते हैं।
डॉ. तिवारी के मुताबिक, इस समस्या से बचने के लिए सायकोलॉजिस्ट की मदद ले सकते हैं। बिहेवियर थेरेपी के अलावा मेडिसिन्स की मदद से लगातार खाने की बुरी आदत से पीछा छूट सकता है।
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