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केमिकल वाले रंगों से नींद आती है:चढ़ता है नशा, इसका इस्तेमाल लिवर-किडनी को पहुंचाता है नुकसान, स्किन को हो सकती है एलर्जी

एक वर्ष पहले
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होली करीब है। घरों में तैयारियां शुरू हो चुकी है। लोग घरों की ओर लौटने के लिए टिकट करवा चुके हैं। फाग गीत और रंगों के बीच सभी खुशियों में झूमते हैं। होली वाले दिन सुबह से ही मन उत्साहित रहता है। पकवानों की की तेज महक एक घर से निकलकर दूसरे घर तक पहुंचती है। होली वाले दिन भूख तो जोरदार लगती ही है, रंग खेलने के बाद नींद भी खूब आती है। ऐसा क्यों होता है, यह सवाल कितनों के मन में घूमता रहता है, लेकिन जवाब रंग का नशा कहकर खत्म हो जाता है। रंगों का ये नशा क्यों होता है, बता रही हैं फिजिशियन डॉ. अंजू मलिक।

अगर घर पर बच्चे हैं, तो हर्बल कलर का इस्तेमाल करें, ताकि वे सुरक्षित रहें।
अगर घर पर बच्चे हैं, तो हर्बल कलर का इस्तेमाल करें, ताकि वे सुरक्षित रहें।

किसी को होली के रंगों में सराबोर करने के लिए आप क्या करते हैं?

होली के जश्न का मौका और अपनों का साथ। इस दिन को खूबसूरत बनाने के लिए हम सब जी भरकर रंग खेलते हैं। गुलाल और रंग सिर्फ चेहरे पर ही नहीं, बल्कि हाथ, गले और सिर पर डाल देते हैं। होली खेलने का यही तरीका ज्यादातर लोग अपनाते हैं। पैकेट के पैकेट गुलाल सिर पर डालते हैं।

अभी फूलों का मौसम हैं, फूलों की होली खेलकर प्रकृति और खुद को नुकसान से बचाएं।
अभी फूलों का मौसम हैं, फूलों की होली खेलकर प्रकृति और खुद को नुकसान से बचाएं।

रंग खेलने के बाद लोगों को नशा क्यों होता है?

डॉ. अंजू के मुताबिक रंगों में अधिक मात्रा में केमिकल्स पाए जाते हैं। इन केमिकल्स में लेड, मरकरी और कैडमियम जैसे हेवी मेटल होते हैं, जो शरीर के बाहरी और भीतरी हिस्से को नुकसान पहुंचाते हैं। रंग खेलने के दौरान मुंह, नाक, कान और त्वचा के रोम छिद्रों के जरिए इन मेटल्स के कण शरीर के अंदर जाते हैं। जिसकी वजह से सिर में भारीपन महसूस होता है। भूख ज्यादा लगती है और नींद अधिक आती है।

होली के दौरान रंगों से सराबोर हो जाने की वजह से नींद अधिक आती है।
होली के दौरान रंगों से सराबोर हो जाने की वजह से नींद अधिक आती है।

मिलावट वाले रंग सेहत के लिए कितने खतरनाक?

  • त्वचा में जलन और खुजली की समस्या हो सकती है।
  • सिरदर्द या सिर में भारीपन महसूस होता है।
  • मिलावट वाले रंगों की वजह से फेफड़ों में एलर्जी हो सकती है।
  • इन रंगों का असर किडनी-लिवर पर भी पड़ सकता है।
  • केमिकल्स युक्त रंगों की वजह से कैंसर होने की आशंका भी बनी रहती है।
होली खेलने के लिए किसी के साथ मस्ती में जोर-जबरदस्ती न करें, इससे रंग आंखों में जा सकता है।
होली खेलने के लिए किसी के साथ मस्ती में जोर-जबरदस्ती न करें, इससे रंग आंखों में जा सकता है।

कैसे खेलें होली कि न हो आपको नुकसान

नेचुरल रंगों का इस्तेमाल करें। हर्बल और ऑर्गेनिक रंगों की होली खुशियां देने के साथ-साथ इको-फ्रेंडली भी होती है। यह सेहत और स्किन के लिए अच्छी होने के साथ-साथ प्रकृति के लिए भी अच्छी होती है। गीला रंग बनाना चाहती हैं, तो टेसू के फूलों को उबालकर उसका पानी होली खेलने के लिए इस्तेमाल करें। बीट-रूट को उबालकर उसके पानी को भी बतौर रंग इस्तेमाल किया जा सकता है। मेंहदी पाउडर से ग्रीन कलर बनाएं या फिर हल्दी, बेसन और चंदन मिलाकर स्किन फ्रेंडली कलर अपनाएं। इनका इस्तेमाल आपकी स्किन का ख्याल रखने के साथ-साथ हर उस शख्स की सेहत का ध्यान रखेगा, जिसके साथ आप होली खेलेंगे।

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