पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर

डाउनलोड करें

E-इश्क:प्यार को समय दो, वह तुम्हारी जिंदगी में जरूर आएगा, तुम चाहे जितना छुपो, प्यार तुम्हें ढूंढ लेगा

एक वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक

ये इश्क भी बड़ा अजीब है, जब हम चाहते हैं कि इसके रंग में रंग जाएं, तब ये रंग नहीं चढ़ता, और जब हम बच कर निकल जाने की सोचते हैं, तब ये रंग हमें सराबोर कर देता है। समर भी इश्क के रंग से बचते-बचाते निकल जाना चाहता था, पर तरबतर हुए बगैर रह न सका।

समर का व्यक्तित्व आज के प्रतियोगी युग की देन है। उसने अपने जीवन को घड़ी की सुई के साथ बांध लिया था। हर काम समय के हिसाब से करता था। एक मिनट की देरी भी उसे बर्दाश्त न होती। चेहरा देखो तो ऐसा लगता कि कड़क इस्त्री की हुई चादर हो। अगर खाना न खाता होता तो पूरा रोबोट लगता। उसकी दिनचर्या कंपनी के शेड्यूल के हिसाब से बनती थी। भावनाओं का उसके जीवन में कोई स्थान नहीं था। समर की मां उस के ऐसे बर्ताव से बहुत परेशान रहतीं। वह चाहती थीं कि समर लव मैरिज करे, ताकि किसी तरह उसके जीवन में भी प्यार के लिए जगह बने, लेकिन समर की भविष्य को लेकर अपनी ही योजनाएं थीं। वह यूएस जाकर नौकरी करना चाहता था। उसका मानना था कि शादी या प्यार जीवन की सबसे बड़ी बाधा है।

समर के इन रूखे विचारों को बदल पाना किसी के बस में न था, फिर भी समर की मां आए दिन उसे किसी न किसी लड़की की तस्वीर दिखाती रहती थी कि शायद कभी उसका मन पलट जाए। इसी कोशिश में एक दिन सुबह-सुबह समर की मां नाश्ता लेकर कमरे में गईं। समर ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था।

मां ने कहा, “समर, आज तुम्हारी पसंद का नाश्ता बनाया है।” समर किसी मशीन सा तैयार हो रहा था। उसने मां की ओर पलट कर भी नहीं देखा।

मां आगे उससे कुछ बात करना चाहती थी, इसलिए उन्होंने फिर एक बार कोशिश की, "बेटा… सुनो! चाय के कप के साथ एक तस्वीर भी रखी है, जाते-जाते देख लो, यह लड़की हम सबको पसंद है। अगर तुम भी देख लेते तो..."

मां की बात को बीच में काटते हुए समर ने तैश में फोटो को उठाकर एक नजर देखा और कहा, "लो, देख ली फोटो और आपको यह भी बता दूं कि मुझे लड़की पसंद नहीं आई।”

कुछ पल रुककर उसने मां को समझाते हुए कहा, “सुनो मां, मेरी योजनाओं में शादी कहीं फिट नहीं होती। यूएस में अच्छी नौकरी के लिए मैं जॉब के साथ एमबीए भी कर रहा हूं। तुम तो जानती हो, मेरे पास इन सब चीजों के लिए समय नहीं है।"

मां ने निराशा भरे स्वर में कहा, "बेटा, जिस चीज को समय दोगे वह जीवन में जरूर आएगी। एक बार प्यार को अपने जीवन में आने का मौका तो दो।" समर मां की बातों को अनसुना कर जा चुका था।

इस बात को हफ्ता गुजर गया। समर हर रविवार की तरह अपने एमबीए की क्लास के लिए गया। पढ़ते-पढ़ते उसकी नजर एक चेहरे पर रुकी। यह चेहरा उसे जाना-पहचाना लग रहा था। समर बार-बार याद करने की कोशिश कर रहा था कि आखिर ये है कौन! कुछ समय सोचने के बाद उसे याद आया कि यह वही लड़की है जिसकी फोटो मां ने पिछले हफ्ते दिखाई थी। समर को लगा कि कहीं मां ने ही तो इसे यहां मेरे पीछे नहीं भेजा? वह पूरी कोशिश कर रहा था कि वह लड़की उसे न देखे।

समर नजरें नीची करके सबसे पीछे वाली बेंच पर जाकर बैठ गया, पर एक जोड़ी आंखें उसका पीछा करते हुए वहां तक पहुंच ही गईं। फिर वह लड़की उससे बोली, "ओ… हेलो! तुम वही हो ना, जिसने मुझे देखे बिना ही रिजेक्ट कर दिया।"

समर अपने अपराधबोध को रूखेपन से छुपाता हुआ बोला, "अब तुम जैसा समझो, पर मेरे जीवन में शादी के लिए कोई जगह नहीं है, मैं तो…" प्रिया ने बात को बीच में ही काटते हुए कहा, "मुझे तो तुम्हें थैंक्यू कहना चाहिए, क्योंकि तुम्हारे मना करने के कारण ही मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर पा रही हूं। भगवान करे इसी तरह लड़के मुझे रिजेक्ट करते रहें और मैं यूएस चली जाऊं।" यह बात सुनकर समर पहली बार दिल से मुस्कुराया और शायद पहली बार समर की कोई दोस्ती बनी।

अब दोनों साथ ही क्लास आते-जाते और पढ़ाई भी साथ ही करते। समय के साथ-साथ दोनों की दोस्ती भी बेतकल्लुफ होती जा रही थी। प्रिया समर को हंसाती, उसे जबरदस्ती खाना खिलाती, उसके साथ ढेरों बातें करती। जब से प्रिया से दोस्ती हुई थी, समर को न जाने कैसे पर खाली समय भी मिलने लगा। दोनों फिल्में देखते, एक दूसरे के घर जाते। इस दोस्ती को लगभग एक साल हो चुका था। दोनों ने एमबीए भी पूरा कर लिया और अब यूएस जाने की तैयारी शुरू हुई। एक शाम जब समर ऑफिस से घर आया तो प्रिया और उसके घर वाले आए हुए थे।

मां ने कहा, "बेटा, मैंने प्रिया के घर वालों को खाने पर बुलाया है। फिर तुम चले जाओगे तो प्रिया से कहां मिल पाओगे?"

समर कुछ बेचैन हुआ और बोला, "मां, प्रिया भी तो यूएस जाना चाहती है। हम यूएस साथ भी तो जा सकते हैं?"

मां ने मुस्कुराते हुए कहा, "जरूर जाओ, पर पहले शादी कर लो। मैंने कहा था ना समर, प्यार को समय दो तो वह तुम्हारी जिंदगी में जरूर आएगा। मैं और प्रिया के घर वाले पिछले कई महीनों से देख रहे हैं कि तुम दोनों को एक दूसरे की आदत हो गई है। तुम और प्रिया दोनों ही एक दूसरे को साथी के रूप में देखते हो। तुम चाहे जितना छुपो, पर प्यार ने तुम्हें ढूंढ ही लिया। हमने प्रिया से बात कर ली है, वह भी शादी के लिए तैयार है। अब तुम दोनों तो लव मैरिज करने से रहे, तो हमने ही तुम्हारे लव को अरेंज कर दिया।"

समर के चेहरे की मुस्कुराहट बता रही थी कि वह बहुत खुश था। इस तरह आखिर प्रिया और समर को हो ही गया अरेंज वाला लव।

- माधवी कठाले निबंधे

E-इश्क के लिए अपनी कहानी इस आईडी पर भेजें: db.women@dbcorp.in

सब्जेक्ट लाइन में E-इश्क लिखना न भूलें

कृपया अप्रकाशित रचनाएं ही भेजें