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डाउनलोड करेंइसी महीने लंग इंडिया जर्नल में पब्लिश हुई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 3 करोड़ 43 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। दुनियाभर में अस्थमा से जितने भी लोगों की मौत होती है, उनमें भारत के 42% लोग शामिल हैं।
अस्थमा की वजह से होने वाली मौत का आंकड़ा
ऊपर लिखे आंकड़े चिंताजनक हैं। इससे ज्यादा चिंताजनक तथ्य तो यह है कि भारत में 90% मरीजों को अस्थमा की सही दवा ही नहीं मिलती है, जो उनकी मौत का मुख्य कारण है।
आज जरूरत की खबर में पल्मोनोलॉजिस्ट यानी सांस रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर सलील भार्गव बता रहे हैं अस्थमा से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
सवाल- क्या है अस्थमा?
जवाब- अस्थमा को ही दमा कहते हैं। यह फेफड़े की बीमारी है। अस्थमा के कारण सांस लेने वाली नली में सूजन आ जाती है और वो सिकुड़ने लगती है। सिकुड़न के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ और खांसी जैसी समस्या होती है। अलग-अलग लोगों पर अस्थमा का असर अलग-अलग होता है।
सवाल- अस्थमा इतना खतरनाक है कि इससे मौत हो जाती है?
जवाब- हां, बिल्कुल। अगर सही इलाज में देरी हो जाए तो अस्थमा जानलेवा हो सकता है। अस्थमा के मरीज को खांसी का दौरा भी पड़ सकता है। जो कुछ घंटों तक भी जारी रह सकता है। यहां तक कि दौरे के दौरान भी मरीज की मौत हो सकती है।
सवाल- अस्थमा के कारण कौन-कौन से हैं?
जवाब- दुनियाभर के रिसर्चर और डॉक्टर दावा करते हैं कि अस्थमा की बीमारी मुख्य रूप से पर्यावरण और जेनेटिक या अनुवांशिक वजह से होती है।
इसके अलावा अस्थमा के कुछ और कारण भी हैं…
सिगरेट- अस्थमा फेफडे़ की बीमारी है। इसलिए जो लोग सिगरेट पीते हैं, उन्हें अस्थमा हो सकता है।
एलर्जी- अस्थमा की शुरुआत एलर्जी से होती है। एलर्जी के पेशेंट को जरा सी लापरवाही से अस्थमा हो सकता है।
मोटापा- मोटापा कई सारी बीमारियों का कारण है। ऐसे कई सारे मामले देखने को मिलते हैं, जिनमें अस्थमा की बीमारी मोटापे से होती है।
प्रदूषण- प्रदूषण की वजह से अस्थमा हाेने की संभावना बढ़ जाती है।
स्ट्रेस- स्ट्रेस की वजह से कई सारी बीमारियां होती हैं, अस्थमा भी इनमें से एक है।
सवाल- वायु प्रदूषण से कैसे अस्थमा के मरीजों को आता है अटैक?
जवाब- अस्थमा के मरीजों पर वायु प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से उन्हें अस्थमा का अटैक भी आ सकता है। दरअसल, प्रदूषण के कुछ पार्टिकल बहुत छोटे होते हैं और आसानी से फेफड़ों में चले जाते हैं। इसकी वजह से अस्थमा का लक्षण तुरंत आपकी बॉडी में ट्रिगर हो जाता है और अस्थमा के अटैक की संभावना होती है। कुछ रिसर्च की मानें तो ज्यादा प्रदूषण वाली जगह पर बच्चों को अस्थमा होने का खतरा ज्यादा होता है।
इनहेलर लेते वक्त सावधानियां
अस्थमा का इलाज बीच में छोड़ देते हैं मरीज- डॉ. रणदीप गुलेरिया
एम्स (अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान) के पल्मोलॉजी विभाग के डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि अस्थमा लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। इसलिए इसका इलाज भी लंबे समय तक चलता है। बहुत से मरीज जब थोड़ा ठीक महसूस करते हैं तो इनहेलर लेना बीच में ही छोड़ देते हैं। ये काफी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि बीमारी ठीक होने के पहले ही आप अपना इलाज बीच में छोड़ रहे हैं। मरीजों को इनहेलर लेने का सही तरीका और बीच में छोड़ने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। इनहेलर को अपनी मर्जी से बीच में छोड़ना आपके लिए खतरा हो सकता है।
सवाल– अस्थमा के मरीजों को कोरोना हो जाए तो क्या करें?
अस्थमा के मरीजों को क्या नहीं खाना चाहिए?
मरीज खुद इस बात को परख सकते हैं कि उन्हें क्या खाने से तकलीफ हो रही है। उन चीजों से परहेज करना चाहिए।
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