पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंबच्चों में PUBG का एडिक्शन इतना बढ़ गया है कि इसे लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों से कई अप्रिय घटनाएं सामने आती रहती हैं। क्या आपको पता है कि बेंगलुरु के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (NIMHANS) में गेमिंग और गैजेट एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए अलग से एक डिपार्टमेंट बना है। दिल्ली के एम्स ने भी 2016 में बिहेवियरल एडिक्शन सेंटर की शुरुआत की थी।
बच्चों की जिंदगी के लिए खतरनाक बनते मोबाइल गेम्स से जुड़ी यह अहम खबर पढ़ने से पहले इस पोल के जरिए आप अपनी राय हम तक पहुंचा सकते हैं...
हालिया दो घटनाओं पर नजर डालते हैं…
जरूरत की खबर में आज बात करते हैं PUBG और इसकी तरह दूसरे गेम की लत के बारे में…
सवाल– क्या है गेमिंग डिसऑर्डर
जवाब– WHO के मुताबिक गेम खेलने की लत को गेमिंग डिसऑर्डर कहते हैं। ये गेम डिजिटल गेम हो सकते हैं या फिर वीडियो गेम भी। इसके शिकार लोग निजी जीवन में आपसी रिश्तों से ज्यादा अहमियत गेम खेलने को देते हैं, जिसकी वजह से दिनचर्या पर असर पड़ता है।
सवाल– अगर किसी को इसकी लत है, तो उसे गेमिंग एडिक्ट मान लेना चाहिए?
जवाब– WHO के मुताबिक उस व्यक्ति के सालभर के गेमिंग पैटर्न को देखने की जरूरत होती है। अगर उसकी गेम खेलने की लत से उसके निजी जीवन में, पारिवारिक या सामाजिक जीवन में, पढ़ाई पर, नौकरी पर ज्यादा बुरा असर पड़ता दिखता है, तभी उसे 'गेमिंग एडिक्ट' यानी बीमारी का शिकार माना जा सकता है। इस लत को छुड़ाने के लिए साइकाएट्रिस्ट के पास जल्द से जल्द जाना चाहिए।
सवाल- बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग खेलने की लत क्यों बढ़ जाती है?
जवाब- एम्स से जुड़े रह चुके साइकाएट्रिस्ट डॉ. राजकुमार श्रीनिवास के मुताबिक, बच्चों में गेम की लत बढ़ने का कारण है डोपामाइन। यह बच्चों के दिमाग में बना एक न्यूरोट्रांसमिटर है। दरअसल, गेम खेलने से पहले बच्चे खुश होते हैं, जिसकी वजह से उनके दिमाग में डोपामाइन रिलीज होता है। जब वो लगातार गेम खेलते हैं तो उनके दिमाग में डोपामाइन का लेवल बढ़ता रहता है। इससे खुशी का लेवल भी बढ़ता है और इसकी बढ़ती हुई मात्रा लगातार गेम खेलने के लिए मजबूर करती है। डोपामाइन को फील गुड एंड फील हैप्पी न्यूरोट्रांसमिटर भी कहा जाता है। डोपामाइन की वजह से बच्चे सारे काम छोड़कर गेम खेलते हैं। इससे उन्हें खुशी का एहसास होता है।
सवाल- वीडियो गेम या ऑनलाइन गेमिंग की वजह से बच्चों में किस तरह की बीमारियां हो रही हैं?
जवाब- डॉ. राजकुमार श्रीनिवास के अनुसार बच्चों में ये बीमारियां बढ़ रही हैं-
सवाल- बच्चे को PUBG या किसी दूसरे गेम का एडिक्शन हो गया है तो माता-पिता क्या करें?
जवाब- बहुत सारी ऐसी छोटी-छोटी चीजें हैं, जिन्हें अपनाकर बच्चों को PUBG या दूसरे किसी ऑनलाइन गेम से डी-एडिक्ट किया जा सकता है।
बातचीत करें- ज्यादातर माता-पिता ऑनलाइन रहने वाले बच्चों को डांटकर मोबाइल छीन लेते हैं। ऐसे पेरेंट्स को समझना चाहिए कि टीनएज में आने वाले बच्चों में इमोशनल और साइकोलॉजिकल चेंज होते हैं। ऐसी सिचुएशन में बच्चे से प्यार और शांति से बात करें। उन्हें बैठाकर पूछें कि वो ऑनलाइन क्या देखते हैं? इससे बच्चा चिड़चिड़ा नहीं बनेगा और सही बातें बताएगा।
शेड्यूल फिक्स करें- बच्चे को समझाएं कि उन्हें टाइम-टु-टाइम ही गेम खेलना है। इसके लिए शेड्यूल फिक्स करें। उन्हें बताएं कि जब पढ़ाई करने के बाद वो थक जाएंगे तो सिर्फ थोड़ी देर ही वो गेम खेल सकते हैं।
सभी के सामने खेलने दें- बच्चे पर नजर रखें कि वह परिवार के सभी सदस्यों के सामने गेम खेल रहा है या नहीं। अगर गेम में कुछ भी गलत नहीं है तो वो आपके सामने खेलेगा।
ऑनलाइन एक्टिविटी पर ध्यान दें- अपने बच्चे की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखें। वो क्या देखता है इस बात को जानने के लिए वेबसाइट की हिस्ट्री चेक करें।
गेम से ध्यान हटाएं- कोशिश करें कि बच्चे को किसी और एक्टिविटी या उसके शौक वाली चीजों में व्यस्त रखें, जैसे- साइकिल चलाना, फुटबाल खेलना, कहानियां पढ़ना। इससे उसका ऑनलाइन गेमिंग से ध्यान हट सकता है।
इसके अलावा…
चलते-चलते डेटा पर नजर डाल लेते हैं-
सरकार ने 3 सितंबर 2020 को 59 ऐप्स के साथ PUBG पर भी बैन लगाया था। सरकार ने कहा कि ये ऐप्स ऐसी गतिविधियों में जुटे थे, जिनका असर देश की संप्रुभता, अखंडता और सुरक्षा पर पड़ रहा है। हालांकि, बैन होने के बावजूद भारत में PUBG की APK फाइल को डाउनलोड करके जुगाड़ से खेला जा रहा है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.