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डाउनलोड करेंकुत्ते और बिल्ली पालने का क्रेज कुछ सालों से काफी ज्यादा बढ़ गया है और इसके साथ बढ़ी है लापरवाही। हाल ही में केरल का एक व्यक्ति अपनी बेटियों को मदरसा छोड़ने लोडेड गन के साथ सड़क पर निकला। वजह थे आवारा कुत्ते। कुछ महीने पहले एक पिटबुल कुत्ते ने अपनी मालकिन को जान से मार दिया।
गाजियाबाद के एक अपॉर्टमेंट की लिफ्ट में डॉग ने बच्चे को अचानक काट लिया, और मालकिन बच्चे को डांटती रही। पनवेल में जोमेटो डिलीवरी बॉय का प्राइवेट पार्ट पर जर्मन शेफर्ड कुत्ते ने अटैक कर दिया।
ये तो सिर्फ वो मामले थे, जो हम लगातार देख रहे हैं। ऐसी और भी कई घटनाएं हर रोज हो रही है और हमें पता भी नहीं है। लेकिन इस बात को जानना जरूरी है कि कुत्तों के काटने से आपकी जान नहीं भी गई, तब भी आप खतरनाक बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
आपको पता है कि केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। इसमें आवारा, हिंसक प्रवृत्ति और रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी से संक्रमित कुत्तों को जान से मारने की इजाजत मांगी गई है। फिलहाल इस पर सुप्रीम कोर्ट का कोई फैसला नहीं आया है।
चलिए अब करते हैं आपके काम की बात-
(आज की स्टोरी के लिए हमने बात की है- नोएडा सेक्टर-27 कैलाश हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. जोतिंदर खन्ना से)
सवाल- रेबीज क्या होता है?
जवाब- रेबीज खतरनाक वायरस है, जो किसी संक्रमित जानवर की लार से इंसानों में फैलता है। ऐसा तभी होगा, जब रेबीज से संक्रमित जानवर आपको काट ले।
ध्यान रखें- जिन जानवरों के बच्चे मां का दूध पीकर बड़े होते हैं, रेबीज वायरस उनमें ही फैलता है। इसमें जंगली जानवरों के साथ ही पालतू पशु भी शामिल हैं। उन जानवरों के काटने से इंसानों को यह बीमारी होती है।
सवाल- आपके बच्चे को या आपको कोई डॉग काट दे, तो सबसे पहले क्या करना चाहिए?
डॉ. जोतिंदर खन्ना- सबसे पहले फर्स्ट ऐड देना चाहिए। फिर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
फर्स्ट ऐड देने का तरीका क्या है, डॉ. साद असलम खान से ये सीखते हैं
सवाल- किसी भी कुत्ते के काटने से रेबीज फैले ये जरूरी नहीं है, तो फिर कैसे पता चलेगा कि जिस व्यक्ति को कुत्ते ने काटा है, उसे रेबीज है या नहीं?
डॉ. जोतिंदर खन्ना- ये जानने का सिर्फ एक ही तरीका है, जो अब तक चला आ रहा है। वो ये कि आपको कुत्ते और मरीज दोनों को ऑब्जर्व करना होगा। कम से कम 6-7 दिन तक। उनमें बदलते लक्षणों से पता चलेगा कि कुत्ते को रेबीज था या नहीं, और मरीज को ये फैला है या नहीं।
सवाल- अगर किसी बच्चे, बड़े या बुजुर्ग को कोई डॉग काट ले, तो डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
जवाब- फर्स्ट ऐड के बाद तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। जरा सी देरी या लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
सवाल- बहुत से लोग कहते हैं कि अगर कुत्ते ने काट लिया, तो कुत्ते की तरह ही भौंकने लगोगे। इस बात में कितनी सच्चाई है?
डॉ. जोतिंदर खन्ना- जब रेबीज किसी कुत्ते को होता है, तो वो आक्रामक हो जाता है। इंसान में भी यही लक्षण दिखाई देते हैं। इसलिए ऐसा लोग कहते हैं। हालांकि, ऐसा कुछ भी नहीं है कि आप कुत्ते की तरह भौंकने लगेंगे।
सवाल- रेबिज संक्रमित कुत्ते ने किसी इंसान को शरीर के किस हिस्से में काटा है, क्या इससे कोई फर्क पड़ता है?
डॉ. जोतिंदर खन्ना- जी बिल्कुल पड़ता है। अगर कुत्ते ने किसी इंसान के सिर, गले या फेस के हिस्से में काटा है, तो रेबीज फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। क्योंकि रेबीज का वायरस सीधे दिमाग पर असर करता है, और अगर सही समय पर एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई गई, तो 8-10 दिन में कुत्ते और इंसान दोनों की मौत हो जाती है।
इसके अलावा आजकल फर्क इस बात से भी पड़ता है कि कुत्ते ने कितनी गहराई से काटा है यानी शरीर के किसी भी हिस्से में कितने अंदर तक काटा है। ज्यादा अंदर तक काटा है, तो वायरस जल्दी शरीर के अंदर फैलेगा।
सवाल- कितने डोज वाली एंटी रेबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए?
डॉ. जोतिंदर खन्ना- वैक्सीन अलग-अलग टाइप और ब्रांड की होती है। उसके मुताबिक अलग-अलग डोज होते हैं। सामान्य तौर पर 1 एमएल या 2 एमएल की डोज होती है। आप जिस डॉक्टर से ट्रीटमेंट करवाएंगे, वो मरीज की उम्र, कुत्ते के काटने की जगह, काटे हुए कितना टाइम हुआ है, मरीज की क्या स्थिति है। इन सब बातों का ख्याल रखते हुए तय करेंगे कि कितने डोज की वैक्सीन लगानी है। वैक्सीन लगवाने का शेड्यूल भी आपका डॉक्टर ही तय करेगा।
रेबीज के वैक्सीन का कोर्स 6 इंजेक्शन का होता है
नोट- आपको कितने डोज लगेंगे, इस बात का डिसीजन डॉक्टर का होगा। छठा टीका optional होता है। यह टीका लगवाने पर व्यक्ति पूरे एक साल से रेबीज से मुक्त हो जाता है।
सवाल- क्या एंटी रेबीज वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट भी होता है?
डॉ. जोतिंदर खन्ना- 15 से 20 साल पहले एंटी रेबीज वैक्सीन का साइड इफेक्ट होता था, लेकिन अब ये सेफ हैं। अब इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
केरल का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। इसलिए रेबीज के हालिया मामले के आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं-
केरल में कुत्तों का काटना और रेबीज का संक्रमण
महाराष्ट्र में रेबीज के आंकड़ें
साल 2020 में रेबीज संक्रमण के मामले 100% से ज्यादा बढ़ गए। इस बात का खुलासा एक RTI के जरिए हुआ। वहीं, 2019-20 में रेबीज के 1,296 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2020-21 में 2,680 मामले दर्ज किए गए।
आपको पता है कि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद महाजन ने घोषणा की है कि उनके राज्य में पिछले तीन वर्षों में एक भी रेबीज के मामले सामने नहीं आए हैं। इसके साथ ही गोवा देश का पहला रेबीज मुक्त राज्य बन गया है। राज्य में रेबीज के खिलाफ 5 लाख से अधिक टीकाकरण किए जा चुके हैं।
रेबीज को लेकर WHO का डेटा
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