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जरूरत की खबरसिरदर्द-थकान हल्के में न लें:टेंशन बढ़ाएगा हाइपरटेंशन, नसों में बढ़ेगा दबाव, हार्ट फेल और स्ट्रोक का खतरा

11 दिन पहले
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मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने हाइपरटेंशन पर 2016-20 के बीच एक स्टडी की थी। इस स्टडी में कहा गया कि हाई ब्लड प्रेशर की वजह से भारत में युवाओं की मौत बढ़ी है।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 का डेटा भी इस बात की पुष्टि करता है। इसके मुताबिक 24% पुरुष और 21% महिला में हाई बीपी की प्रॉब्लम है।

हाइपरटेंशन के बढ़ते मामलों को कंट्रोल करने के लिए वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग पहली बार 2015 में बनाई गई। इसमें 85 देश शामिल है। इसके बाद से ही आज यानी 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाना शुरू हुआ।

आज जरूरत की खबर में बात हाइपरटेंशन क्या है, और हमारी कौन सी गलती की वजह से यह बीमारी खतरनाक बन जाती है, पर करते हैं...

एक्सपर्ट:

  • डॉ. शिल्पा कुलकर्णी, हेड, क्रिटिकल केयर यूनिट, रूबी हॉल क्लिनिक, पुणे
  • डॉ. पी वेंकट कृष्णन, इंटरनल मेडिसीन, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
  • डॉ. हरीश मेहता, कार्डियोलॉजिस्ट, पीडी हिंदूजा हॉस्पिटल, मुंबई

सवाल: हाइपरटेंशन क्या होता है?
जवाब:
हाइपरटेंशन एक मेडिकल टर्म है, जिसे आमतौर पर लोग हाई बीपी कहते हैं। यह एक ऐसी सिचुएशन है जब खून का अधिक दवाब नसों में बढ़ जाता है। या फिर जब आपका ब्लड प्रेशर लेवल 140/90 से अधिक होता है तो इस स्थिति को हाइपरटेंशन कहा जाता है।

जब ब्लड प्रेशर 180/120 के लेवल को पार कर जाता है तो आप डेंजर जोन में चले जाते हैं।

इस दवाब से ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचता है। इस वजह से हाई बीपी, हार्ट डिजीज की संभावना बढ़ती है। इसके अलावा शरीर में कई तरह की प्रॉब्लम होती है।

किस तरह की समस्या हो सकती है इसे डिटेल में समझते हैं…

  • दरअसल इस सिचुएशन में मांसपेशियों को कम ब्लड मिलता है। इस वजह से सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या दिल का दौरा पड़ सकता है।
  • हार्ट फेलियर होने पर हार्ट की पंपिंग कम हो जाती है। इससे हार्ट की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है। वे सिकुड़ जाती हैं।
  • ब्लड की मात्रा कम होने पर बल्ड की पंपिंग कमजोर हो जाती है। इस वजह से फेफड़ों में पानी जमा हो जाता है। इससे थकान, सांस लेने में तकलीफ होती है। पैरों में सूजन हो सकती है।
  • ब्रेन की नसों में दबाव बढ़ता है इस वजह से कॉन्ट्रैक्शन या ब्लॉकेज होगा। इसे ही स्ट्रोक कहते हैं। इससे दिमाग की नस फट भी सकती है। पैरालिसिस या बोलने में दिक्कत हो सकती है।

सवाल: हाइपरटेंशन का खतरा किसे ज्यादा होता है?
जवाब:

  • स्ट्रेस और एंग्जायटी के शिकार लोग
  • डायबिटीज के पेशेंट
  • किडनी के मरीज
  • प्रेग्नेंट महिला
  • वो महिला जो गर्भ निरोधक खाती हैं
  • मोटापा पीड़ित

सवाल: हम कैसे जान सकते हैं कि हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है?
जवाब:
आपको ऊपर बताएं गए कोई भी एक-दो लक्षण दिखें तो उसे इग्नोर न करें। सिर दर्द और सीने में दर्द होता है तो भी चेकअप कराएं। यदि सांस फूलती है तो दिल और हीमोग्लोबिन भी चेक कराएं। अपना बीपी रेगुलर चेक करवाएं। ज्यादातर लोग ऐसा नहीं करते हैं, इस वजह से जान को खतरा होता है।

सवाल: ब्लड प्रेशर मापने से कैसे पता चलता है कि हमें हाइपरटेंशन है?
जवाब:
जब डॉक्टर ब्लड प्रेशर मापते हैं तो वास्तव में नसों से होकर गुजरने वाले खून का प्रेशर मापा जाता है।

ब्लड प्रेशर की रीडिंग देखकर यह पता चलता है कि किस रेट से हार्ट ब्लड को पंप कर रहा है। ये रीडिंग दो तरह के ब्लड प्रेशर में मिलती है। सिस्टोलिक और डायस्टोलिक।

सिस्टोलिक प्रेशर: पंप करने के दौरान जब हार्ट सिकुड़ता है तब नसों के अंदर ब्लड प्रेशर का फोर्स मापा जाता है।

डायस्टोलिक प्रेशर: हार्ट बीट के दौरान जब हार्ट रेस्ट करता है तब नसों में ब्लड प्रेशर का फोर्स मापा जाता है।

सवाल: हाइपरटेंशन के जोखिम को क्या हम कम कर सकते हैं?
जवाब:
हां बिल्कुल ऐसा संभव है। बस आपको डॉक्टर की बताई गई बातों को ध्यान में रखना होगा। याद रखें कि हाइपरटेंशन का बचाव शुरुआती स्टेज में ही हो सकता है, बाद में तो दवाई खानी जरूरी हो जाती है।

  • ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग घर पर और डॉक्टर के पास जाकर रेगुलर करते रहें।
  • एक्सरसाइज करें और बैलेंस डाइट लें।
  • नमक खाना कम कर दें, ऊपर से नमक तो बिल्कुल न लें।
  • जिनका वजन ज्यादा है उन्हें इसे जल्द से जल्द कंट्रोल करने की जरूरत है।
  • कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल करें।
  • किसी भी तरह के नशे से दूर रहना सबसे जरूरी है।