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तारीख 24 जून: कोरियोग्राफर गणेश आचार्य को सेक्शुअल हैरेसमेंट के मामले में जमानत मिली। दरअसल एक असिस्टेंट कोरियोग्राफर काम के सिलसिले में गणेश से मिलने ऑफिस गईं तो उन्हें जबरदस्ती पोर्नोग्राफिक वीडियोज देखने के लिए फोर्स किया गया। यह मामला 2020 में दर्ज हुआ था।
तारीख 22 जून: तमिलनाडु की 35 साल की एक महिला ने डॉक्टर के खिलाफ सेक्शुअल हैरेसमेंट का केस दर्ज कराया। महिला USA से तमिलनाडु के लिए फ्लाइट से ट्रैवल कर रही थी। जबकि, डॉक्टर तमिलनाडु से है और दुबई में रहता है। फ्लाइट ने US से वाया दुबई चेन्नई के उड़ान भरी। इस दौरान महिला के पीछे बैठे डॉक्टर ने उसे जोर से पकड़ लिया। महिला ने फ्लाइट अटेंडेंट से शिकायत की। इसके बाद चेन्नई एयरपोर्ट पर पुलिस को जानकारी दी गई।
पुलिस ने डॉक्टर का पासपोर्ट जब्त कर गिरफ्तार कर लिया। चूंकि मामला मिड एयर, यानी फ्लाइट का था। इसलिए पुलिस ने लीगल टीम की मदद मांगी ताकि कानून के हिसाब से सजा तय हो पाए।
दरअसल ऐसी तमाम घटनाएं हर रोज होती हैं। कई महिलाएं इसे शर्म से बता नहीं पाती हैं। कुछ FIR भी दर्ज करवाती हैं, लेकिन बाद में उसे वापस भी ले लेती हैं। जैसे तमिलनाडु की इस महिला के साथ हुआ। महिला ने डॉक्टर के माफी मांगने के बाद केस वापस ले लिया।
आज बात करेंगे फ्लाइट और वर्कप्लेस पर होने वाले सेक्शुअल हैरेसमेंट से जुड़े जरूरी सवालों के बारे में, क्रिमिनल और फैमिली लॉ एक्सपर्ट एडवोकेट सचिन नायक से..
सवाल: सेक्शुअल हैरेसमेंट क्या है? कब समझा जाए कि सेक्शुअल हैरेसमेंट हुआ है?
जवाब: किसी की सहमति के बगैर उसके साथ गलत व्यवहार, इशारा, कमेंट, शारीरिक संबंध और उसे पोर्न वीडियो दिखाना सेक्शुअल हैरेसमेंट माना जाता है। इसके साथ और भी कई चीजें हैं, जो सेक्शुअल हैरेसमेंट मानी जाती हैं। मसलन गलत तरीके से महिला को छूना,जबरदस्ती गले लगाना, हाथ पकड़ना, सेक्स की डिमांड करना, अश्लील मजाक करना।
अब जानते हैं...
US-दुबई–चेन्नई फ्लाइट में जो सेक्शुअल हैरेसमेंट की घटना हुई है, उसके बारे में कानून क्या कहता है? नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं…
मिड एयर में होने वाले सेक्शुअल हैरेसमेंट पर क्या होगा कैसे होगा यह बात क्लियर हो गई है। वापस बॉलीवुड कोरियोग्राफर गणेश आचार्य के केस पर आते हैं। चूंकि इस केस में गणेश पर उनकी असिस्टेंट कोरियोग्राफर ने इल्जाम लगाया था इसलिए यह केस बॉस और एम्पलॉई का बनता है। ऐसे में समझते हैं महिलाओं के वर्कप्लेस में होने वाले हैरेसमेंट के बारे में-
सवाल: किससे करें शिकायत?
जवाब: इसके लिए विशाखा कानून बना है। नौकरी करने वाली महिलाओं के वर्कप्लेस में सुरक्षा को लेकर साल 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने 13 विशाखा गाइडलाइन्स जारी की थी। जिसने साल 2013 में कानून का रूप लिया। अब विशाखा गाइडलाइन्स को सेक्शुअल हैरेसमेंट ऑफ वुमन एट वर्कप्लेस एक्ट, 2013 के नाम से जाना जाता है। इस एक्ट में सेक्शुअल हैरेसमेंट, उससे बचने के उपाय और क्या कार्रवाई होगी, यह सब बताया गया है।
कमेटी, पुलिस और कोर्ट में कर सकते हैं शिकायत
सवाल: बातचीत के दौरान अगर किसी ने कुछ आपत्तिजनक बात बोल दी, तो उसके खिलाफ कानूनी सबूत क्या होगा? कैसे साबित करेंगे कि आपका सेक्शुअल हैरेसमेंट हुआ है?
जवाब: कोई गवाह न होने की स्थिति में महिला को इस बातचीत का ब्योरा लिखकर कोर्ट में देना होगा। उसे ही गवाह माना जाएगा।
सवाल: सेक्सुअल हैरेसमेंट के केस में अगर महिला कर्मचारी और आरोपी, दोनों ही कई साल पहले कंपनी छोड़ चुके हों तो क्या उसी कंपनी में शिकायत दर्ज करा सकते हैं?
जवाब: ऐसे मामलों में तीन महीने बाद तक शिकायत कर सकते हैं। मामला ज्यादा पुराना हो तो आप संस्थान की बजाय पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
सवाल: शिकायत सही पाई गई तो कमेटी की तरफ से आरोपी को क्या सजा दी जा सकती है?
जवाब: आरोपी को…
सेक्शुअल हैरेसमेंट से बचने के लिए वर्कप्लेस पर महिलाएं क्या करें?
नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं कि IPC की धारा में सेक्शुअल हैरेसमेंट के लिए क्या सजा तय की गई है... आप खुद भी पढ़ें और दूसरों से शेयर भी करें।
सवाल: सेक्शुअल हैरेसमेंट का कानून किन-किन जगहों पर लागू होता है?
जवाब- यह कानून सभी क्षेत्रों में लागू है...
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