पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
डॉयचे वेले से. अब तक बच्चे परीक्षाओं में गाय पर सिर्फ निबंध लिखते थे, लेकिन अब वे गाय को लेकर पूरी परीक्षा भी दे सकते हैं। देश में 25 फरवरी को 'गौ-विज्ञान' पर राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा होगी। परीक्षा गौ-कल्याण के लिए काम करने वाली केंद्रीय संस्था राष्ट्रीय कामधेनु आयोग करवा रही है। देश में पहली बार इस तरह की कोई परीक्षा हो रही। अब से ये हर साल होगी।
किस तरह की होगी परीक्षा?
आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कठिरिया ने बताया कि परीक्षा एक घंटे लंबी होगी। इसमें बच्चे, वयस्क और विदेशी नागरिक भी हिस्सा ले सकते हैं। परीक्षा में 100 ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाएंगे। ये सवाल हिंदी, अंग्रेजी और 12 प्रांतीय भाषाओं में पूछे जाएंगे।
कौन दे सकता है परीक्षा?
आयोग ने बताया है कि इस परीक्षा में प्राइमरी, सेकंडरी स्कूल के स्टूडेंट्स, कॉलेज स्टूडेंट्स से लेकर आम लोग तक भाग ले सकते हैं। इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। इस परीक्षा का पूरा नाम 'कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार-प्रसार एग्जाम' है।
कैसे करें तैयारी?
कामधेनु आयोग ने इस परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम भी जारी किया। इसमें गाय की अलग-अलग नस्लों के बारे में जानकारी और जानवरों को मारने से भूकंप आता है जैसी बातें भी शामिल हैं। पूरा सिलेबस राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की वेबसाइट पर मिल जाएगा। साथ ही परीक्षा की तैयारी के लिए गौ विज्ञान पर स्टडी मैटीरियल भी इसी वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा।
परीक्षा देने से क्या मिलेगा?
परीक्षा में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। सफल परीक्षार्थियों को इनाम भी दिए जाएंगे।
क्यों हो रही है यह परीक्षा?
कठिरिया का कहना है कि परीक्षा का मकसद गाय के बारे में बच्चों और आम लोगों के ज्ञान के स्तर के बारे में पता लगाना और उन्हें 'सिखाना और संवेदनशील बनाना' है। यह परीक्षा लोगों में गायों के प्रति जिज्ञासा पैदा करेगी। गाय के अंदर विज्ञान और अर्थशास्त्र भरा हुआ है। अभी लोग इस गाय के सच्चे आर्थिक और वैज्ञानिक मूल्य के बारे में नहीं जानते हैं। लोग जान सकेंगे कि गाय अगर दूध देना बंद भी कर दे, तो भी व्यवसाय के कितने अवसर दे सकती है।
कामधेनु आयोग काम क्या करता है?
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (RKA) का गठन फरवरी 2019 में केंद्र सरकार ने किया था। यह आयोग मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय के तहत काम करता है। इसका लक्ष्य गायों व गोवंश के विकास, बचाव और संरक्षण के लिए काम करना है।
गाय के गोबर और मूत्र पर शोध के लिए सरकार लाखों रुपए खर्च कर रही
भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज में लोग गाय को पूज्य मानते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से देश में गाय राजनीतिक और संप्रदायिक झगड़ों का कारण बन गई है। मोदी सरकार ने गायों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी हुई है। गायों को बचाने, उसके गोबर और मूत्र के इस्तेमाल पर शोध पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
देश के कई हिस्सों में गाय को मारना और बीफ खाना गैर-कानूनी बना दिया गया है। कई राज्यों में इसके खिलाफ मिलने वाली सजा को और सख्त किया गया है। इसे लेकर कई राज्यों में समय-समय पर धार्मिक विवाद भी होते रहे हैं।
कर्नाटक में गौ-हत्या कानून और सख्त हुआ
5 जनवरी को कर्नाटक में गौ संरक्षण कानून में बदलाव करके पुलिस को गौ-हत्या का शक होने पर कहीं भी तलाशी लेने और किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्तियां दी गई हैं। कानून का उल्लंघन करने वालों को 7 साल का कारावास और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। राज्य में भाजपा की सरकार है।
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.