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डाउनलोड करेंइलेक्ट्रिक स्कूटर (ई-स्कूटर) में आए दिन आग लगने की घटना सामने आ रही है। इसमें कुछ लोगों की मौत भी हो गई है। हाल ही में भोपाल के निशातपुरा इलाके में ई-स्कूटर में चार्जिंग के दौरान बैटरी में ब्लास्ट होकर आग लग गई थी, जिससे कुछ ही देर में टू-व्हीलर पूरी तरह से जल गया। उसी दिन तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के औद्योगिक केंद्र होसुर में भी एक ई-स्कूटर जलकर खाक हो गया। इससे पहले भी पुणे, नासिक, तेलंगाना, चेन्नई से भी ई-स्कूटर में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
आज जरूरत की खबर में ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन और कार एक्सपर्ट मनीष हरोदिया से जानते हैं कि ई-स्कूटर खरीदने से पहले और खरीदने के बाद हमें किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
सवाल- ई-स्कूटर खरीदने से पहले किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
जवाब-
सवाल- अक्सर लोग ई-स्कूटर को लेकर क्या गलती करते हैं?
टूटू धवन- लोग अपनी ई-स्कूटर पर जरूरत से ज्यादा लोड डालते हैं। उन्हें कम लोड देना चाहिए। जैसे- स्कूटर चालू करते ही उसे तेज स्पीड में भगाना शुरू कर देते हैं। इससे स्कूटर में लोड बढ़ता है। जब भी स्कूटर चालू करते हैं तो आराम से चलाएं।
याद रखें कि ऐसे ई-स्कूटर डोमेस्टिक यूज के लिए होते हैं। रेस लगाने के लिए नहीं है। रेसिंग वाले ई-स्कूटर अलग होते हैं, उसमें लगी बैटरी अलग होती है। उसकी बैटरी में कूलिंग सिस्टम लगा होता है, जो स्कूटर के चलने पर उन्हें ठंडा करता है।
टूटू धवन कहते हैं कि कई बार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां ई-स्कूटर को बनाने में डुप्लीकेट चीजों का इस्तेमाल करती हैं। इसकी वजह से आग लगने जैसी घटनाएं होती हैं। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को ई-स्कूटर में कूलिंग सिस्टम देना चाहिए, ताकि जब स्कूटर चले तो बैटरी अपने आप गर्म न हो। ठंडी रहे। साथ ही वैंटिलेशन सिस्टम भी होना चाहिए, जिससे गर्म हवा बाहर जा सके। हालांकि, ई-स्कूटर को लेकर सरकार की तरफ से गाइडलाइन तैयार की जा रही है। जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी।
ई-स्कूटर में कई बार चाइना वाली बैटरियों को इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से इनकी कीमत सस्ती होती है। हमें भारत में बनी बैटरियों वाले ई-स्कूटर खरीदने चाहिए।
ई-स्कूटर से मौत की कुछ घटना
मनीष हरोदिया के अनुसार, इन सभी टिप्स को फॉलो करके आप अपनी ई-स्कूटर को काफी हद तक सुरक्षित रख सकते हैं। अगर फिर भी ई-स्कूटर में आग लगती है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। कुछ कंपनियां लापरवाही के साथ ई-स्कूटर बनाती हैं। जिसकी वजह से दुर्घटनाएं होती हैं।
अगर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने इन्हें सॉफ्टवेयर के साथ सही से सिंक नहीं किया तो भी ई-स्कूटर की वर्किंग में दिक्कत आ सकती है। ऐसी स्थिति में आप घटना होने पर कंपनी के ऊपर क्लेम कर सकते हैं।
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