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सोशल मीडिया से लेकर सभी न्यूज प्लेटफॉर्म पर इन दिनों कू (Koo) ऐप छाया हुआ है। इसे ट्विटर के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। खास बात ये भी है कि इसमें जिन चीनी निवेशकों का पैसा लगा था, उनकी हिस्सेदारी को अब बेचा जा रहा है। यही वजह है कि ऐप को यूजर्स का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। पिछले एक सप्ताह में इस ऐप से 10 लाख यूजर्स जुड़े हैं। वहीं, ऐप पर कुल यूजर्स की संख्या 40 लाख से ज्यादा हो गई है।
इन दिनों ट्विटर और सरकार के बीच विवाद चल रहा है। भारत सरकार ने किसान आंदोलन से जुड़े 1400 ट्विटर अकाउंट्स ब्लॉक करने के लिए कहा था। इसके बाद से ही दोनों के बीच विवाद शुरू हुआ। इसी विवाद का फायदा कू को मिल रहा है।
कब सुर्खियों में आया कू ऐप
कू ऐप की शुरुआत 10 महीने पहले हुई थी, लेकिन इसे सुर्खियां पिछले कुछ दिनों में ही मिली हैं। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, रेल मंत्री पीयूष गोयल, अनुपम खेर, कंगना रनोत, अनिल कुंबले, शिवराज सिंह चौहान, के साथ कई दिग्गजों ने जैसे ही इसे डाउनलोड करके सोशल मीडिया पर जानकारी दी, इसकी इन्स्टॉलेशन में तेजी आ गई।
अब लोग ट्विटर को अनइंस्टॉल करके कू से जुड़ रहे हैं। कू हिंदी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, गुजराती और मराठी सहित कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। डेटा एनालिटिक्स स्टेटिस्टा के मुताबिक, भारत में ट्विटर यूजर्स की संख्या 1.75 करोड़ है।
मोदी भी कर चुके कू की बात
पिछले साल अगस्त में आयोजित आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज को कू ने जीता था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में भारतीयों को कू ऐप का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया था। तभी ये ऐप चर्चा में भी आई थी।
चीनी निवेशकों को नो एंट्री
कू की पैरेंट कंपनी में चीनी निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेच कर बाहर निकल रहे हैं। कू के को-फाउंडर और CEO अपरामेय राधाकृष्ण ने कहा कि अन्य निवेशकों ने चीन के निवेशकों की 9% हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है।
क्या है कू ऐप?
इस इंडियन माइक्रो-ब्लॉगिंग ऐप को अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने पिछले साल मार्च में डेवलप किया था। ये ट्विटर के जैसा माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है। यहां पर यूजर्स अपना व्यूज और ओपिनियन दे सकता है। ऐप पर यूजर्स वीडियो और फोटेज शेयर कर सकते हैं। यूजर्स एक-दूसरे से DMs के जरिए चैट कर सकते हैं। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से फ्री इन्स्टॉल कर सकते हैं।
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