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डाउनलोड करेंटेलीकॉम डिपार्टमेंट ने दूरसंचार कंपनियों को कस्टमर्स के कॉल और इंटरनेट इस्तेमाल के डेटा को कम से कम 2 साल तक स्टोर करके रखने के लिए कहा है। टेलीकॉम कंपनियों को अब अपने कस्टमर्स के कॉल डेटा और इंटरनेट इस्तेमाल की जानकारी को कम से कम दो साल तक स्टोर करनी होगी। टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए ग्राहकों के कॉल रिकॉर्ड और इंटरनेट इस्तेमाल की जानकारी को स्टोर करने की मिनिमम अवधि को एक साल से बढ़ाकर दो साल कर दिया है।
जांच में ज्यादा समय लगने के कारण हुआ जरूरी
एक सीनियर ऑफिसर के मुताबिक कई सुरक्षा एजेंसियों को एक साल बाद वाले डेटा की आवश्यकता रहती है क्योंकि कई मामलों में जांच पूरी होने में समय ज्यादा लगता है। हमने इस एरिया की सर्विस देने वाली कंपनियों के साथ एक बैठक की, जो दो साल तक के लिए डेटा रखने पर सहमत हुए।
कंपनियों के लिए लाइसेंस की शर्त में यह भी अनिवार्य है कि मोबाइल कंपनियों द्वारा कानून-प्रवर्तन एजेंसियों और कई अदालतों को उनके विशेष अनुरोध या निर्देशों पर सीडीआर प्रदान किया जाए, जिसके लिए एक तयशुदा प्रोटोकॉल है।
एक साल नहीं बल्कि 18 महीने तक का नियम
बता दें कि दूरसंचार और इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों के सीनियर ऑफिसर ने कहा कि भले ही सरकार कंपनियों को इन विवरणों को कम से कम 12 महीने तक रखने के लिए कहती है, लेकिन इसे 18 महीने तक रखने का नियम है।
एक टेलीकॉम कंपनी के अधिकारी के मुताबिक जब भी हम इस तरह के रिकॉर्ड को नष्ट करते हैं, तो हम डेटा से रिलेटेड रखने वाले ऑफिस को जानकारी देते हैं। यदि इसके लिए हमें कोई अलग से अनुरोध मिलता है तो उस डेटा को और समय के लिए रखते हैं। लेकिन फिर अगले 45 दिनों के भीतर बाकी सब हटा दिया जाता है।”
पिछले साल मार्च में, द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार खास समय के लिए देश के कई हिस्सों में सभी मोबाइल ग्राहकों के कॉल डेटा रिकॉर्ड मांग रही है। सरकार ने तब कहा था कि सरकार को “दूरसंचार नेटवर्क की सेवा की गुणवत्ता, कॉल ड्रॉप, इको, क्रॉस कनेक्शन या खराब कॉलर अनुभव” से संबंधित शिकायतें मिली थीं।
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