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डाउनलोड करेंअमीर की गरीबी भी अमीर होती है, गरीब की अमीरी भी गरीब। धनवान और निर्धन का यह भेद सदियों से चला आ रहा है और चलता रहेगा। इसलिए इनके नए-नए रूप खोजे जाएं। किसी की मदद करना भी अमीरी है। निकम्मापन अपने आप में एक गरीबी है। कहीं मंजिल की तलाश में भटकते हुए परिश्रमी लोग मिल जाएं तो उनकी मदद जरूर कीजिएगा। ये उन लोगों से अच्छे होंगे जो गुमराह हैं, घर से ही नहीं निकलते।
यानी आलसी, निकम्मे, कामचोर। यदि गरीबी से बचना चाहें, अमीर होना चाहें तो अपने कर्मों को बीज की तरह मानिए। भाग्य और परिश्रम का प्रभाव देखना हो तो बीज का उदाहरण बहुत अच्छा है। बीज बंजर भूमि पर गिरे, मेढ़ पर गिरे या खेत में डाला जाए, परिणाम अलग-अलग होंगे।
खेत की खरपतवार बीज की सबसे बड़ी दुश्मन है। आसपास की यह घास बीज के भाग्य को खा जाती है। ऐसे ही दुर्गुण हमारे कर्मबीज के दुश्मन हैं। कर्मों के बीज को दुर्गुणों की घास से बचाया जाए। कर्म से भी मनुष्य अमीर-गरीब हो सकता है। अच्छे कर्म अमीरी की श्रेणी में ही आते हैं।
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