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नई दिल्ली। इटली की बड़ी और सबसे पॉपुलर मोटरसाइकिल कंपनी बेनेली अब भारत की सबसे प्रमुख बाइक कंपनी राॅॅयल एनफील्ड को टक्कर देने की तैयारी कर ली है। कंपनी अपना नया मॉडल इंपीरियल 400 लॉन्च करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि इंपीरियल 400 को भारत में सीकेडी रूट के जरिए बेचा जाएगा। इसके पहले बेनेली ने भारत में साल 2015 में पुणे की कंपनी डीएसके ग्रुप के साथ पार्टनरशिप करते हुए भारत में एंट्री की थी।
इटली की इस फेमस कंपनी के मौजूदा प्रोडक्ट पोर्टफोलियो के बारे में आप जानते होंगे लेकिन शायद इसके इतिहास के बारे में न सुना हो। यहां हम आपको बेनेली मोटरसाइकिल के बारे में वह बातें बताने जा रहे हैं जो आपको चौका सकती हैं। आइए जानते हैं इस कंपनी ने कैसे बनाई अपनी अलग पहचान...
छह बच्चों की मां ने शुरू किया बिजनेस
बेनेली S.p.A की शुरुआत पेरासो के इटली शहर में 1911 में हुई थी। इसकी शुरुआत छह बच्चों की एक विधवा मां टेरेसा बेनेली ने की थी। अपने पति को खोने के बाद टेरेसा बेनेली ने अपनी फैमिली का सारा पैसा जुटाकर एक कंपनी में लगाया। उनका मकसद अपने बेटों के लिए रोजगार की संभावनाएं पैदा करना था। कंपनी की शुरुआत बेनेली गैराज से हुई। मजे की बात यह है कि इस गैराज में छह लोग थे, जिसमें टेरेसा के पांच बेटे शामिल थे। उन्होंने वर्ल्ड वार 1 के दौरान इटालियन वार मशीनों को ठीक करने और इन हाउस स्पेयर पार्ट्स को बनाने का काम शुरू किया।
वर्ल्ड वार-1 के बाद बनाई नई बाइक
बेनेली ने 1919 में नई बाइक को बनाया, उसी साल जब वर्ल्ड वार समाप्त हुआ था। उन्होंने इसे आगे बढ़ाते हुए 75 सीसी टू स्ट्रोक इंजन को खुद डेवलप किया जोकि 1921 में सबसे सफल 98सीसी बाइक का आधार बनी। इसी इंजन को मोडिफाइड करके रेस और कॉम्पीटिशन के लिए इस्तेमाल किया है।
दो साल तक इंजन पर काम करने के बाद टेरेसा के सबसे छोटे बेटे टोनिनो बाइक को रेस ट्रैक पर ले गए जहां टोनिनो ने रेसर के तौर पर अपनी प्रभावशाली प्रतिभा को दिखाने के साथ-साथ बेनेली के भरोसेमंदी और हाई परफॉर्मेशन का प्रदर्शन किया।
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रेस में शुरू किया जीतना
बेनेली 175 मॉउल ने पांच साल में चार इटालियन रेसिंग चैम्पियनशिप (1927,1928 और 1980) को जीता। इस बाइक में SOHC लेआउट का इस्तेमाल किया गया जोकि समय से आगे की टेक्नोलॉजी थी। उन्होंने अपनी बाइक में DOHC सेटअप को लगाया और 1931 में दोबारा रेस जीती। हालांकि, टोनिनो का करियर रेसिंग ट्रैक पर ही खत्म हो गया। 1937 में उनकी मौत हो गई।
वर्ल्ड वार- 2 में बर्बाद हो गई थी फैक्ट्री
वर्ल्ड वार-2 के दौरान बेनेली फैक्ट्री पूरी तरह से बर्बाद हो गई लेकिन बेनेली भाईयों का मोटरसाइकिल्स के लिए उत्साह खत्म नहीं हुआ। उन्होंने अपनी फैक्ट्री को दोबारा खड़ा किया और बेहद कम समय में फिर से अपनी बाइक्स को रेस ट्रैक पर लेकर गए और रेस जीती भी। रेसर टेड मेलोर्स ने 1939 में बेनेली मोटरसाइकिल को चलाया और टूरिस्ट ट्रॉफी को जीता।
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वर्ल्ड वार- 2 के बाद...
वर्ल्ड वार की वजह से बेनेली 1949 तक प्रोडक्शन नहीं कर पाए। हल्के वजह वाले स्कूटर्स को व्यक्तिगत ट्रांसपोर्ट के लिए सस्ता साधन माना जाने लगा। 100 से 125 सीसी की बाइक्स की सेल्स ज्यादा होने लगी। बेनेली को मोटो गुजी, वेस्पा, लम्ब्रेटा और डुकाती से कड़ी टक्कर मिली।
बेनेली- 1960 का दशक
परिवार में कुछ अलगाव होने की वजह Giuseppe Benelli ने कंपनी छोड़ दी और मोटोबि नाम से मोटरसाइकिल कंपनी शुरू कर दी। लेकिन की वित्तीय स्थिति खराब होने लगी। 1962 में बेनेली और मोटोबि ने मिलकर काम शुरू किया और प्रतिदिन 300 बाइक्स बनाईं। जैसे-जैसे 60 का दशक खत्म होने लगा जापान की कंपनियों ने यूरोप में आना शुरू किया। उसी वक्त बेनेली का ओनरशिप बदल गया, लेकिन इनोवेशन के बावजूद उसका मार्केट सेगमेंट कम होता गया। इतना ही नहीं, प्रोडक्शन स्थाई रूप से रूक भी गया।
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फिर वापस लौटी बेनेली
1980 में Giancarlo Selci ने बेनेली केा फाइनेंशियल सपोर्ट देने का ऑफर दिया। उस वक्त कंपनी में सुधार नहीं आ पाया। 1995 का वक्त सही था और बेनेली ने Andrea Merloni अपने हाथ में कमान संभाल ली। Andrea Merloni के दौर में कंपनी ने 2002 में टोरनाडो 900 ट्रि सुपर स्पोर्ट बाइक को लॉन्च किया। इसके बाद, 2005 में टीएनटी रोडस्टर को पेश किया गया। इसके बाद से कंपनी में कई बड़े इनोवेशन किए गए और कंपनी की ग्रोथ वापस लौट आई।
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