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डाउनलोड करेंलखनऊ में भले ही कड़ाके की ठंड पड़ रही हो, लेकिन सियासी पारा चढ़ा हुआ है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दल अपने चुनावी अभियानों की तैयारी के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों को चोट पहुंचाने में भी लगे हैं।
BJP के ओबीसी कैटेगरी के नेताओं के सपा की तरफ पलायन और फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर उठे सवालों के बीच BJP अब जवाबी प्रहार की तैयारी कर रही है। इसका जरिया बनेंगीं मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव।
अभी इसकी कोई खबर नहीं: बीजेपी प्रवक्ता
विश्वस्नीय सूत्रों के मुताबिक शनिवार शाम अपर्णा यादव ने बीजेपी नेताओं से मुलाकात की है और हो सकता है कि बहुत जल्द उनके बीजेपी में जाने की अधिकारिक घोषणा भी हो जाए।
क्या अपर्णा यादव बीजेपी में आ रही हैं, फिलहाल इस सवाल पर बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी मुस्कुराते हुए कहते हैं, "अभी उनके आने की हमारे पास कोई खबर नहीं है, लेकिन वो आएंगीं तो हम स्वागत करेंगे।" त्रिपाठी कहते हैं, "कोई भी भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए आएगा, उत्तर प्रदेश को मजबूत करने के लिए आएगा तो हम उसका स्वागत करेंगे।"
2017 में चुनाव हार गई थीं अपर्णा
अगर अपर्णा बीजेपी आती हैं तो बीजेपी के लिए उन्हें जगह देना बहुत आसान नहीं होगा। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा से समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2017 में चुनाव हार चुकी हैं। चुनाव हारने के बाद भी अपर्णा यादव लखनऊ कैंट क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। उनकी पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता की भी है।
यहां ये याद दिलाना जरूरी है कि प्रतीक यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव की पहली शादी से हुए बेटे हैं। मुलायम ने उन्हें अपनाया है और अपना नाम दिया है।
योगी आदित्यनाथ ने CM बनने के बाद अर्पणा से की थी मुलाकात
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपर्णा को लखनऊ में अपनी गोशाला में बुलाया था। इस घटना को जबरदस्त मीडिया कवरेज मिली थी। इसे अखिलेश यादव से उनकी नाराजगी के तौर पर भी देखा गया था।
अपर्णा यादव का टिकट लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से तय नहीं
अपर्णा अगर बीजेपी में जाएंगी तो वे लखनऊ कैंट से टिकट चाहेंगीं। अपर्णा यादव के BJP का रुख करने की एक वजह यह भी है कि समाजवादी पार्टी में लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से उनका टिकट अभी तय नहीं है। लेकिन क्या उन्हें टिकट देना BJP के लिए आसान होगा, इस सवाल पर राकेश त्रिपाठी कहते हैं, "बीजेपी में टिकट पार्टी नेतृत्व तय करता है। वही इस पर फैसला लेगा।"
कांग्रेस से बीजेपी में आईं पूर्व कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी इस सीट से अपने बेटे के लिए टिकट मांग रही हैं। रीता बहुगुणा जोशी इस सीट से जीतती रही हैं। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने के बाद उन्होंने 2017 में यहां से चुनाव जीता और फिर 2019 में लोकसभा लड़ने के लिए सीट छोड़ दी। उपचुनाव जीतने वाले मौजूदा बीजेपी विधायक सुरेश चंद्र तिवारी भी यहां से टिकट के मजबूत दावेदार हैं।
सौम्या भट्ट लखनऊ कैंट से मांग रहीं टिकट
सपा की ही युवा नेता सौम्या भट्ट इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। सौम्या लखनऊ में एक शिक्षण संस्थान चलाती हैं और उनकी पहचान भी एक सामाजिक कार्यकर्ता की है। भास्कर से बात करते हुए सौम्या कहती हैं, "मैं लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हूं। मैं बीते आठ महीनों से यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि पार्टी मुझे यहां से टिकट देगी।"
सौम्या को डिंपल यादव और अखिलेश यादव का करीबी भी माना जाता है। इसकी पुष्टि करते हुए वो कहती हैं, "अपने काम के जरिए मैं डिंपल जी के करीब हूं।"
अपर्णा और डिंपल के बीच संबंध बहुत अच्छे नहीं
अपर्णा यादव के समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी की तरफ जाने की चर्चाओं पर टिप्पणी करते हुए सपा के एक नेता कहते हैं, "अपर्णा समाजवादी पार्टी में बहुत सक्रिय भी नहीं थीं। उन्हें पार्टी की नीतियों और नेतृत्व पर भरोसा करना चाहिए।"
वहीं राजनीतिक हलकों में ये चर्चा भी है कि अपर्णा और डिंपल के बीच संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं। हालांकि सार्वजनिक तौर पर कभी भी डिंपल ने अपर्णा को लेकर टिप्पणी नहीं की है। माना जा रहा है कि डिंपल की करीबी महिला नेता को पार्टी में बढ़ावा दिए जाने से भी अपर्णा असहज हो सकती हैं।
अपर्णा से टिकट को लेकर कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं
लखनऊ कैंट सीट पर पारंपरिक तौर पर ब्राह्मण उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। यहां उत्तराखंड मूल के वोट भी अच्छी तादाद में हैं। सौम्या भट्ट कहती हैं, "मैं उत्तराखंड की बेटी हूं। जाहिर है इसका फायदा भी मुझे यहां से मिलेगा।" हालांकि अपर्णा यादव भी उत्तराखंड मूल की ही हैं।
सौम्या भट्ट मानती हैं कि उनकी अपर्णा यादव से टिकट को लेकर कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है। सौम्या कहती हैं, "अपर्णा यादव जी तिलोही सीट से लड़ने की तैयारी कर रही हैं। टिकट को लेकर जो भी नेतृत्व का फैसला होगा, वो स्वीकार होगा।"
सौम्या भट्ट को मिल सकता है टिकट
हालांकि समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों से बात करके ये स्पष्ट हो जाता है कि लखनऊ कैंट से सौम्या भट्ट की दावेदारी मजबूत है और यही अपर्णा के बीजेपी की तरफ जाने की अहम वजह हो सकती है। अपर्णा के बीजेपी की तरफ जाने से भले ही पार्टी का जनाधार बहुत अधिक न बढ़े, लेकिन इसका प्रतीकात्मक महत्व तो है ही। अपर्णा की पहचान मुलायम सिंह यादव की बहू के रूप में हैं। यदि वे बीजेपी में जाती हैं तो ये बीजेपी की सांकेतिक जीत तो होगी ही।
अपर्णा ने नहीं खोले अपने पत्ते
इस रिपोर्ट के लिए अपर्णा यादव का पक्ष जानने के लिए हमने उनसे संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल सका। उन्होंने अभी तक इस घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी भी नहीं की है। वे बीजीपी में जाने से जुड़े सवालों का जवाब देने से बच रही हैं। माना जा रहा है कि अपर्णा बीजेपी का रुख करके समाजवादी पार्टी पर दबाव भी बना रही हैं ताकि उन्हें ही लखनऊ कैंट से टिकट मिल जाए। समाजवादी पार्टी से जुड़े लोग भी इसे परिवार का भीतरी मामला बता कर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
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