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डाउनलोड करेंदेश में इस साल जनवरी की शुरुआत के बाद कोरोना संक्रमण के नए मामले तेजी से बढ़े थे। अब इसमें थोड़ी राहत मिलती दिख रही है। पिछले 4 दिन का ट्रेंड देखें, तो रोज मिल रहे मामलों में गिरावट आ रही है। इस दौरान देश में महज 6% केस बढ़े, जबकि इसके पहले के 4 दिन में 43% तक केस बढ़े थे। देश में रविवार को कुल 2,58,956 नए मामले मिले और 391 मौतें हुईं, जबकि शनिवार को 2,71,202 नए मामले मिले थे।
मुंबई में आधी से भी कम रह गई संक्रमण की दर
कोरोना के हॉटस्पॉट बने मुंबई में डेली संक्रमण दर 30% से घटकर 13.7% हो गई है। यहां सील की गईं बिल्डिंग की संख्या भी 389 से घटकर 52 रह गई है। महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स का कहना है कि मौजूदा आंकड़ों को देखकर लगता है कि कोरोना का असर कम हो रहा है। अगर अगले 7 दिन यही ट्रेंड रहा, तो मुंबई में पीक आने की बात कही जा सकती है। इसके बाद केस कम होने लगेंगे। इधर, दिल्ली में पहली बार रोज की संक्रमण दर 30.64% से घटकर 27.87% पर पहुंच गई है।
संक्रमण की दर बताने वाले इंडेक्स में भी कमी
महामारी एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार 7 दिन औसत मामलों में स्थिरता रहे या केस घटने का ट्रेंड रहे, तो इसे राहत का संकेत माना जा सकता है। इस बीच, देश के R-फैक्टर में भी दो हफ्ते बाद गिरावट दर्ज हुई है। 13 जनवरी को खत्म हफ्ते में यह 2.2 रह गया है। 25 से 31 दिसंबर के बीच यह 2.9, जबकि 6 जनवरी को खत्म हुए हफ्ते में यह 4 था।
R-फैक्टर से संक्रमण की दर कैसे पता चलती है
IIT मद्रास के गणित विभाग के प्रो. नीलेश एस उपाध्याय और प्रो. एस सुंदर के मुताबिक, R-फैक्टर बताता है कि देश में संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है। R-फैक्टर 2.2 का अर्थ है कि 100 संक्रमित लोगों से 220 स्वस्थ लोग संक्रमित हो रहे हैं। R घटकर 1 से नीचे चली जाती है, तब माना जाता है कि महामारी खत्म हो चली है।
टेस्टिंग भी बढ़ी, देश में रोज 17.8 लाख टेस्ट हो रहे
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्यों में टेस्टिंग बढ़ाई गई थी। देशभर में रोजाना औसत टेस्टिंग का आंकड़ा 17.8 लाख तक पहुंच गया था। इस दौरान मिले नतीजों के बाद तय हुआ कि देश में कोरोना की रफ्तार में कमी आई है।
मेट्रोज से शुरु हुई तीसरी लहर, पहले खत्म भी वहीं होगी
ICMR के ‘सेंटर ऑफ एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी’ के पूर्व डायरेक्टर डॉ. टी. जैकब जॉन ने कहा है कि देश में कुछ स्थानों पर संक्रमण के मामले घटने लगे हैं। महानगरों में यह ट्रेंड दिख रहा है। चूंकि तीसरी लहर महानगरों में पहले शुरू हुई थी, इसलिए खत्म भी पहले वहीं होगी। डॉ. जॉन ने कहा है कि ओमिक्रॉन, कोविड-19 महामारी से कुछ अलग है। ओमिक्रॉन ‘वुहान-डी 614 जी, अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, कप्पा या म्यू से उत्पन्न नहीं है।’ उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन के कारण होने वाली बीमारियां भी अलग हैं। कोरोना निमोनिया-हाइपोक्सिया-मल्टीऑर्गन क्षति रोग है, लेकिन ओमिक्रॉन ऊपरी/मध्य श्वसन रोग है।’
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