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डाउनलोड करेंआज महारानी लक्ष्मीबाई की 164वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। वाराणसी में अस्सी घाट के पीछे भदैनी की गलियों में स्थित उनकी जन्मस्थली पर सुबह से ही लोगों के आने-जाने और दर्शन करने का सिलसिला लगा है। जन्मस्थली पर रानी लक्ष्मी बाई पर आधारित दो दिवसीय समारोह भी शुरू हाे गया है। आज संकट मोचन मंदिर के महंत और IIT-BHU के प्रोफेसर विश्वंभर नाथ मिश्र और अन्य लोगों ने रानी की मूर्ति पर फूल-माला चढ़ाकर कार्यक्रम की शुरूआत की।
इस दौरान कार्यक्रम में दो मुख्य मांगें नरेंद्र मोदी और योगी सरकार से रखी गई। पहली यह कि काशी से ग्वालियर तक वीरांगना एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जाए। दूसरा भदैनी स्थित इस जन्मस्थली को टूरिस्ट प्लेस घोषित किया जाए।
जागृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस समारोह में प्रो. मिश्र ने कहा कि अंग्रेजों को अपने युद्ध कौशल से हैरान करने वाली झांसी की रानी काशी की बेटी हैं। यहां की माटी ने मनु को स्वतंत्र रहना सिखाया।
काशी के संस्कार मनु ने जीतीं लड़ाइयां
प्रो. मिश्र ने कहा कि रानी ने काशी के संस्कार की बदौलत कई लड़ाइयां जीतीं। महिलाओं को सशक्त करने के लिए कई योगदान दिए। समाज को यह मैसेज दिया कि महिला किसी से कम नहीं है। वह चाहे तो देश और समाज को बदल सकती है। हम उनको सादर नमन करते हैं। काशी की लक्ष्मीबाई ने जंग-ए-आजादी में जैसी भूमिका निभाई, वह यह सिद्ध करता है कि वह एक बेहद मजबूत महिला थीं। किसी के आगे अपना सर झुकाने को तैयार नहीं थी।
इन्होंने उठाई मांग
साहित्यकार डॉ. जयप्रकाश मिश्र ने कविताओं के माध्यम से वीरांगना के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कार्यक्रम संयोजक और जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने कहा कि उनकी पुण्यतिथि पर हम केंद्र और राज्य सरकार से मांग करते हैं की महारानी के नाम पर वीरांगना एक्सप्रेस चलाई जाए। यह काशी से चलकर उनकी शहीद स्थली ग्वालियर तक जाए। समाजसेवी सीपी जैन ने कहा कि महारानी के इस जन्मस्थली को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए। इसका प्रचार प्रसार हो, जिससे लोग यहां पर आए।
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