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डाउनलोड करेंवाराणसी स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और इससे संबद्ध कॉलेज में UG-PG के मैनेजमेंट सर्टिफिकेट कोर्स शुरू होंगे। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा होते ही डिग्री मिलने से पहले छात्रों को नौकारी दिलाई जाएगी।
नई शिक्षा नीति के तहत काशी विद्यापीठ में इस स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम को शुरू किया गया है। अर्थशास्त्र विभाग ने इसके लिए एडटेक कंपनी यंग स्किल्ड इंडिया से करार किया है। इसी MOU के तहत यह मैनेजमेंट सर्टिफिकेट कोर्स शुरू हो रहा है। यूनिवर्सिटी रेगुलर कोर्स के पूरा होते ही इसकी भी डिग्री देगा। इस सप्लीमेंट्री कोर्स में छात्रों को प्रोफेसनलिज्म और मैनेजमेंट के टिप्स सिखाए जाएंगे।
कोर्स में 90% प्रैक्टिकल होगा
https://neat.aicte-india.org लिंक पर इस MOU और कोर्स की डिटेल मिल जाएगी। अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजेश पाल ने बताया कि इस कोर्स में 90% प्रैक्टिकल होगा। केस स्टडी बेस्ड, बेहतर क्वालिटी, डिजिटल क्लास रूम, बाहर के इंस्टीट्यूट और इंडस्ट्रीज से विशेषज्ञों को बुलाकर मैनेजेमेंट के इन प्रोफेशनल कोर्स को चलाया जाएगा।
इस कोर्स में सेल्स, मार्केटिंग, HR, फाइनेंस आदि फील्ड में छात्र-छात्राओं को जॉब देने के लिए प्लेसमेंट ड्राइव चलाया जाएगा। यह व्यवस्था अर्थशास्त्र विभाग में ही शुरू की गई है। लेकिन, प्रो. पाल का कहना है कि विश्वविद्यालय का कोई भी छात्र इसमें अपने आप को इनरोल कराकर कोर्स कर सकता है। वहीं विद्यापीठ से संबंद्ध कॉलेज भी इसमें अपना इनरोलमेंट और अलग से MOU करा सकेंगे।
कंपनियों से बढ़ेगा संपर्क
प्रो. पाल का कहना है कि पहले मैनेजमेंट स्किल्स डेवलपमेंट का काम होगा। इसके बाद नौकरी दिलाने के लिए कंपनियों से संपर्क भी साधा जाएगा। यह कोर्स किफायती होगा, जिसका समय डिग्री पूरा होने में लास्ट के 6 महीने होगी। ADTEC कंपनी यंग स्किल्ड इंडिया के प्रोग्राम के तहत वर्कशॉप, वेबिनार और सोशल मीडिया कैंपेनिंग चलाई जाएगी। कंपनी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों को आगे बढ़ाने पर काम करेगी।
UG-PG ग्रेजुएशन कोर्स क्वालिटी में होगा सुधार
प्रो. पाल ने बताया कि इस कोर्स को ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के साथ चलाने पर एजुकेशन की क्वालिटी अच्छी हो जाएगी। NAAC और UGC के अनुसार 75% युवाओं को रोजगार के लिए तैयार किया जा सकता है। इस प्रोग्राम को राष्ट्रीय स्तर पर 993 विश्वविद्यालय, 39931 महविद्यालय और 10725 स्वतंत्र संस्थाओं में शुरू किया गया। इसका असर 37.4 मिलियन छात्रों पर पड़ेगा।
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