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डाउनलोड करेंवाराणसी में छठ पूजा को लेकर तैयारियां अंतिम रूप में हैं। घाटों पर वेदियां तैयार कर ली गई हैं। इस बार वेदियां बनाकर अपना स्थान चिह्नित करने का अलग ही नजारा है। घाट पर जगह-जगह वेदियां बनाई गई हैं। किसी वेदी पर हाईकोर्ट तो किसी पर पुलिस और राजनीतिक पार्टियों का नाम लिखा गया है। वाराणसी समेत पूर्वांचल भर से इस बार करीब 21 लाख से अधिक लोग छठ पूजा करेंगे। साल दर साल छठ पूजा करने वालों की संख्या में इजाफा होते ही जा रहा है।
प्रशासन का अनुमान है कि सबसे ज्यादा वाराणसी में 5 लाख, गोरखपुर में 4 लाख, बलिया में 4.5 लाख, चंदौली में 2 लाख, देवरिया, कुशीनगर, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ और प्रयागराज में करीब 1-1 लाख लोग 10 नवंबर की शाम घाटों पर जुटेंगे। गंगा, वरुणा, गोमती, घाघरा, राप्ती और यमुना में महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देंगी।
नाम लिखकर वेदी को घेरा गया है
वाराणसी में सामनेघाट, संत रविदास घाट, अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध और राजघाट तक हजारों वेदी बना ली गईं हैं। कई यूनिक तरह की वेदियां दिखाई दीं। किसी पर भारत सरकार, तो किसी पर हाईकोर्ट और पुलिस लिखकर छोड़ दिया गया है। उनका स्थान कोई कब्जा न कर सके। इसलिए भी लोग नाम लिखे हैं। कुछ ने तो वेदी को चारों ओर से घेर कर प्लास्टिक से बने कमल का फूल तो वहीं अपने पूरे परिजनों का नाम लिख दिया है।
36 घंटे का होता है निर्जला व्रत
छठ का पावन पर्व 8 नवंबर 2021 को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है। चार दिन तक चलने वाले पर्व का 9 नवंबर को दूसरा दिन है, जिसे खरना कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन का व्रत रखती हैं। शाम को व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं। सूर्य देव की पूजा करने के बाद व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। खरना के अगले दिन यानी 10 नवंबर को छठी मइया और सूर्य देव की पूजा होगी। डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। फिर 11 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा पाठ के साथ छठ पर्व का समापन होता है।
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