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डाउनलोड करेंभारतीय जनता पार्टी (BJP) परिवारवाद को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर अक्सर हमलावर रहती है। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ परिवारवाद का मुद्दा जोर-शोर से उठाते रहते हैं। वहीं, पूर्वांचल में देखें तो खुद BJP ही इससे अछूती नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर कई सांसद, विधायक और राज्यपाल तक इसके उदाहरण हैं।
इसी तरह से बात अगर सीएम योगी की बात करें तो वह भी संघर्ष कर राजनीति में अपना मुकाम नहीं बनाए हैं। बल्कि, वह गोरक्षनाथ पीठ के उत्तराधिकारी के तौर पर राजनीति में आए थे और सांसद चुने जाने के बाद इस बार पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।
बात सबसे पहले PM मोदी के संसदीय क्षेत्र की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की कैंट विधानसभा से सौरभ श्रीवास्तव भाजपा से विधायक हैं। इस बार भी उनका चुनाव लड़ना तय ही माना जा रहा है। सौरभ के पिता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव और उनकी मां ज्योत्सना श्रीवास्तव लंबे समय तक इस विधानसभा से विधायक रहे हैं। शिवपुर विधानसभा से 2017 में विधायक चुन कर मंत्री बने अनिल राजभर के पिता रामजीत राजभर यहीं से 2002 में सपा से विधायक चुने गए थे। बनारस की मेयर मृदुला जायसवाल यहां से भाजपा के पूर्व सांसद रहे शंकर प्रसाद जायसवाल की बहू हैं।
पिता के नाम के सहारे राजनीति में आईं अनुप्रिया
पूर्वांचल में बीजेपी के प्रमुख सहयोगी दल अपना दल (एस) की कर्ताधर्ता अनुप्रिया पटेल अपने पिता डॉ. सोनेलाल पटेल के नाम के सहारे राजनीति में आगे बढ़ीं और दो बार से सांसद व केंद्र में मंत्री हैं। मिर्जापुर से ही भाजपा के कद्दावर नेता रहे ओम प्रकाश सिंह के पुत्र अनुराग सिंह चुनार से विधायक हैं। मिर्जापुर के मझवां से भाजपा विधायक शुचिस्मता मौर्य भी परिवारवाद की ही देन हैं। उनके ससुर रामचंद्र मौर्य इसी सीट से कभी भाजपा के विधायक चुने गए थे। मिर्जापुर के छानबे विधानसभा से विधायक राहुल प्रकाश कोल के पिता पकौड़ी लाल कोल सोनभद्र से भाजपा के सांसद हैं।
चंदौली निवासी देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह भी पिता के नाम के सहारे ही राजनीति में आए और नोएडा से विधायक हैं, दूसरी बार भी प्रत्याशी बनाए गए हैं। चंदौली से तीसरी बार विधायक सुशील सिंह के पिता पूर्व एमएलसी उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह की गिनती बनारस में जिला पंचायत चुनाव के बड़े मठाधीशों में होती थी। सुशील की चाची अन्नपूर्णा सिंह एमएलसी रह चुकी हैं और चाचा एमएलसी बृजेश सिंह बनारस की सेंट्रल जेल में बंद हैं।
नीरज शेखर, अलका और अरुण जैसे भी कई नाम
पूर्वांचल में भाजपा के कई और नेता भी अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। बलिया से भाजपा के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नाम के सहारे राजनीति में आए। वहीं, गाजीपुर में पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद उनकी पत्नी अलका राय बीजेपी से विधायक हैं। आजमगढ़ में पूर्व सांसद रमाकांत यादव के पुत्र अरुण यादव फूलपुर विधानसभा से भाजपा से विधायक हैं।
आजमगढ़ के सगड़ी से विधायक और हाल ही में भाजपा में शामिल हुई वंदना सिंह भी पारिवारिक विरासत को ही आगे बढ़ा रही हैं। जौनपुर से राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी के पिता मातासेवक उपाध्याय कभी भाजपा के जिलाध्यक्ष हुआ करते थे। इसी तरह से कई और नेता हैं जो अपने घर-परिवार को राजनीति में आगे बढ़ा कर भाजपा में अपना दबदबा बनाए हुए हैं।
कुछ अभी राजनीतिक रसूख बनाने के लिए हैं आतुर
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