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डाउनलोड करेंअक्सर करके रक्त के अभाव में किसी न किसी की जान चली जाती है। ऐसे में सुल्तानपुर में एक मां ने बेटी की पहली पुण्य तिथि पर रक्तदान किया। उसने कहा कि हमारी बेटी तो नहीं बच सकी। लेकिन अगर हमारे रक्तदान से किसी की जान बच गई तो हम समझेंगे की बेटी की आत्मा को शांति मिल गई।
मई 2022 में हुई थी बड़ी बेटी की मौत
दरअस्ल शहर के अमहट मंडी के पास किराए के मकान में रहने वाली अंजू सिंह ने आज जिला अस्पताल में ग्लोबल हुसैनी मंच के बैनर तले रक्तदान किया। अंजू सिंह शहर के सेंट जेवियर्स इंटर कॉलेज में शिक्षिका हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना कॉल में मैं कोरोना से ग्रस्त हो गई थी। मैं तो बच गई लेकिन मेरी 17 साल की बेटी अंशिका सिंह एकाएक 22 मई 2022 को बीमार हुई और दुनिया से चल बसी।
सात साल की बेटी के साथ रह रही शिक्षिका
उन्होंने बताया कि मैने यह प्रण किया कि उसकी पहली पुण्य तिथि पर मैं रक्तदान कर उसकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करूंगी। आज जब वो दिन आया तो मैने ग्लोबल हुसैनी मंच के जिलाध्यक्ष अमन सुल्तानपुरी से संपर्क किया और संस्था के बैनर तले ब्लड डोनेट कर मैं अच्छा महसूस कर रही हूं। अंजू सिंह की अब एक सात साल की बेटी है जिसके साथ वो जीवन गुजार रही हैं।
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