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डाउनलोड करेंराम नाम का अद्भुत माहात्म्य है। भगवन्नाम का महत्व भगवान से भी अधिक होता है। यहां तक कि भगवान को भी अपने ‘नाम’ के आगे झुकना ही पड़ता है। यही कारण है भक्त ‘नाम’ के प्रभाव से भगवान को वश में कर लेते हैं। यह बातें, प्रयागराज से आईं कथावाचिका सुनीता शास्त्री ने संत बाबा दयाराम दास के सानिध्य में अखंडनगर क्षेत्र के देव नगर रामपुर में आयोजित सात दिवसीय राम कथा के पहले दिन श्रोताओं के बीच कही।
रामदास स्वामी ने दी मंत्र दीक्षा, कान में कहा श्रीराम
रविवार को रात्रि कालीन कथा में कथावाचिका सुनीता शास्त्री ने राम नाम के महत्व को समझाते हुए कहा कि रामदास स्वामी उच्च कोटि के संत हुए हैं। एक दिन एक मनुष्य श्री रामदास स्वामी के पास आया और बोला महाराज मुझे किस मंत्र का जप करना चाहिए ? मुझे मंत्र दीक्षा दीजिये। रामदास स्वामी ने कहा श्री राम नाम सबसे सरल साधन है, इसकी महिमा शास्त्रों में भरी पड़ी है। उस मनुष्य ने फिर भी मंत्र दीक्षा देने का हठ किया। रामदास स्वामी ने उसके कान में कह दिया श्री राम।
स्वामी बोले- यही नाम मनमंत्र, इसकी शक्ति प्रचंड
अब यह राम नाम का बीज तेरे अंदर मैने स्थापित कर दिया है। वह मनुष्य बोला महाराज मुझे तो लगा कोई शक्तिशाली मंत्र मिलेगा, परंतु आपने कहा श्रीराम। यह नाम तो हर कोई जानता है। इसमें नया क्या है ? स्वामी बोले यही नाम मनमंत्र है। इसकी शक्ति बड़ी प्रचंड है। इसके बल पर श्री शंकर विष पान कर गए और हनुमान ने समुद्र लांघ कर लंका दहन कर दिया। रात्रि 12:00 बजे कथा विश्राम के बाद राधेश्याम गुप्ता कमला प्रसाद, तेज प्रकाश गुप्ता, अतुल कुमार, विशाल, वशिष्ठ नारायण, शीतला प्रसाद आदि ने व्यासपीठ की आरती उतारी। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में श्रोतागणगण मौजूद रहे।
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