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डाउनलोड करेंस्थानीय तहसील क्षेत्र के ग्राम बसडिलिया स्थित आस्ताने शहीद ए मिल्लत में रविवार की रात शहीद-ए- आजम कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें नामचीन उलेमाओं वक्ताओं ने भाग लिया। स्थानीय शहीद ए मिल्लत के उर्स में अकीदतमंदो ने चादर चढ़ाई और दुआएं भी मांगी। रविवार की रात आयोजित शहीदे आजम कॉन्फ्रेंस में मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में मुरादाबाद से आए सैय्यद शबाहत हुसैन ने कहा कि इस्लाम मोहब्बत व भाईचारे का पैगाम देता है।
लोगों का दीन की तरफ ले जाना उद्देश्य
इस पैगाम को हमें आम लोगों तक पहुंचाना होगा। आज शिक्षा के मामले में मुसलमान काफी पीछे हैं उन्हें दीनी और दुनियावी दोनों शिक्षा पर जोर देना होगा तभी एक सफल जीवन में कामयाबी मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि सबसे पहली सीढ़ी मां-बाप होते हैं अगर बचपन में मां बाप का प्यार मिला तो वह बच्चे गलत कामों की तरफ नहीं जा पाते हैं। जब मां-बाप नेक होंगे तो बच्चे भी नेक होंगे। इस मौके पर कान्फ्रेंस को खिताब करते हुए जाकिर ईस्माइली बहराइच ने कहा कि शहीदे आजम कॉन्फ्रेंस में जुटने का उद्देश्य यह है कि सभी लोग दीन की तरफ बढ़े और दुनिया को भी सुरक्षित रखें। हर कामयाब इंसान के पीछे मां-बाप की दुआएं होती हैं। इस मौके पर हाफिज अरबाब फारुकी व मोइनुद्दीन फारूकी ने कहा कि आज नौजवान दीन से भटक रहा है।
प्रस्तुतियों ने बाधां समा
इसी वजह से वह परेशान भी है, जबकि इससे पूर्व तिलावते कलाम पाक से कान्फ्रेंस की शुरुआत की गई। इसके बाद मुंबई से आए जुबेर फैजी ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा कि अजमेर चल कर देखो रुतबा अली का। इसके बाद आकिब रजा इलाहाबादी ने पढ़ा कि हम हैं मौला अली वाले हम हैं मौला अली वाले यह बात मान लीजिए तकरार के बगैर। कान्फ्रेंस को मौलाना मकसूद अकरम, अरशदुउल कादरी, मौलाना सफीक निजामी, मुफ्ती इजहार उल हक, कारी अबरार अहमद आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना मकसूद अकरम व संचालन दिलशाद फारुकी ने किया। इस मौके पर डॉक्टर मोहम्मद हुसैन सिद्दीकी, अफजान फारुकी, नवी ,जहीर फारुकी, सरताज फारुकी, हमीद फारूकी, बिलाल फारुकी, सैयद मैराज आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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