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श्रावस्ती…धूल खा रही सरकार की स्वच्छ भारत मिशन योजना:घटिया मटेरियल से हुआ शौचालयों का निर्माण, किसी की जमीन धंसी तो किसी की छत टूटी, अब लोग रख रहे घर के उपले

श्रावस्तीएक वर्ष पहले
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कम बजट में बने टॉयलेट लोगों के लिए बने मुसीबत। - Money Bhaskar
कम बजट में बने टॉयलेट लोगों के लिए बने मुसीबत।

श्रावस्ती में स्वच्छ भारत मिशन के तहत विभाग के निर्देश ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान के द्वारा लाभार्थियों को शौचालय का लाभ दिया गया था। ताकि गांव खुले में शौच मुक्त हो सके। साथ ही स्वच्छता बरकरार रहे। जिसके बाद ही सभी लाभार्थियों के घरों में शौचालय का निर्माण भी हुआ। ये निर्माण लाभार्थियों ने स्वयं ना करवाकर ग्राम प्रधान के द्वारा ठेकों पर ही करा दिया गया।

शौचालय के दरवाजे भी टूटे

जिसके चलते ही शौचालयों में मानक विहीन मटेरियल का प्रयोग करने से कुछ ही दिन के बाद ही शौचालय धीरे-धीरे बदहाल होने लगे। शौचालय के दरवाजे टूट गए। अंदर लगी सीट भी बैठ गई। साथ ही शौचालय की छत भी दरकने लगी। जिसके बाद ग्रामीणों ने शौचालयों का प्रयोग बंद कर दिया। अब इन शौचालयों में घर के उपले या अन्य चीजें रख दी गई हैं।

कम पैसों में करवाया निर्माण

जानकारी के मुताबिक शौचालय लाभार्थी को 12000 रुपये दिए जाते हैं। जिसमें की वह शौचालय का निर्माण करा सके लेकिन ग्राम प्रधान के द्वारा स्वयं इन शौचालयों का निर्माण आधे अधूरे पैसे लगाकर करा दिया जाता है।जमुनहा विकासखंड के चौबेडीह और जमुनहीं गांव में दर्जनों ऐसे शौचालय मौजूद है जो घटिया मटेरियल से निर्माण होने के चलते बदहाल हो चुके हैं।

धीरे-धीरे शौचालय हो गए बदहाल

जिन लाभार्थियों को शौचालय का लाभ दिया जाता है। उनके खातों में शौचालय की जो राशि होती है, वो भेजी जाती है। शौचालय का निर्माण भी लाभार्थी के द्वारा स्वयं किया जाना होता है। बावजूद इसके ग्राम प्रधानों के मनमाने रवैया के चलते लाभार्थियों के खाते में पैसे ना भेजकर स्वयं ही ठेके पर घटिया मटेरियल का उपयोग करते हुए शौचालयों का निर्माण करा दिया गया। जिसके चलते अब शौचालय धीरे-धीरे बदहाल हो गए।

शिकायत के बाद भी नहीं मिला हल

इन शौचालयों का ग्रामीणों के द्वारा प्रयोग नहीं किया जा रहा। जिसके चलते अब यही शौचालय अनप्रयोग हो गए हैं। मजबूरन ग्रामीणों को अब भी या तो सामुदायिक शौचालय या फिर खुले में शौच जाना पड़ रहा है। जिसके चलते जिले में स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लग रहा है। हालांकि कई ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम प्रधान से कई बार इस मामले को लेकर शिकायत भी की गई। बावजूद इसके ग्राम प्रधान ने इस तरफ ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा।

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