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डाउनलोड करेंयूपी के संतकबीरनगर में एक थाना प्रभारी का कुर्सी पर मजबूत जोड़ इन दिनों काफी चर्चा में बना हुआ है। कुछ महीने पहले इस थाने का एक मामला काफी चर्चित रहा, जिस पर कई सवाल भी खड़े हुए। यह थानाध्यक्ष कोई औऱ नही जयवर्धन सिंह हैं। मेहदावल थाने की थानेदारी संभाले लगभग 1 साल से ऊपर हो चुके हैं। आईजी से लेकर कप्तान तक बदल गए, लेकिन अभी तक जयवर्धन सिंह मेंहदावल में ही जमे हैं। आपको बता दें कि मेंहदावल थाना क्षेत्र हत्या और आत्महत्या करने वालों का गढ़ बन चुका है। हर हफ्ते हो रही हत्या व आत्महत्या ने कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया। पिछले दो महीनों में एक दर्जन से अधिक हत्या- आत्महत्या हो चुके है। लेकिन खुलासे की बात करें तो यहां न के बराबर खुलासे होते हैं।
मेंहदावल क्षेत्र में बढ़ा क्राइम का ग्राफ
मेंहदावल थाना क्षेत्र में अगर पिछले छह महीनों की बात करे तो यहां के अपराधियों में खाकी का डर खत्म होता नजर आ रहा है। कानून-व्यवस्था को ठेंगा दिखाते बदमाश बेखौफ हो गए हैं। राजनीतिक दलों का विरोध प्रदर्शन, विभागों का अल्टीमेटम किसी काम नहीं आ रहा है। यहां आला हाकिमों की फटकार का अधीनस्थों पर असर नहीं दिख रहा है। यही हाल रहा तो मेंहदावल शहर सड़क पर निकलने से लोग गुरेज करेंगे। पिछले 2 महीने से हत्या और बलात्कार का ग्राफ एकाएक ऊपर पहुंचा है।
निष्क्रियता दिखाने वाली पुलिस को दिया गया था इनाम
मेंहदावल थाना पुलिस की खूब किरकिरी हुई थी, जो काफी चर्चित मामला था: बीते 14 अप्रैल को 6 साल के मासूम की फिरौती के लिए हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद उस बच्चे की बॉडी के टुकड़ो में मिले थे। जिसमे मेंहदावल पुलिस ने हर बिंदु पर शिथिलता बरती थी और परिजनों ने भी पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए थे, इतना ही नही इसी दौरान तत्कालीन कप्तान डा. कौस्तुभ का ट्रांसफर हो गया, लेकिन नवागत कप्तान के जॉइन करने से पहले जल्दबाजी में घटना का पर्दाफाश करते हुए निष्क्रियता दिखाने वाली मेंहदावल पुलिस को शाबाशी के साथ इनाम भी दिया गया, जिसमें यह थाना सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हुआ था और लोगों इसकी निंदा की थी।
सबसे अधिक दिन तक थानाध्यक्ष जयवर्धन सिंह का रहने का तोड़ा रिकॉर्ड
आपको बता दें कि संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल थाना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, यहां एसओ जयवर्धन सिंह ने सबसे अधिक समय तक थानाध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड तोड़ा है। यहां इनके तैनाती के लगभग एक वर्ष का समय बीत गया, लेकिन इन्हें कोई हिला नही पाया, सूत्रों की माने तो ऐसा नही कि इन्हें हटाने की कोशिश नही हुई, मगर इनकी किस्मत इतनी अच्छी रही कि उस समय के तत्कालीन कप्तान के पास तक उनकी का रगुजारियां पहुंची, लेकिन इससे पहले एसपी का जाने का नंबर आ गया और उन्हें राहत मिल गई। अभी तक इनसे अधिक दिन तक इस थाने पर कोई थानाध्यक्ष नही रहा है।
मार्च माह से अभी तक तक का मेंहदावल में क्राइम का ग्राफ
● 18 मार्च को वैरिहवा में दोस्त ने दोस्त की हत्या की
● ठीक 8 घंटे बाद श्रीनगर गांव में बेटी ने मा की हत्या की
● 31 मार्च को मर वटिया में युवक की हत्या की गई लेकिन उसको पुलिस ने आत्महत्या दिखाने की कोशिस की जिसके कारण बाद में शव निकाला गया। पीड़ित ने पुलिस पर एकपक्षीय कार्यवाही का आरोप लगाया
● 2 अप्रैल को जमोहरा निवासी रामप्रसाद ने अपनी पत्नी को खोजने को लेकर मेंहदावल थाने पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया
● 3 अप्रैल को तुलसीपुर गांव में चाकूबाजी की गई जिसमें दो गंभीर घायल हुए
● 14 अप्रैल को करमैनी में पैसे को लेकर मासूम की हत्या की गई जिसमें परिजनों ने मेंहदावल पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उसके बाद जिम्मेदार ने एसओ को ईनाम भी दे दिया
● 17 अप्रैल को अवरही में मारपीट हुई जिसमें एक घायल हुए
● 9 मई को दिया बाती में गोलू निषाद नाबालिक ने आत्महत्या कर ली
● 11मई को पंडितपुर वा में वृद्ध महिला की हत्या गला दबाकर की गई जबकि सीओ ने कहा सीओ ने कहा स्वाभाविक मृत्यु है
● 14 मई को चार साल की नाबालिक से दुष्कर्म किया गया।
● 20 मई को बढ़या में भाई ने भाई की हत्या की
● 2 जून को बांडुमर गांव में महिला ने आत्महत्या की
● 29 अप्रैल को जब नए कप्तान सोनम कुमार ने थाने का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा था कि फरियादी के साथ अच्छा व्यवहार हर हालत में होना चाहिए, लेकिन कुछ दिन बाद ही एक पत्रकार के साथ थानाध्यक्ष का व्यवस्था अकड़न सा रहा।
● 2 मई को आए थाने के कार्यप्रणाली रैंक में इन्हें तहसील मुख्यालय का थाना होने के बाद भी जिले में पांचवा स्थान मिला
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