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डाउनलोड करेंविस्फोटक धूल में लिपटे बच्चे और महिलाएं अपने और अपनों के लिए खतरा साबित हो जाते हैं। सहारनपुर में 18 दिन के भीतर दो पटाखा फैक्ट्रियों में विस्फोट हुआ। एक फैक्ट्री में तो मालिक सहित पांच मजदूरों की मौत हो गई। जबकि सतपुरा में हुए धमाके में दो लोग घायल हुए। हालांकि फैक्ट्री की बिल्डिंग सहित स्टाक का नुकसान जरूर हुआ है। लेकिन ये किसी की जान से ज्यादा नहीं है।
सहारनपुर में मानकों को ताक पर रखकर पटाखा फैक्ट्रियां चलाई जा रही है। बच्चे और महिलाएं पटाखा फैक्ट्रियों में घंटों के हिसाब से काम करते हैं। ज्यादा मजदूरी मिल जाए, इसको लेकर जल्दबाजी में भी काम किया जाता है।
नाबालिग काम करता मिला
24 मई की सुबह बिहारीगढ़ का सतपुरा गांव के लोग धमाकों की गूंज से सहम गए। करीब डेढ़ घंटे तक पटाखा फैक्ट्री रुक-रुककर धमाके होते रहे। हालांकि इस विस्फोट में दो मजदूरों को ही चोट आई है। सतपुरा में हुए धमाके के बार जिला प्रशासन की कुंभकर्णी नींद खुली। पटाखा फैक्ट्रियों में चेकिंग अभियान और छापामारी का कार्यक्रम शुरू कर दिया। करीब तीन फैक्ट्रियों और तीन दुकानों पर छापामारी की गई।
एक फैक्ट्री में एक नाबालिग बच्चा काम करता मिला। जबकि ज्यादातर फैक्ट्रियों में महिला ही पटाखा बनाती है। लेकिन विभाग की ओर से यह कहकर फैक्ट्री स्वामी का राहत दी गई कि बस एक ही बच्चा मिला था। चेतावनी देकर छोड़ दिया।
पांच मौतों से भी नहीं गंभीर हुआ था प्रशासन
सात मई 2022 की शाम। सरसावा के बलवंतपुर में पटाखा फैक्ट्री के भयंकर विस्फोट ने पांच घरों के चिराग बुझा दिए थे। फैक्ट्री स्वामी सहित पांच मजदूरों की मौत हुई। सभी के शरीर का क्षत-विक्षत टुकड़े खेतों में बिखरे मिले। किसी का सिर तो किसी का पैर मिला। दो मजदूरों की पहचान आज तक नहीं हुई। हां, परिवार के लोगों ने क्षत-विक्षत शरीर के टुकड़ों को अपना-अपना बेटा मानकर अंतिम संस्कार जरूर कर लिया। हैरानी इस बात की है कि इन पांच मौतों के बाद भी जिला प्रशासन ने कोई भी चेकिंग अभियान नहीं चलाया। जिसका परिणाम यह हुआ कि 24 मई की सुबह बिहारीगढ़ का सतपुरा गांव फिर से पटाखा फैक्ट्री के धमाके की गूंज से दहल गया। हालांकि इस धमाके में किसी की जान नहीं गई।
कैसे बचाव करेंगी महिलाएं
जिले में 15 से ज्यादा पटाखा फैक्ट्रियां संचालित हो रही है। अवैध फैक्ट्रियां भी गुपचुप तरीके से चल रही है। कागजों में जांच के अक्षरों को उकेरा जाता है। बडे़ अफसर भी संतुष्ट हो जाते हैं, जांच हो रही है। लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देता है। जिसका परिणाम यह धमाके हैं। हां, इतना जरूर है कि धमाकों के बाद सब कुछ ठीक है। कहकर सबको संतुष्ट कर लिया जाता है।
मानकमऊ क्षेत्र में घर-घर में पटाखों बनाए जाते हैं। फैक्ट्री संचालक ज्यादा कमाने की चक्कर में घरों में कच्चा माल सप्लाई कर रहे हैं। फैक्ट्रियों में तो बच्चे और महिलाएं काम कर रही है, वहीं मजदूरों के घर भी बारूद के साए में रहते हैं। कब बड़ा हादसा हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। अधिकारी जांच पर कागजों तक ही सीमित है।
सिटी मजिस्ट्रेट विवेक चतुर्वेदी का कहना है कि पटाखा फैक्ट्री में निरीक्षण के समय प्रतिबंधित पटाखे मिले। फैक्ट्री को सील कर नमूने जांच को भेजे गए हैं। कोई भी बच्चा काम करते नहीं मिला है।
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