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डाउनलोड करेंयूपी में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बढ़ती जा रही है। पहली और दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित मरीजों को कठिनाइयां झेलनी पड़ी। ऑक्सीजन, दवाई, बेड और एंबुलेंस के लिए मरीजों को भटकना पड़ा। सहारनपुर में तीसरी लहर को देखते हुए मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और सीएचसी व पीएचसी पर ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए। बेडों की संख्या भी बढ़ाई गई।
3 और 4 जनवरी को जिला अस्पताल सहित अन्य जगहों पर हुई फुल रिहर्सल में व्यवस्थाएं तो दुरुस्त दिखाई दीं, लेकिन अधिकारी, कर्मचारी फेल रहे। ट्रेनिंग के बाद भी ज्यादातर कर्मचारी मरीज को ऑक्सीजन देने में सफल नहीं हो सके।
14 ऑक्सीजन प्लांट हुए स्थापित
सहारनपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में 2, SBD जिला अस्पताल 2, CHC फतेहपुर, नकुड़, देवबंद, गंगोह, रामपुर, नागल, रणखेडी, जडौदा पांडा व सरसावा में एक-एक ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए। मेडिकल कॉलेज में एक पुराना ऑक्सीजन प्लांट लगा हुआ था। दो प्लांट लगने के साथ संख्या 3 हो गई है।
सहारनपुर में 600 बेड की व्यवस्था
कोरोना की पहली और दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड कम पड़ गए थे। संक्रमित मरीजों की तड़प और मौतों के आंकड़ों से सबक लेते हुए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए और बेडों की संख्या भी। मेडिकल कॉलेज में 300 बेड, महिला अस्पताल 50, फतेहपुर 50, नानौता 30, नकुड़ 30, देवबंद 30, गंगोह 30, रामपुर 30, साढौली कदीम 10, मुजफ्फराबाद 10, पुवांरका 10, सुनहेटी 10 व नागल में 10 बेड की व्यवस्था की गई है।
150 बेड का पीआईसीयू तैयार
बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए जिला महिला अस्पताल में 150 बेड के पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट) बनाया गया है। इनमें शेखुल हिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कॉलेज पिलखनी में तीसरी मंजिल पर 100 बेड का वार्ड तैयार किया जा रहा है। इसमें 25 बेड पीआईसीयू और 25 वार्ड एचडीयू (हाई डिपेंडेंस यूनिट) है, जबकि 50 का बेड जनरल वार्ड बनाया गया है। जिला महिला अस्पताल में 50 बेड का पीआईसीयू बनाया गया है। अस्पताल की नई बिल्डिंग में दूसरी और तीसरी मंजिल पर 25-25 बेड के वार्ड तैयार किए गए हैं।
सीएमओ डॉ. संजीव मांगलिक का कहना है कि तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार है। व्यवस्थाओं को जांच और परखा जा चुका है। जिले जांच का दायरा बढ़ाया गया है। यहीं कारण है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। अच्छी बात यह है कि अभी तक ओमिक्रॉन का कोई मरीज नहीं मिला है।
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