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डाउनलोड करेंसहारनपुर में अखिल भारतीय संत समिति के तत्वावधान में मां कालिका सिद्ध पीठ के प्रांगण में देश के कोने-कोने से करीब 5,000 संत पहुंचे हैं। संतों, महंतों, पीठाधीश्वरों, योगियों, आचार्य मंडलेश्वरों, महामंडलेशवरों, पंडितों, मठाधिपतियों, आचार्यो और हिंदू सनातन धर्म के प्रकांड विद्वानों के सम्मेलन में “मठ-मंदिर मुक्ति आंदोलन” का उद्घोष किया।
मठ-मंदिरों को कब्जामुक्त करें सरकार
अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष एवं मां कालिका सिद्ध पीठ कालिका मंदिर के महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत महाराज ने राज्य सरकार द्वारा मठ मंदिरों पर अवैध कब्जे पर तीव्र रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकार इनका प्रबंधन तत्काल प्रभाव से धर्म भक्त धर्माचार्यों को सौंप दें, वरना पूरे देश में इस आंदोलन कि चिंगारी आग की तरह फैल जाएगी। उन्होंने सरकारों को संविधान के पालन की सलाह देते हुए कहा कि सरकार केवल हिंदू मंदिरों का अधिग्रहण करती हैं, दूसरे धर्मों के मस्जिद या चर्च को नहीं। यदि संविधान मे सभी धर्मों को बराबर माना है, तो हिंदुओं के साथ भेदभाव क्यों? लगभग चार लाख मंदिरों की आय को मंदिरों के रखरखाव के लिए कम और दूसरे धर्म के लोगों को खुश करने और अपना पेट भरने के लिए अधिक हो रहा है।
मंदिर का संचालन भक्तों का काम, सरकार का नहीं
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि साल 2014 मे सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के चिदंबरम के नटराज मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने वाले आदेश मे कहा था “मंदिरों का संचालन और व्यवस्था भक्तों का काम है, सरकार का नहीं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर के अधिकार वाले केस में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने स्पष्ट कहा था कि मंदिरों पर भक्तों द्वारा चढ़ाए गए धन को यह सरकार मनमाने तरीके से खर्च करती हैं। जबकि एक भी चर्च या मस्जिद पर राज्य का नियंत्रण नहीं है।
सिद्ध योग मठ अखाड़े के बालयोगी आचार्य मंडलेश्वर अलख नाथ महाराज ने अपनी ओजस्वी वाणी से उपस्थित जनसमुदाय को उद्वेलित करते हुए कहा कि सनातन हिंदू धर्म है तो देश है, धर्म बचेगा तो देश बचेगा और हिंदू धार्मिक स्थलों पर भक्तों द्वारा दिए गए दान व चढ़ावे से गुरुकुल, गोशाला, पुस्तकालय, यज्ञशाला, आयुर्वेद और वैध शालाओं का निर्माण होगा जिससे एकबार फिर से भारतवर्ष विश्वगुरु के पद पर विराजमान होगा।
सरकार पुजारियों को वेतन क्यों नहीं देती?
सहारनपुर से सिद्ध योग मठ अखाड़े के महा मंडलेश्वर संत कमल किशोर ने इसे अपनी अस्मिता और मान कि लड़ाई में सभी को तन-मन-धन से अपना सहयोग देने का आह्वान करते हुए कहा कि सरकारें हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ उनका आर्थिक शोषण भी करती हैं। यदि सरकार मंदिर को पब्लिक की संपत्ति समझती हैं तो मंदिर के पुजारियों को वेतन क्यों नहीं देती? और यदि मस्जिदें मुसलमानों की निजी संपत्ति हैं, तो सरकार मौलवियों को वेतन क्यों देती है?
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