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डाउनलोड करेंकिसानों के हित के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने वाले राकेश टिकैत का संगम की धरा पर रविवार को एक नया रूप देखने को मिला। राष्ट्रीय चिंतन शिविर में भाग लेने आए किसानों के हाथ में गंगाजल देकर नशामुक्ति व दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ खड़े होने और व्यापक आंदोलन का हिस्सा बनने का आह़्वान किया। राकेश टिकैत का कहना है कि जिन रुपयों से हम नशा करते हैं उसपर हमारे परिवार का हक होता है। ऐसे में हमें अपने परिजनों का हक मारने का कोई अधिकार नहीं है।
पहले हर महीने 36 हजार जमा करो, फिर नशा करो
राकेश टिकैत रविवार को करीब 3 बजे प्रयागराज के परेड ग्राउंड पर आयोजित चिंतन शिविर में पहुंचे। वो जैसे ही परेड ग्राउंड में शिविर स्थल पर पहुंचे किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस दौरान राकेश टिकैत की निगाह कुछ किसानों के चेहरे पर पड़ी जिन्होंने गुटखा खा रखा था। टिकैत वहीं रुक गए। बोले अरे…किसी के पास गंगाजल है…भीड़ को चीरती हुई आवाज हाई, अभी लाई। थोड़ी देर में एक ग्लास गंगाजल आ गया। सभी इस चिंता में पड़ गए कि गंगाजल क्या होगा। तभी उन्होंने भीड़ में दो युवकों को आगे आने को कहा। दोनों आगे खड़े हुए तो पूछा कि भाई पान-मशाला क्यों खाते हो। जवाब आता, इससे पहले दूसरा प्रश्न पूछ डाला। अच्छा कितने रुपये का मशाला खा डालते हो। जवाब आया 100 रुपये का। अच्छा घर में कितने सदस्य हैं। 12। अगर आपके घर में 12 सदस्य हैं और आप हर
महिलाओं से पूछा बेटवा की शादी में दहेज लोगी?
चिंतन शिवर में आईं महिला किसानों ने राकेश टिकैत ने पूछा कि लड़के की शादी में कितना दहेज लोगी। महिला ने कहा कि नहीं भैया हमका दहेज न चाही। हमका पढ़ी-लिखी लड़की चाही, बस। राकेश टिकैत ने कहा बिल्कुल सही है। इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद सभी किसान कार्यकर्ताओं से कसम खिलवाई कि आप दहेज नहीं लेंगे। केवल बेटी ब्याहकर लाएंगे उसके मां-बाप की आहें लेकर नहीं आएंगे। बिना दहेज की शादी करेंगे।
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