पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंप्रतापगढ़ जिले के सांगीपुर ब्लॉक में हुए बवाल में कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी समेत दर्जनों आरोपियों की गिरफ्तारी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया। कोर्ट ने एक साथ 6 एफआईआर और सांसद के कपड़े फटने पर 307 की धारा को लेकर पुलिस को फटकार लगाई।
बता दें कि सांगीपुर ब्लॉक में 25 सितंबर को भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता की पिटाई के मामले में एक तरफ से दर्ज कराई गई 6 एफआईआर पर आरोपियों की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने एक ही समय पर घटी एक ही घटना में 6 एफआईआर दर्ज करने को लेकर औचित्य पर भी गंभीर रुख अख्तियार किया। ब्लॉक मुख्यालय पर हुए सरकारी कार्यक्रम के दौरान भाजपा और कांग्रेस समर्थकों में भिड़ंत हो गई थी। घटना को लेकर सांसद संगम लाल गुप्ता के सेक्रेटरी सुनील कुमार, देवेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक कुमार मिश्रा, ओम प्रकाश पाण्डेय ने पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी और क्षेत्रीय विधायक आराधना मिश्रा 'मोना' समेत कांग्रेस समर्थकों के खिलाफ मारपीट और हमले की एफआईआर दर्ज कराई थी।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
वहीं सांगीपुर के तत्कालीन कोतवाल तुषार दत्त त्यागी ने भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के द्वारा अभद्रता की एफआईआर लिखाई थी। हालांकि कोतवाल तुषार दत्त त्यागी ने दर्ज कराए गए मुकदमे में प्रमोद तिवारी और विधायक आराधना मिश्रा 'मोना' की घटना में किसी भी प्रकार की भूमिका नहीं दर्शायी। पुलिस ने इस मामले में 9 आरोपियों को अज्ञात के रूप मे चिन्हित कर जेल भेज दिया है, जबकि एक अन्य आरोपी को बाद में गिरफ्तार किया गया। पुलिस द्वारा आरोपियों के यहां दबिश को लेकर चंद्रशेखर सिंह समेत कई अन्य ने पुलिस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।
307 की धारा लगाए जाने पर जताई नाराजगी
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सरोज यादव की बेंच ने एफआईआर दर्ज कराने वालों की मेडिकल रिपोर्ट का भी अवलोकन किया। मेडिकल रिपोर्ट में साधारण चोटों को प्रदर्शित देख हाईकोर्ट ने इस पर पुलिस द्वारा धारा 307 लगाए जाने को लेकर खासी नाराजगी जताई। याचिका का विरोध कर रहे अधिवक्ता ने जब कोर्ट के सामने यह दलील दी कि घटना में सांसद संगम लाल गुप्ता के कपड़े फट गए थे तो कोर्ट ने पूछा कि क्या सांसद जी के कपड़े फटने पर धारा 307 का मुकदमा होगा। कोर्ट ने पुलिस द्वारा साधारण चोटों पर 307 की धाराएं लगाए जाने पर गहरी नाराजगी जताई।
हाईकोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार
वहीं डिवीजन बेंच ने सरकारी पक्ष से यह भी सवाल पूछा कि वह बताएं कि एक ही समय पर घटी एक ही घटना में 6 एफआईआर लिखाए जाने का क्या औचित्य है। हाईकोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए पुलिस की भूमिका पर भी कड़ी फटकार लगाई। गिरफ्तारी पर रोक के आदेश का यहां हवाला देते हुए अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने बताया कि एफआईआर के खिलाफ दायर याचिका की बहस करते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीबी पाण्डेय और सहायक अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार ने घटना के सभी तथ्यों को प्रस्तुत किया।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.