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डाउनलोड करेंभाजपा ने शनिवार को 107 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इसमें से सिर्फ 10 महिलाओं को ही टिकट दिया है। यानी विधानसभा में महिला आरक्षण 33 फीसदी देने की बात करने वाली भाजपा ने पहली सूची में महज 9.34 प्रतिशत महिलाओं पर ही भरोसा जताया है।
इसमें भी चार महिला विधायकों विमला सोलंकी, ऊषा सिरोही, संगीता चौहान और अनीता राजपूत के टिकट काट दिए हैं। जानिए इन महिला राजनेताओं के बारे में, जिन्हें टिकट मिला...
जिसने पति ने निधन के बाद जिताया, उसी का टिकट काटा
सबसे ज्यादा चौंकाने वाला मामला मुरादाबाद मंडल का रहा। वहां की 27 विधानसभा सीटों में 14 पर भाजपा के विधायक हैं। इसमें से 13 विधायकों को पार्टी ने फिर से टिकट दिया है। मगर, दिवंगत क्रिकेटर और योगी कैबिनेट में कैबिनेट मंत्री रहे चेतन चौहान की पत्नी और मौजूदा विधायक संगीता चौहान का ही टिकट काट दिया है।
कोरोना से चेतन चौहान की मौत होने के बाद संगीता चौहान अमरोहा की नौगावां सीट से उपचुनाव लड़ा और वह जीतकर विधायक बनी थीं। BJP ने संगीता की जगह अमरोहा के सांसद रह चुके देवेंद्र नागपाल को प्रत्याशी बनाया है। इस बात को लेकर अमरोहा के लोगों में खासा रोष है।
उत्तराखंड की राज्यपाल रही बेबीरानी को दिया टिकट
उत्तराखंड की राज्यपाल के रूप में 26 अगस्त 2021 को तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी बेबीरानी मौर्या को भाजपा ने आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से टिकट दिया है। वह वर्ष 2007 में एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायकी का चुनाव हार गई थीं। महामहिम बनने के बाद विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिलने पर उन्हें खुद ही इसे अस्वीकार कर देना चाहिए था।
इसके पहले और बाद वे लंबे समय तक विभिन्न पदों पर रहीं। वर्ष 1997 में बेबीरानी मौर्य को भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा की कोषाध्यक्ष बनाया गया था। वर्ष 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाया गया था।
कैराना से पलायन का मुद्दा उठाने वाली मृगांका सिंह
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित कैराना में पालयन का मुद्दा लोकसभा में सबसे पहले भाजपा सांसद स्वर्गीय हुकुम सिंह ने उठाया था। हुकुम सिंह के निधन के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए उपचुनाव में मृगांका पर पार्टी ने दांव लगाया था। मगर, वह हार गई थीं। अब एक बार फिर मृगांका सिंह को पार्टी ने मौका देकर इस मामले को चुनाव में भुनाने की कोशिश की है।
चरथावल से पति की विरासत बढ़ाएंगी सपना कश्यप
कोरोना से भाजपा के मंत्री रहे विजय कश्यप के 18 मई 2021 को निधन के कारण खाली हुई सीट पर उनकी पत्नी सपना विजय कश्यप को टिकट दिया गया है। सपना कश्यप को जून 2021 में राज्य पिछड़ा आयोग की सदस्या मनोनीत किया गया था। जमीन से जुड़े विजय कश्यप का स्वभाव इतना मधुर था कि जो एक बार उनसे मिल लिया वह उन्हीं का होकर रह गया। उनके विकास कार्यों का फायदा सपना को मिल सकता है।
मोदीनगर से डॉक्टर मंजू सिवाच को जाट होने का फायदा
कोरोना के दौर में लोग मर रहे थे, तो मंजू शिवाच ने पीपीई किट पहनकर मृत हुए लोगों का दाह संस्कार किया। उस समय इस काम के लिए एक भी मर्द आगे नहीं आया था। मोदीनगर की विधायक डॉक्टर मंजू शिवाच जाट बिरादरी से हैं। वह और उनके पति डॉक्टर देवेंद्र दोनों ही पेशे से चिकित्सक हैं और अपना नर्सिंग होम चलाते हैं। किसानों के मुद्दों पर मुखर रही हैं। गन्ना किसानों के न्याय के लिए आवाज उठाती रही हैं। लड़कियों की शिक्षा और विकास के मुद्दे पर बात करती हैं।
बाह से बीहड़ की रानी पक्षालिका को फिर मौका
रानी पक्षालिका सिंह के पति राजा अरिदमन सिंह विधायक और मंत्री रह चुके हैं। साल 2017 में वह पहली बार विधायक बनी थीं। बीहड़ की रानी के नाम से मशहूर रानी पक्षालिका और उनके पति के पास 132 हथियार हैं। इसकी घोषणा उन्होंने 2012 विधानसभा चुनाव में दिए हलफनामे में की थी। इनमें एक डीबीबीएल गन, एक कार्बाइन, एक एनपीबी पिस्टल, आठ चाकू, 31 ड्रैगर, 34 तलवार, 53 छूरे हैं।
भदावर खानदान से संबंध रखने वाली रानी पक्षालिका को अरिदमन सिंह द्वारा उनके कार्यकाल में करवाए गए विकास कार्यों का लाभ मिला। कई गांवों में बिजली पहुंची, छोटे गांव कस्बे बन गए, रेलवे लाइन आई और बटेश्वर मेले को बड़ा स्वरूप दिया।
बिजनौर से शुचि मौसम चौधरी पर दांव
यूपी के बिजनौर जिले की सदर विधानसभा सीट से जीतकर 17वीं विधानसभा में पहुंचने वाली शुचि मौसम चौधरी सबसे युवा महिला विधायक हैं। उनके पति ऐश्वर्य मौसम चौधरी पेशे से वकील हैं और वह भी भाजपा के सदस्य रह चुके हैं। उन्हें ही भाजपा ने बिजनौर से टिकट दिया था, लेकिन यूपी के मशहूर पेंदा कांड में उनका नाम सामने आने के बाद उन्हें जेल हो गई थी।
इसके बाद शुचि ने बिजनौर में कमल खिलाया था। जहां 1 करोड़ 16 लाख की लागत से नहर की पटरी पर 7 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कराया गया था, लेकिन निर्माण महज 700 मीटर में ही हुआ। चुनावी मौसम में शुचि ने उद्घाटन के लिए जैसे ही उस पर नारियल फोड़ा, वैसे ही सड़क पर गढ़ा बन गया। इस घटना की वजह से उनकी खूब किरकिरी हुई थी।
चंदौसी की गुलाबो देवी पिता को मुखाग्नि देकर रहीं चर्चा में
गुलाबो देवी चंदौसी से मौजूदा विधायक हैं, जमीन से जुड़ी हैं। वर्ष 1989 और 1990 में सभासद का चुनाव जीता। वर्ष 1991 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और वर्ष 1996 में राज्यमंत्री बनीं। वर्ष 2007 और वर्ष 2012 में गुलाब देवी को हार का मुंह देखना पड़ा। चंदौसी विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक और दूसरी बार राज्यमंत्री बनीं गुलाबो देवी पिता बाबूराम को मुखाग्नि देकर भी चर्चा में रही थीं।
गुलाबो के विधायक और राज्यमंत्री बन जाने के बाद भी उनके पिता घर के बाहर मेज लगाकर कपड़ों पर प्रेस करते थे। बेटी के विधायक बनने पर लोगों ने कहा कि अब ये काम क्यों कर रहे हैं। उन्होंने जवाब दिया कि ये मेरा पुस्तैनी काम है। मैं इस काम को नहीं छोड़ सकता।
चांदपुर से कमलेश सैनी समाज सेवा में भी अव्वल
विधायक कमलेश सैनी ने साल 2017 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की। उन्होंने क्षेत्र में आईटीआई, जीजीआईसी संस्थाओं का निर्माण कराया। बिजली की समस्या हल करने के लिए बिजली घर का निर्माण कराया तथा मेरठ बिजनौर को जोड़ने वाले पुल का भी कार्य कराया। छोटे-बड़े अनेक पुल बनवाए। राजनीति के बाद समय मिलने पर पेड़ पौधे लगाती हैं एवं गरीब बच्चों को शिक्षा देती हैं।
खुर्जा से मीनाक्षी सिंह
पूर्व प्रदेश मंत्री भाजपा (महिला मोर्चा), सह-संयोजक (बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ) पश्चिम यूपी रही मीनाक्षी सिंह को खुर्जा से भाजपा ने टिकट दिया है।
2008 में परिसीमन से अस्तित्व में आई मिलक से राजबाला पर फिर भरोसा
रामपुर जिले की मिलक विधानसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। 2017 चुनाव में जीत हासिल कर फिलहाल बीजेपी की राजबाला यहां से मौजूदा विधायक हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में साढ़े पांच लाख के करीब आबादी है और हिंदू- मुस्लिम बराबर संख्या में हैं।
मिलक सीट पर कुल साढ़े 5 लाख की आबादी है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 50 फीसदी है, जबकि 26 हजार वोटर ब्राह्मण वर्ग से, 20 हजार दलित, 7 हजार जाट और 20 हजार सैनी वोटर्स हैं। राजबाला का सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य पर जोर रहा है।
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