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डाउनलोड करेंमुजफ्फरनगर के जड़ौदा अड्डे पर 2008 में हुए पूर्व ब्लाक प्रमुख बाबूराम सहित 8 साल की बालिका के कत्ल के मामले में कोर्ट ने सुनवाई के बाद 3 हत्यारोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। एक हत्यारोपित की 3 वर्ष पहले HIV से मौत हो चुकी है। 15 वर्ष पूर्व थाना मंसूरपुर क्षेत्र में हुए इस सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड से हड़कंप मच गया था। एडीजे-10 कोर्ट में दोहरे हत्याकांड की सुनवाई हुई।
रिक्शा में बैठे लोगों पर बरसाई गई थी गोलियां
अभियोजन के अनुसार 21 अप्रैल 2008 को सदर ब्लाक के पूर्व प्रमुख बाबूराम अपने गांव जड़ौदा से रिक्शा में बैठकर शहर की और आ रहे थे। पौने 11 बजे जैसे ही रिक्शा ईंट भट्ठे के पास पहुंचा तो बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर पूर्व ब्लाक प्रमुख की हत्या कर दी। इस दौरान रिक्शा में उनके बराबर में बैठी 8 साल की एक बालिका को भी गोलियां लगी। घायल पूर्व ब्लाक प्रमुख को टेंपो में डालकर जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। जबकि बालिका को सीएचसी खतौली ले जाया गया था, जहां से उसे मेरठ रैफर किया गया। घटना से अगले दिन उपचार के दौरान बालिका मोनिका पुत्री जगत सिंह निवासी गालिबपुर ने भी दम तोड़ दिया था।
5 लोग कराए थे दोहरे हत्याकांड में नामजद
घटना का मुकदमा पूर्व ब्लाक प्रमुख बाबूराम के बड़े भाई नरेश चंद ने दर्ज कराया था। बताया था कि जब उनका छोटा भाई बाबूराम एक अन्य व्यक्ति जगत सिंह तथा उसकी पुत्री मोनिका के साथ रिक्शा में बैठकर शहर की और जा रहे थे तो बाइक पर सवार होकर पहुंचे सचिन पुत्र दिलावर निवासी वहलना, राजकुमार पुत्र जयपाल सिंह निवासी बरवाला तथा रजनीश पुत्र राकेश एवं पप्पू पुत्र हरबीर निवासीगण जड़ौदा ने उन्हें गोलियों से भून दिया। आरोप था कि हत्याकांड की अपराधिक साजिश टिन्नू पुत्र हरबीर निवासी जड़ौदा ने जेल से रची थी, जो हत्याकांड से कुछ दिन पहले ही एक मुकदमे में जमानत तुड़वाकर जेल चला गया था।
चश्मदीद गवाह 2 सगे भाई घोषित हुए हास्टाईल
घटना का मुकदमा मृतक के सगे भाई नरेशचंद ने लिखवाया था। नरेशचंद व उसके भाई संजय ने बताया था कि हत्याकांड उनकी आंखो के सामने हुआ। उन्होंने हत्यारोपितों के नाम भी बताए थे। लेकिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों अपने बयान से मुकर गए। अभियोजन की याचना पर कोर्ट ने मौके के गवाह तथा मृतक बाबूराम के सगे भाई वादी मुकदमा नरेश चंद सहित संजय को हास्टाईल यानी पक्षद्रोही घोषित किया।
एडीजे-10 कोर्ट में हुई मुकदमे की सुनवाई
अभियोजन के अनुसार घटना के मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-10 कमलापति ने की। बताया कि दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने हत्यारोपित राजकुमार, टिन्नू व पप्पू को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। उन्होंने बताया कि सचिन की सुनवाई के दौरान HIV से मौत हो चुकी है, जबकि एक हत्यारोपित रजनीश के जुवेनाइल होने के कारण उसकी फाईल अलग कर दी गई थी।
बेटा बोला, गांव की रंजिश में हुआ था हत्याकांड
मृतक पूर्व ब्लाक प्रमुख बाबूराम के बेटे सचिन ने बताया कि 2008 में उसके पिता की हत्या गांव व क्षेत्र की सियासी रंजिश का परिणाम थी। उन्होंने बताया कि हत्याकांड को अंजाम देकर लोग उनके परिवार की सियासत को तोड़ना चाहते थे। लेकिन मौके के गवाहों के मुकरने के चलते दोहरे हत्याकांड का यह केस कमजोर हो गया था। जिस कारण उन्होंने बाद में पैरोकारी पर ध्यान नहीं दिया।
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