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बसने से पहले खंडहर हुई 100 करोड़ की ऑफिसर्स कॉलोनी:मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ने 17 साल पहले नया मुरादाबाद में बनाए थे सरकारी आवास

मुरादाबादएक वर्ष पहले
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2004 में बनी एमडीए की ऑफिसर्स कॉलोनी। - Money Bhaskar
2004 में बनी एमडीए की ऑफिसर्स कॉलोनी।

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (MDA) की ऑफिसर्स कालोनी बसने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो गई है। नया मुरादाबाद में प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके यह आवास बनाए गए थे। लेकिन, MDA अधिकारियों ने 17 साल बाद भी यहां शिफ्ट नहीं किया। आवासों की देखभाल भी नहीं की गई। जिसकी वजह से ये खंडहर की शक्ल में पहुंच गए हैं। सवाल ये उठता है कि जब MDA अधिकारियों को यहां शिफ्ट नहीं करना था तो करोड़ों रुपए बर्बाद करके ये आवास आखिर बनाए ही क्यों गए?

नया मुरादाबाद में बसने से पहले खंडहर हुई MDA की ऑफिसर्स कॉलोनी।
नया मुरादाबाद में बसने से पहले खंडहर हुई MDA की ऑफिसर्स कॉलोनी।

100 करोड़ से ज्यादा खर्च करके बनाए आवास
नया मुरादाबाद के सेक्टर 6 में MDA के वीसी से लेकर चीफ इंजीनियर और सेक्रेटरी तक के लिए कोठियां बनी हैं। अधिकारियों के ठीक पीछे कर्मचारियों के लिए फ्लैट्स बने हैं। लेकिन अफसरों की कोठियों से लेकर कर्मचारियों के फ्लैट्स तक खंडहर हो गए हैं। इनके अंदर ही नहीं छतों और बॉलकनी तक में बड़ी - बड़ी घास उग आई है। इन आवासों लिंटर तक में उगी घास बता रही है कि प्राधिकरण ने करोड़ों की लागत से बने इन आवासों की किस कदर बेकद्री की है।

नया मुरादाबाद में प्राधिकरण की ऑफिसर्स कॉलोनी का हाल।
नया मुरादाबाद में प्राधिकरण की ऑफिसर्स कॉलोनी का हाल।

17 साल में किसी अधिकारी ने नहीं की कोशिश
नया मुरादाबाद में एमडीए ने ऑफिसर्स कालोनी और कर्मचारी आवास बना तो दिए। लेकिन, यहां शिफ्ट होने की कोशिश कभी नहीं की। प्राधिकरण में इस दौरान तमाम वीसी आए और गए, लेकिन किसी ने भी यहां शिफ्ट होने की पहल नहीं की। मालियों और कर्मचारियों की पूरी फौज होने के बावजूद प्राधिकरण ने इन आवासों की देखरेख का भी कभी प्रयास नहीं किया। यही वजह है कि ये आवास समय के साथ खंडहर होते चले गए और किसी ने पलटकर नहीं देखा।

नया मुरादाबाद में प्राधिकरण की ऑफिसर्स कॉलोनी का हाल।
नया मुरादाबाद में प्राधिकरण की ऑफिसर्स कॉलोनी का हाल।

बसने से पहले टूटेंगे 530 फ्लैट्स
एकता विहार दक्षिणी योजना के आश्रय फ्लैट्स से लेकर ट्रांसपोर्ट नगर कॉप्लेक्स और ऑफिसर्स कॉलोनी तक एमडीए की नाकामी के गवाह हैं। एकता विहार दक्षिणी योजना में MDA इंजीनियरों की घटिया डिजाइन की वजह से 530 फ्लैट्स 20 साल बाद भी आबाद नहीं हो सके। इनका कोई खरीदार ही MDA को नहीं मिला। नतीजतन 2001 में बने ये फ्लैट्स बसने से पहले ही खंडहर हो गए और अब प्राधिकरण इन्हें तोड़ने का फैसला कर चुका है।

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की एकता विहार योजना में 2001 में बने ये 530 फ्लैट्स बसने से पहले ही टूटूेंगे। एमडीए इंजीनियरों की घटिया डिजाइन की वजह से 20 साल में भी इन्हें खरीदार नहीं मिले।
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की एकता विहार योजना में 2001 में बने ये 530 फ्लैट्स बसने से पहले ही टूटूेंगे। एमडीए इंजीनियरों की घटिया डिजाइन की वजह से 20 साल में भी इन्हें खरीदार नहीं मिले।

21 साल में ट्रांसपोर्ट नगर कॉम्प्लेक्स भी नहीं बिका
ट्रांसपोर्ट नगर कॉप्लेक्स भी प्राधिकरण की घटिया डिजाइन का दूसरा नमूना है। इसे 21 साल बाद भी एमडीए नहीं बेच पाया। अब नया मुरादाबाद में प्राधिकरण की ऑफिसर्स कालोनी भी इसी कड़ी में जुड़ गई है। प्राधिकरण की इन सुपर फ्लॉप योजनाओं को देखकर यही लगता है कि एमडीए अधिकारियों ने पब्लिक के पैसे को पूरी बेदर्दी से बर्बाद किया है।

नया मुरादाबाद में ऑफिसर्स कालोनी का हाल।
नया मुरादाबाद में ऑफिसर्स कालोनी का हाल।

VC बोले- विचार करेंगे

VC मधुसूदन हुल्गी का कहना है कि नया मुरादाबाद में बनी ऑफिसर्स कालोनी पर वह विचार करेंगे। सोचेंगे कि काॅलोनी में अधिकारियों और कर्मचारियों के आवास शिफ्ट होंगे या इसे बेचा जाएगा।

नया मुरादाबाद में ऑफिसर्स कालोनी का हाल।
नया मुरादाबाद में ऑफिसर्स कालोनी का हाल।
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