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डाउनलोड करेंमिर्जापुर में लेखपालों की लापरवाही के चलते सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं। विद्यालयों में प्रवेश और नौकरी के लिए आवेदन करने वाले होनहारो को सार्टिफिकेट पाने के लिए तहसील का चक्कर काटने के लिए विवश किया जा रहा हैं। सरकार के द्वारा मिला दस प्रतिशत आरक्षण की भावना मिट्टी में मिला दी जा रही है ।
आन लाइन आवेदन के बाद भी लगाना पड़ रहा चक्कर
तमाम युवाओं ने सदर तहसील में ईडब्लूएस के लिए आवेदन किया है। छात्र छात्राओं के द्वारा 10% का आरक्षण का लाभ पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया है । आवेदन पत्र क्रमशः लेखपाल से होते हुए कानूनगो के पास जाता है। कई सप्ताह से आवेदन पत्रों को नजरअंदाज किए जाने से तमाम छात्रों का भविष्य अंधकार में लटका है। बताया जाता है कि करीब 247 आवेदन पत्रों को कई सप्ताह बीत जाने के बावजूद देखा तक नहीं गया है। जबकि त्वरित गति से निस्तारण किए जाने का प्राविधान हैं। सरकार की मंशा है कि बिना किसी को परेशान किए ऑनलाइन किए गए आवेदन पत्रों का निस्तारण किया जाए।
लेखपालों की मंशा पर सवाल
चर्चा है कि आवेदन पत्रों को जान बूझकर रोका जा रहा हैं। ताकि आवेदन करने वाला आएगा तो कुछ मंशा पूरी करके ही जाएगा। लिहाजा आवेदन पत्रों के निस्तारण की प्रक्रिया कुछ भी हो लेकिन जिले में होता वही है जो लेखपाल चाहता है।
देश के भविष्य से किया जा रहा खिलवाड़
सरकार के तमाम दावों और वादों को धूल धूसरित करने के साथ ही बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा। जिसे किसी भी रुप में जायज नहीं ठहराया जा सकता। अब देखना यह है कि आवेदन करने वाले छात्र छात्राओं को कितने दिन में न्याय मिल पाता है।
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