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डाउनलोड करेंप्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए 1जुलाई से आरम्भ हो रहे वन महोत्सव के तहत जिले में 7951990 पौध रोपण किया जायेगा। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वन विभाग कैमूर वन्यजीव प्रभाग के साथ 26 सरकारी महकमा तैयारी में जुटे हैं। वन विभाग महोत्सव के लिए मुफ्त पौधे उपलब्ध करायेगा। जिले की 30 नर्सरी में विभिन्न प्रजाति के करीब 3 लाख पौधे तैयार किया गया है।
तब आक्सीजन का महत्व आया था याद
विश्व में आक्सीजन का महत्व कोरोना काल में सर्वाधिक महसूस किया गया था। उस वक्त महामारी की चपेट में आने वालों के सामने आक्सीजन की व्यवस्था करना कठिन हो गया था। लोग मुंह मांगे दाम पर आक्सीजन के एक सिलेंडर पाने के लिए बेताब थे। कुछ लोगों के पास रुपयों की थैली थी। इसके बावजूद आक्सीजन का सिलेंडर नहीं मिल पा रहा था। तब लोगों को प्रकृति से मुफ्त मिलने वाले आक्सीजन की कीमत की समझ आया था।
भावी पीढ़ी के लिए जरूरी वृक्षारोपण
आपदा के दौरान भविष्य के लिए वृक्ष लगाने का संकल्प तमाम लोगों ने लिया था। लेकिन विश्व के सामने चुनौती बने कोरोना का असर कम होने के साथ ही संकल्प भी कमजोर होने लगा। जिले में सरकारी आंकड़े के अनुसार 127 लोगों की मौत कोरोना के चलते हुई है। यह तो सरकारी आंकड़ा है। जबकि संख्या इससे अधिक बताई जा रही है।
तीन दिन तक चलेगा विशेष पौधरोपण अभियान
प्रदेश स्तर पर हरियाली बिखरने के लिए तीन दिन तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत 35 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 5 से 7 जुलाई को विशेष रूप से पौधारोपण किया जाएगा। पहले दिन 5 करोड़ पौधारोपण होगा। दूसरे और तीसरे दिन इनकी संख्या ढ़ाई - ढ़ाई करोड़ वृक्ष लगाया जायेगा। स्वतंत्रता दिवस पर 5 करोड़ पौधारोपण उत्साह के साथ भावी पीढ़ी की खुशहाली के लिए किया जायेगा।
नगर से लेकर गांव तक होगा पौधारोपण
पौधों को सूखने से बचाने के लिए स्वस्थ पौध उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई हैं । जबकि उसके रोपण के लिए नोडल अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी श्रीलक्ष्मी वी. एस. को सौंपा गया है। उनके देखरेख में ग्राम पंचायत स्तर पर अभियान को सफल बनाने के लिए ग्राम प्रधान तक को अभियान में शामिल किया गया है।
पौधारोपण ही नहीं संरक्षण की भी है जरूरत
प्रभागीय वनाधिकारी पी. एस. त्रिपाठी ने कहा कि पौधारोपण करने के साथ ही उसे जीवित रखना भी हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि नर्सरी से मिलने वाले पौध को रोपित करने के पूर्व उसकी पन्नी हटा देना चाहिए। ताकि मिट्टी के साथ जुड़ कर उसकी जड़े अपना भोजन प्राप्त कर सकें। रोपित पौधों को कुछ माह तक जल देने की जरूरत है। इसके बाद तो वृक्ष खुद ही अपनी जरूरत पुरी कर पर्यावरण को शुद्ध बनाने का काम करते हुए मानव जीवन के वरदान साबित होता है ।
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