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डाउनलोड करेंलीज की आड़ में अवैध पत्थर खनन कोई नया मामला नहीं है। मड़िहान क्षेत्र के दर्जनभर गांवों में पत्थर खनन व परिवहन का गोरखधंधा अधिकारियों की संरक्षण में फल फूल रहा है। देवरी कला, दांती, दाढ़ीराम, मालपुर, उमरिया, पथरौर, सतेशगढ़, सरसो, सेमरी, सरसवां, हरदी, बेदौली, गोपलपुर, हड़ौरा, गोलहनपुर आदि गांव में पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। घटना के कुछ दिनों तक शासन प्रशासन की धौंस रहती है।
कुछ दिनों बाद फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होने लगती है। ओवरलोड वाहन हो अथवा पत्थर खनन में परिवहन, पोकलेन से लेकर लोडर, जेसीवी, डम्फर, ट्रैक्टर आदि सभी का रसूल बना है। सम्बंधित विभाग को महीने में मोटी रकम मिल जाती है। अवैध खनन व परिवहन से सरकार को महीने में लाखों रुपये की राजस्व क्षति होती है। जांच हो तो कई वाहन बिना कागज पत्र के फर्राटे भरते हुए मिल जाएंगे।
भांजी की मौत का कारण मामा ही बना
मां की तहरीर पर ट्रैक्टर-ट्राली से कुचलकर मौत होने का आरोप लगाया गया गया था। पहिए के नीचे पत्थर का टुकड़ा आते ही ट्राली से छिटककर सिर के बल पत्थर पर गिरने की बताई जा रही थी। पुलिस के अनुसार थाने में तरह तरह के बयान बदले जा रहे थे। कभी पत्थर पर गिरकर हुयी मौत तो कभी सिर पर पत्थर गिरने से मौत का कारण बताया गया। चमेली की मौत कैसे हुई जांच का विषय है।
24 जून 2016 को तीन मजदूरों की मौत हुई थी
24 जून 2016 को विस्फोट में तीन मजदूरों की मौत हुई थी। कई मजदूर घायल हुए थे। कार्रवाई के एक महीना बाद क्रशर प्लांटों पर फिर धूल उड़ने लगा। मध्यप्रदेश, बिहार व झारखंड से मजदूर खदानों पर पत्थर तोड़ने आते हैं। कोर्ट का चक्कर न लगाना पड़े इसलिए कार्रवाई नही अधिकतम घटनाओं में समझौता करना ही मुनासिब समझते हैं। पत्थर खदानों में रेगुलर काम करने वाले मजदूरों का बीमा भी नहीं है।
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