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डाउनलोड करेंमैनपुरी के कस्बा भोगांव निवासी एक जवान बांग्लादेश सीमा पर साल 2009 में तस्करों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। सीमा सुरक्षा बल के डिप्टी कमांडेंट ने गांव पहुंचकर शहीद की पत्नी को कैजुअल्टी प्रमाणपत्र सौंपा है। यह प्रमाण पत्र शहीद की पत्नी को मिलने में 18 साल लग गए। अब जाकर उनकी शहादत को सम्मान मिल सका है।
मेघालय के गोरो हिल्स पर थी तैनाती
जिले के भोगांव थाना क्षेत्र के गांव मौजेपुर निवासी सुभाष चंद्र एक मार्च 1989 को बीएसएफ में भर्ती हुए थे। वह आरक्षी के पद पर थे। साल 2003 में उनकी तैनाती मेघालय की दक्षिण गोरो हिल्स पर थी। 26 दिसंबर को बांग्लादेश बॉर्डर पर ड्यूटी के दौरान तस्करों से उनकी मुठभेड़ हो गई। इस दौरान सुभाष चंद्र वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
बीएसएफ की तरफ से दिया गया सम्मान
18 साल बाद 178 सीमा सुरक्षा बल के डिप्टी कमांडेंट सुनील कुमार आरक्षी सुभाष चंद्र के घर पहुंचे। जहां उन्होंने उनकी पत्नी को कैजुअल्टी प्रमाणपत्र दिया। सुभाष चन्द्र ने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। इसीलिए बीएसएफ की तरफ से शहीदों को सम्मान देने के लिए ऑपरेशन कैजुअल्टी सर्टिफिकेट दिया जाता है।
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