पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंकहते हैं किसी भी देश-राज्य की बेहतर अर्थव्यवस्था में अच्छी सड़कों के जरिए कनेक्टिविटी का भी अहम रोल होता है। इसीलिए अरबों रुपए खर्च कर यूपी सरकार प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का जाल बिछा रही है। प्रदेश में दो एक्सप्रेस-वे चालू हैं और तीसरे सबसे बड़े एक्सप्रेस-वे पर भी 16 नवंबर से रफ्तार का सफर शुरू हो जाएगा।
16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करेंगे। दावा है कि इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने से विकास की दौड़ में पिछड़ा पूर्वांचल तेजी से आगे बढ़ेगा। भास्कर संवाददाता ने सरकार के इन्हीं दावों की हकीकत जानने के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का सफर कर बदलाव की बयार को समझने की कोशिश की। तो हमारे साथ चलिए आज आप भी पूर्वांचल के सफर पर...।
लखनऊ के चांदसराय गांव से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर चढ़ते वक्त हमारे जेहन में तीन सवाल थे....
पूर्वांचल के कारोबार पर एक्सप्रेस-वे का असर
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे राजधानी लखनऊ से शुरू होकर गाजीपुर तक जाता है। लिहाजा हमारा सफर लखनऊ से शुरू हुआ। करीब ढाई घंटे चलने के बाद हम आजमगढ़ के कट पर पहुंचे। इस हाइवे से करीब 6 किलोमीटर चलने के बाद हम आजमगढ़ शहर पहुंचे। इस शहर में पतली-संकरी गलियों में इलाके का बड़ा बाजार है। ऐसे ही बाजार में हम एक कांम्पलैक्स में पहुंचे, जहां जरूरत की सभी समानों की अलग-अलग दुकानें है। कपड़ों के एक दुकान पर काफी भीड़ थी, खरीदारी के साथ लोग महंगाई पर चर्चा भी कर रहे थे, इसी बीच हमने पूर्वांचल एक्सप्रेस को लेकर बातचीत शुरू की।
दुकान के मालिक और शहर के बड़े कारोबारी परितोष कुमार रुंगटा ने बड़े बेबाकी से कहा कि एक्सप्रेस-वे के बनने से ट्रांसर्पोटेशन तेज होगा और इसका असर हमारे व्यापार पर भी पड़ेगा। हालांकि, बड़ा असर तब होगा जब इस हाईवे के अगल-बगल बड़ी इंडस्ट्रीज खुले, कल-कारखाने बने, रोजगार बढ़ेगा, तो लोगों के जेब में पैसा आएगा, परचेजिंग बढ़ेगी तो हमारा कारोबार भी चमकेगा।
सर्दी के कपड़े खरीद रहे रानू ने कहा की जब रोजगार मिलेगा तभी पैसा आएगा और खरीदारी होगी, लिहाजा जरूरत एक्सप्रेस-वे के साथ यहां कारखाने की भी है। रानू की बात खत्म होने से पहले ही व्यापार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज बरनवाल भी पहुंच गए। कहा कि बेचने के लिए रेडीमेड माल हम दिल्ली, पंजाब और मुंबई से मंगाते हैं। हमारा माल अब दो -तीन के बजाय एक-दो दिन में ही पहुंच जाएगा। समय की बचत होगी, तो कमाई भी बढ़ेगी और इससे व्यापार भी बढ़ेगा।
कारोबार का सवाल हमने गाजीपुर के ही रहने वाले सोनू सिंह से भी पूछा। सोनू ने कहा कि खेती-बाड़ी के साथ छोटा कारोबार भी करते हैं, जिसके लिए लखनऊ और दिल्ली भी जाना होता है। पहले गाजीपुर से लखनऊ जाना पड़ता था, तो 8 से 9 घंटे लगते थे, फिर वहां से दिल्ली जाते थे, अब इस एक्सप्रेस-वे के बनने के साथ-साथ अन्य एक्सप्रेस-वे के माध्यम से देश की राजधानी से भी हम जुड़ जाएंगे।
कितनी बदलेगी आम लोगों की जिंदगी?
341 किलोमीटर का हमारा सफर जारी था, मऊ जिले में सैदपुर गांव के कुछ लोग शाम के वक्त हमें एक्सप्रेस-वे के किनारे बात करते हुए मिल गए, लिहाजा बातों का सिलसिला शुरू हुआ। हमने पूछा कि जिस एक्सप्रेस-वे के किनारे खड़े हैं, इससे आपकी जिंदगी में क्या बदलाव आया?
पास खड़े बाल्मीकी चौहान ने कहा कि हम सब को इस एक्सप्रेस-वे से बड़ी उम्मीदें हैं। अभी तक तो हमारी जिंदगी में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आया है, लेकिन अब लगता है कि सड़क बन गई है तो यहां कुछ कल-कारखाने भी लगेंगे।
पास में खड़े रविंद्र चौहान ने कहा कि बच्चों को रोजगार मिलेगा तो बात बनेगी। इसी गांव के रहने वाले राम सिंह चौहान बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सरकार ने ढेर सारी जमीन भी आस-पास अधिग्रहण करके रखा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस सड़क के किनारे सरकार अस्पताल बनवाएगी, फिर हम वहां दुकान लगाएंगे तो कमाई होगी।
हमारी मुलाकात 12वीं में पढ़ाई कर रहे प्रवीण राय से भी हुई। प्रवीण ने बताया कि अब अगर मैं हायर एजुकेशन के लिए लखनऊ जाता हूं, तो जब-चाहूं घर आ सकता हूं। अब करीब 4 घंटे में घर पहुंच जाएंगे। इस एक्सप्रेस-वे ने गांव और शहर की दूरियां खत्म कर दी हैं।
आगे बढ़ने पर गाजीपुर किसान महेश तिवारी से हमारी मुलाकात हुई। महेश का कहना है कि 'हमारी जमीन इस सड़क में आ गई। सरकार ने जो मुआवजा दिया, उससे थोड़ी गांव में ही सस्ते में जमीन खरीद ली है और कुछ पैसे बचा कर रखा हुआ है। जब सड़क शुरु हो जाएगी तब वहां कोई बिजनेस करेंगे। हम तो इस एक्सप्रेस-वे के आने से बेहद खुश हैं।
एक्सप्रेस-वे से भाजपा को कितना फायदा?
चुनावी माहौल में पूर्वांचल के इलाकों में बात राजनीति की न हो ऐसा संभव नहीं है। लखनऊ से गाजीपुर और फिर वापसी के दौरान भी जहां जिससे भी मुलाकात हुई, हमारा एक सवाल सबसे अहम था कि इस एक्सप्रेस-वे से किसको सियासी फायदा होगा? हमारे इस सवाल पर अरुण पाठक ने हमसे सवालिया अंदाज में बोला, जिसने बनवाया है, उसको फायदा मिलेगा। तभी रामसूरत सिंह बोल पड़े, 'इसकी शुरुआत तो अखिलेश ने की थी? अरुण ने तपाक से जवाब दिया, प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था, और वही उद्घाटन भी कर रहे हैं। लिहाजा पूरा क्रेडिट योगी और मोदी को जाता है। हमारी बातचीत लंबी चली, और भी लोगों ने अपनी राय रखी, लेकिन अधिकतर का मानना था कि भाजपा ने इस एक्सप्रेस-वे को पूरा कर दिया है, लिहाजा इसका सियासी फायदा भी भाजपा को मिलता नजर आ रहा है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.