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डाउनलोड करेंउत्तर प्रदेश में जिन्हें कांग्रेस से जीत की उम्मीद ज्यादा नहीं, वह यह बहस करते हर जगह दिखेंगे कि अगर सबसे पुरानी पार्टी मजबूत हुई तो नुकसान ज्यादा किसे होगा? अगर हम कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली सूची को जातिगत नजरिए से देखें तो साफ होता है कि उसके प्रत्याशी भाजपा के कोर वोट बैंक को ही ज्यादा प्रभावित करेंगे।
हर पार्टी के कोर वोट बैंक का जातीय समीकरण देखें तो कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 37.6% प्रत्याशी भाजपा के वोटबैंक को ध्यान में रखकर उतारे हैं। इसके बाद 27.2% प्रत्याशी बसपा और सबसे कम 20% प्रत्याशी सपा के वोट को प्रभावित करने के लिहाज से उतारे गए हैं।
अगड़ी जातियां भाजपा के पाले में...इन जातियों में कांग्रेस के 47 टिकट
कांग्रेस ने सबसे ज्यादा फोकस अगड़ी जातियों के प्रत्याशियों पर किया है। ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और सरदार को मिलाकर कुल 47 प्रत्याशी अगड़ी जातियों से हैं। यह भाजपा का कोर वोटबैंक माना जाता रहा है यानी कांग्रेस के अगड़ी जाति के प्रत्याशी किसी भी सीट पर रहें, वे भाजपा के वोट बैंक में ही सेंध लगाएंगे।
पिछड़ी जातियों में बसपा का वोट बैंक...इससे कांग्रेस के 34 प्रत्याशी
उत्तर प्रदेश में अनुसूजित जाति व जनजाति के वोटर के विषय में यह माना जाता है कि वह बसपा के साथ रहता है। हर चुनाव में बसपा का करीब 22% का वोट शेयर मूलत: इन्हीं जातियों से कायम रहता है। एससी-एसटी वर्ग के कांग्रेस ने कुल 34 प्रत्याशी उतारे हैं।
सपा के MY वोटबैंक को काटने वाले सिर्फ 25 प्रत्याशी
जिस तरह बिहार में लालू यादव की पार्टी राजद को मुस्लिम+यादव यानी MY समीकरण पर भरोसा होता है, उसी तरह यूपी में यह MY समीकरण हमेशा सपा के साथ रहा है। अखिलेश यादव के इस कोर वोटबैंक से आने वाले लोगों को कांग्रेस ने 25 टिकट ही दिए हैं।
यादव छोड़ बाकी ओबीसी वोट हमेशा बंटते हैं
राज्य में यादव के अलावा अन्य ओबीसी जातियों के वोट हर चुनाव में शिफ्ट होते रहते हैं। हर सीट और हर प्रत्याशी के हिसाब से इनमें फेरबदल भी हो जाता है। कांग्रेस ने अन्य ओबीसी जाति के 18 प्रत्याशियों को टिकट दिया है।
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